नीतिवचन
2 हे मेरे बेटे, अगर तू मेरी बातों को माने,
मेरी आज्ञाओं को खज़ाने की तरह सँभालकर रखे,+
2 बुद्धि की बातों पर कान लगाए,+
पैनी समझ की बातों पर मन लगाए,+
पैनी समझ को ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ लगाए,+
4 अगर तू इन्हें चाँदी की तरह ढूँढ़ता रहे,+
छिपे हुए खज़ाने की तरह खोजता रहे,+
5 तब तू समझेगा कि यहोवा का डर मानना क्या होता है+
और तुझे परमेश्वर का ज्ञान हासिल होगा।+
7 उसके पास ऐसी बुद्धि का भंडार है, जिससे सीधे लोगों को फायदा होता है।
निर्दोष चाल चलनेवालों के लिए वह ढाल है।+
10 जब बुद्धि तेरे दिल में उतरेगी+
और ज्ञान तेरे जी* को भाने लगेगा,+
11 जब सोचने-परखने की शक्ति तुझ पर नज़र रखेगी+
और पैनी समझ तेरी हिफाज़त करेगी,
12 तब तू गलत रास्ते पर जाने से बचेगा,
उन आदमियों से दूर रहेगा जो टेढ़ी बातें कहते हैं,+
13 जो अँधेरी राहों पर चलने के लिए+
सीधाई का रास्ता छोड़ देते हैं,
14 जिन्हें बुरे काम करने में मज़ा आता है,
गंदी और घिनौनी बातें जिन्हें उमंग से भर देती हैं,
15 जिनकी राहें टेढ़ी हैं
और जिनके सारे काम कपट से भरे हैं।