22 एक अच्छा नाम बेशुमार दौलत से बढ़कर है+
और आदर पाना सोना-चाँदी पाने से कहीं अच्छा है।
2 अमीर और गरीब में एक बात मिलती-जुलती है,
दोनों को यहोवा ने रचा है।+
3 होशियार इंसान खतरा देखकर छिप जाता है,
मगर नादान बढ़ता जाता है और अंजाम भुगतता है।
4 नम्र होने और यहोवा का डर मानने से,
दौलत, आदर और जीवन मिलता है।+
5 टेढ़े इंसान की राह में काँटे और फंदे बिछे होते हैं,
लेकिन जिसे अपनी जान प्यारी है वह इनसे दूर रहता है।+
6 लड़के को उस राह पर चलना सिखा, जिस पर उसे चलना चाहिए+
और वह बुढ़ापे में भी उससे नहीं हटेगा।+
7 अमीर, गरीब पर राज करता है
और उधार लेनेवाला, उधार देनेवाले का गुलाम होता है।+
8 जो बुराई बोता है वह विपत्ति की फसल काटेगा+
और जिस छड़ी से वह कहर ढाता है वह टूट जाएगी।+
9 दरियादिल इंसान पर आशीषें बरसेंगी,
क्योंकि वह गरीबों के साथ अपना खाना बाँटता है।+
10 ठट्ठा करनेवाले को भगा दे, तब झगड़ा मिट जाएगा,
बहसबाज़ी और अपमान का अंत हो जाएगा।
11 जिसकी बोली मनभावनी है और जिसे साफ दिल पसंद है,
राजा उसका दोस्त होता है।+
12 यहोवा, बुद्धि से काम लेनेवालों की हिफाज़त करता है,
लेकिन छल-कपट करनेवाले की बातें उलट देता है।+
13 आलसी कहता है, “बाहर शेर है!
अगर मैं चौक पर गया तो पक्का मारा जाऊँगा।”+
14 बदचलन औरत का मुँह गहरी खाई है+
और यहोवा जिसे धिक्कारता है वह उसमें जा गिरेगा।
15 लड़के के मन में मूर्खता बसी होती है,+
लेकिन शिक्षा की छड़ी उसे दूर कर देगी।+
16 जो गरीब को लूटकर अपने भंडार भरता है+
और जो अमीर को तोहफे देता है,
वे दोनों ही गरीब हो जाएँगे।
17 बुद्धिमान की बातों पर कान लगा+
ताकि तू मेरी सिखायी बातों पर पूरे दिल से चल सके।+
18 इन्हें संजोए रख, तब तुझे खुशी मिलेगी+
और ये हमेशा तेरे होंठों पर बनी रहेंगी।+
19 मैंने आज ये बातें तुझे बतायी हैं
ताकि तेरा भरोसा यहोवा पर हो।
20 मैंने पहले भी बहुत-सी सलाह
और ज्ञान की बातें तुझे लिखी थीं
21 कि तू सच्ची और भरोसेमंद बातें सीखे
और अपने भेजनेवाले के पास सही-सही जानकारी ले जाए।
22 गरीब को गरीब जानकर मत लूट,+
शहर के फाटक पर दीन-दुखियों को मत कुचल।+
23 क्योंकि खुद यहोवा उनका मुकदमा लड़ेगा+
और जो उन्हें लूटते हैं उन्हें ज़िंदा नहीं छोड़ेगा।
24 गरम मिज़ाजवाले के साथ मत रह
और जो बात-बात पर भड़क उठता है उससे दोस्ती मत रख,
25 कहीं ऐसा न हो कि तू उसके जैसी चाल चलने लगे
और यह तेरे लिए फंदा साबित हो।+
26 उन लोगों जैसा मत बन, जो हाथ मिलाकर
दूसरों का कर्ज़ चुकाने का ज़िम्मा लेते हैं।+
27 क्योंकि अगर तेरे पास चुकाने के लिए कुछ न हो,
तो तेरा बिस्तर भी तुझसे छीन लिया जाएगा।
28 बरसों पहले जो सीमा-चिन्ह
तेरे पुरखों ने ठहराया था, उसे मत खिसकाना।+
29 क्या तूने ऐसे आदमी को देखा है जो अपने काम में माहिर है?
वह किसी मामूली इंसान के सामने नहीं,
राजा-महाराजाओं के सामने खड़ा होगा।+