भजन
यहोवा के सेवक दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 वह अपनी नज़रों में खुद को इतना ऊँचा उठा लेता है
कि अपनी गलती देख नहीं पाता और उससे नफरत नहीं करता।+
3 उसके मुँह से नुकसान पहुँचानेवाली और छल की बातें निकलती हैं,
उसमें ज़रा भी अंदरूनी समझ नहीं कि वह भला काम करे।
4 बिस्तर पर लेटे हुए भी वह साज़िशें रचता है।
वह ऐसे रास्ते पर चलने में अड़ जाता है जो सही नहीं है,
वह बुराई को नहीं ठुकराता।
हे यहोवा, तू इंसान और जानवर, दोनों को सलामत रखता* है।+
7 हे परमेश्वर, तेरा अटल प्यार क्या ही अनमोल है!+
तेरे पंखों की छाँव तले इंसान पनाह लेते हैं।+
11 मगरूर को मौका न दे कि वह पैरों से मुझे रौंद डाले,
न ही दुष्ट को अवसर दे कि वह हाथों से मुझे खदेड़ दे।