कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी
6 परमेश्वर के साथ काम करते हुए+ हम तुमसे यह भी गुज़ारिश करते हैं कि परमेश्वर की महा-कृपा स्वीकार करने के बाद उस कृपा का मकसद मत भूलो।+ 2 इसलिए कि वह कहता है, “मंज़ूरी पाने के वक्त मैंने तेरी सुनी और उद्धार के दिन तेरी मदद की।”+ देखो! अभी खास तौर पर मंज़ूरी पाने का वक्त है। देखो! अभी उद्धार का वह दिन है।
3 हम किसी भी तरह से ठोकर खाने की कोई वजह नहीं देते ताकि हमारी सेवा में कोई दोष न पाया जाए।+ 4 हर तरह से हम परमेश्वर के सेवक होने का सबूत देते हैं,+ धीरज से कई परीक्षाएँ सहकर, दुख-तकलीफें, तंगी और मुश्किलें झेलकर,+ 5 मार खाकर, कैद में रहकर,+ दंगों का सामना करके, कड़ी मेहनत करके, जागते हुए रातें काटकर, भूखे पेट रहकर,+ 6 शुद्धता, ज्ञान, सब्र,+ कृपा+ और पवित्र शक्ति से, बिना कपट प्यार करके,+ 7 सच्ची बातें बोलकर, परमेश्वर की ताकत से,+ दाएँ* और बाएँ* हाथ में नेकी के हथियार लेकर,+ 8 इज़्ज़त पाने और बेइज़्ज़त होने के समय, हमारे बारे में बुरी खबर फैलने और अच्छी खबर फैलने के समय। हमें धोखा देनेवाले समझा जाता है मगर हम सच्चे हैं, 9 हम अनजानों जैसे हैं फिर भी मशहूर हैं, मरने पर हैं* फिर भी देखो! हम ज़िंदा हैं,+ हम ऐसे हैं मानो हमें सज़ा दी गयी है मगर मौत के हवाले नहीं किया गया,+ 10 दुख मनानेवालों जैसे हैं मगर हमेशा खुश रहते हैं, गरीबों जैसे हैं फिर भी बहुतों को अमीर बनाते हैं, मानो कंगाल हैं फिर भी हमारे पास सबकुछ है।+
11 कुरिंथियो, हमने खुलकर तुमसे बात की है, हमने तुम्हारे लिए अपने दिलों को बड़ा किया है। 12 हमने दिल खोलकर तुमसे प्यार किया है+ मगर तुम प्यार करने में तंगदिल हो। 13 इसलिए अपने बच्चे जानकर मैं तुमसे कहता हूँ कि तुम भी अपने दिलों को बड़ा करो।+
14 अविश्वासियों के साथ बेमेल जुए में न जुतो।*+ क्योंकि नेकी के साथ दुष्टता की क्या दोस्ती?+ या रौशनी के साथ अँधेरे की क्या साझेदारी?+ 15 और मसीह और शैतान* के बीच क्या तालमेल?+ या एक विश्वासी* और एक अविश्वासी के बीच क्या समानता?+ 16 और परमेश्वर के मंदिर का मूरतों+ के साथ क्या समझौता? इसलिए कि हम जीवित परमेश्वर का एक मंदिर हैं,+ ठीक जैसा परमेश्वर ने कहा है, “मैं उनके बीच निवास करूँगा+ और उनके बीच चलूँगा-फिरूँगा और मैं उनका परमेश्वर बना रहूँगा और वे मेरे लोग बने रहेंगे।”+ 17 “यहोवा* कहता है, ‘इसलिए उनमें से बाहर निकल आओ और खुद को उनसे अलग करो और अशुद्ध चीज़ को छूना बंद करो,+ तब मैं तुम्हें अपने पास ले लूँगा।’”+ 18 “सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा* कहता है, ‘और मैं तुम्हारा पिता बनूँगा+ और तुम मेरे बेटे-बेटियाँ बनोगे।’”+