नीतिवचन
31 ये ज़रूरी बातें राजा लमूएल की हैं, जो उसकी माँ ने उसे सिखायी थीं:+
2 हे मेरे बेटे, मैं तुझे क्या सिखाऊँ?
हे मेरी कोख से जन्म लेनेवाले, मैं तुझे क्या बताऊँ?
जिस बेटे के लिए मैंने मन्नत मानी,+ उससे मैं क्या कहूँ?
4 हे लमूएल, दाख-मदिरा पीना राजाओं को शोभा नहीं देता,
न ही शासकों का यह कहना जँचता है, “मेरा जाम कहाँ है?”+
5 क्योंकि पीने के बाद वे कायदे-कानून भूल जाते हैं
और दीन-दुखियों को उनका हक नहीं देते।
6 जो मरनेवाला है, उसे शराब पिला,+
जो दुख से बेहाल है, उसे दाख-मदिरा दे,+
7 ताकि पीकर वह अपनी गरीबी याद न करे
और अपना दुख भूल जाए।
א [आलेफ ]
10 एक अच्छी पत्नी कौन पा सकता है?+
उसका मोल मूंगों* से भी बढ़कर है।
ב [बेथ ]
11 उसका पति पूरे दिल से उस पर भरोसा करता है
और उसके पति को किसी चीज़ की कमी नहीं होती।
ג [गिमेल ]
12 वह कभी अपने पति का बुरा नहीं करती,
बल्कि जीवन-भर उसका भला करती है।
ד [दालथ ]
ה [हे ]
ו [वाव ]
15 पौ फटने से पहले वह उठ जाती है,
अपने घराने के लिए खाना तैयार करती है,
अपनी नौकरानियों को भी उनके हिस्से का खाना देती है।+
ז [जैन ]
ח [हेथ ]
ט [टेथ ]
18 वह लेन-देन में मुनाफे का ध्यान रखती है,
उसके घर का दीया रात को भी जलता रहता है।
י [योध ]
כ [काफ ]
ל [लामेध ]
מ [मेम ]
22 वह खुद अपने हाथों से चादरें बनाती है,
वह मलमल और बैंजनी ऊन के कपड़े पहनती है।
נ [नून ]
ס [सामेख ]
ע [ऐयिन ]
פ [पे ]
צ [सादे ]
ק [कोफ ]
28 उसके बच्चे खड़े होकर उसकी तारीफ करते हैं,
उसका पति भी उठकर उसके गुण गाता है।
ר [रेश ]
29 अच्छी औरतें तो बहुत हैं,
मगर तू उन सबसे बढ़कर है।
ש [शीन ]
ת [ताव ]