भजन
दाविद की रचना।
27 यहोवा मेरा प्रकाश+ और मेरा उद्धारकर्ता है।
फिर मुझे डर किसका?+
यहोवा मेरे जीवन का मज़बूत गढ़ है।+
फिर मैं किसी से क्यों खौफ खाऊँ?
चाहे मेरे खिलाफ युद्ध छिड़ जाए,
तब भी मेरा भरोसा अटल रहेगा।
4 मैंने यहोवा से सिर्फ एक चीज़ माँगी है,
यही मेरी दिली तमन्ना है
कि मैं सारी ज़िंदगी यहोवा के भवन में निवास करूँ+
ताकि यहोवा की मनोहरता निहार सकूँ
5 क्योंकि संकट के दिन वह मुझे अपने आसरे में छिपा लेगा,+
अपनी गुप्त जगह में, अपने तंबू में छिपा लेगा,+
वह मुझे ऊँची चट्टान पर चढ़ा देगा।+
6 अब मेरा सिर दुश्मनों से ऊँचा हो गया है जो मुझे घेरे हुए हैं,
मैं परमेश्वर के तंबू में खुशी से जयजयकार करते हुए बलिदान चढ़ाऊँगा,
यहोवा की तारीफ में गीत गाऊँगा।*
8 मेरे मन ने कहा है कि तूने यह आज्ञा दी है,
“मेरी मंज़ूरी पाने के लिए मेहनत करता रह।”
हे यहोवा, मैंने तेरी मंज़ूरी पाने की ठान ली है।+
तू मेरा मददगार है,+
मेरा उद्धार करनेवाले परमेश्वर, मुझे त्याग न देना, मुझे छोड़ न देना।
12 मुझे मेरे बैरियों के हवाले न कर,+
क्योंकि मेरे खिलाफ झूठे गवाह उठ खड़े हुए हैं,+
वे मुझे मारने-पीटने की धमकी देते हैं।
हाँ, यहोवा पर आशा रख।