अय्यूब
3 क्या तेरी बेकार की बातें लोगों का मुँह बंद कर सकती हैं?
दूसरों का मज़ाक उड़ाकर+ क्या तू अपमान से बच सकता है?
6 तो वह तेरे सामने बुद्धि के गहरे रहस्य खोलेगा,
क्योंकि जब बुद्धि से काम लिया जाता है, तो उसके कई फायदे होते हैं।
और तब तुझे पता चलेगा कि तेरे कई पाप उसने भुला दिए हैं!
7 क्या तू परमेश्वर की गहरी बातों का पता लगा सकता है?
क्या तू सर्वशक्तिमान के बारे में सबकुछ जान सकता है?
8 बुद्धि आसमान से भी ऊँची है, क्या तू वहाँ पहुँच सकता है?
वह कब्र से भी गहरी है, क्या तू वहाँ उतर सकता है?
9 वह तो धरती से भी विशाल है
और समुंदर से भी चौड़ी है।
10 अगर परमेश्वर किसी राह चलते को पकड़कर अदालत ले आए,
तो भला कौन उसे रोक सकता है?
11 क्योंकि वह मक्कार आदमी को देखते ही पहचान लेता है,
वह उसके बुरे कामों को अनदेखा नहीं करता।
14 अगर तू गलत काम करना छोड़ दे
और तेरे डेरे में बुरे काम न हों,
15 तो तू निर्दोष ठहरेगा और उसको अपना मुँह दिखा सकेगा,
तू उसके सामने थरथराएगा नहीं, सीधा खड़ा रहेगा।
16 तू अपनी दुख-तकलीफें भूल जाएगा,
वे तेरे ज़हन से ऐसे उतर जाएँगी, जैसे पानी बह जाता है।
17 तेरी ज़िंदगी के दिन, भरी दोपहरी से ज़्यादा रौशन होंगे
और रातें, सुबह की तरह जगमगाएँगी।
18 तेरे पास आशा होगी और तू किसी बात से न डरेगा,
जो कुछ तेरा है, तू उस पर नज़र दौड़ाएगा और आराम फरमाएगा।
19 तू इत्मीनान से लेटेगा, कोई तुझे नहीं डराएगा।
तेरी मेहरबानी पाने के लिए लोगों का ताँता लग जाएगा।