नीतिवचन
30 याके के बेटे आगूर की तरफ से ज़रूरी संदेश। यह संदेश ईतीएल और ऊकल के लिए है।
3 मैं नहीं कहता कि मैं बुद्धिमान हूँ।
जितना ज्ञान परम-पवित्र परमेश्वर को है, वह मुझमें कहाँ!
4 ऐसा कौन है जो स्वर्ग पर चढ़ा हो, फिर धरती पर उतरा हो?+
किसने हवा को अपनी दोनों मुट्ठियों में बंद किया है?
किसने पानी को अपने कपड़ों में लपेटा है?+
किसने पृथ्वी के चारों कोने ठहराए हैं?+
अगर तुझे उसका और उसके बेटे का नाम पता है तो बता।
5 परमेश्वर का हर वचन पूरी तरह शुद्ध है,+
वह उनके लिए ढाल है जो उसमें पनाह लेते हैं।+
7 हे परमेश्वर, मुझे और कुछ नहीं चाहिए,
बस मेरे जीते-जी ये दो चीज़ें कर दे,
मुझे बस मेरे हिस्से का खाना दे,+
9 ऐसा न हो कि मेरे पास बहुत हो जाए और मैं तुझसे मुकरकर कहूँ, “यहोवा कौन है?”+
या मैं गरीब हो जाऊँ और चोरी करके अपने परमेश्वर का नाम बदनाम करूँ।
11 ऐसी भी पीढ़ी है जो अपने पिता को बददुआएँ देती है
और अपनी माँ के लिए उनके मुँह से दुआएँ नहीं निकलतीं।+
14 ऐसी भी पीढ़ी है जिसके दाँत तलवार जैसे
और जबड़े छुरे जैसे हैं।
वह धरती के दीन-दुखियों
और गरीबों को फाड़ खाती है।+
15 जोंक की दो बेटियाँ हैं जो “दे दो, दे दो” चिल्लाती हैं।
तीन चीज़ें हैं जो कभी तृप्त नहीं होतीं,
बल्कि चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं “बस हुआ!”
17 जो अपने पिता का तिरस्कार करता है
और अपनी माँ की आज्ञा को तुच्छ जानता है,+
उसकी आँखें घाटी के कौवे और उकाब के बच्चे नोंच खाएँगे।+
18 तीन बातें हैं जो मेरी समझ से बाहर हैं,
हाँ, चार बातें हैं जिन्हें मैं नहीं समझ पाया:
19 आसमान में उड़ते उकाब की राह,
चट्टान पर साँप की चाल,
खुले समुंदर में जहाज़ का मार्ग
और लड़के का लड़की से व्यवहार।
20 बदचलन औरत ऐसी होती है:
वह खा-पीकर अपना मुँह पोंछती है
और कहती है, “मैंने कुछ गलत नहीं किया।”+
21 तीन चीज़ें ऐसी हैं जिनसे धरती काँप उठती है,
बल्कि चार चीज़ें हैं जो वह बरदाश्त नहीं कर सकती:
मूर्ख के पास ढेर सारा खाना होना,
23 उस औरत की शादी होना जिससे सब नफरत करते हैं
और नौकरानी का अपनी मालकिन की जगह लेना।+
29 तीन जीव ऐसे हैं जो बड़ी ठाट से चलते हैं,
बल्कि चार हैं, जिनकी चाल में शान नज़र आती है:
31 शिकारी कुत्ता, बकरा
और अपनी सेना के आगे-आगे चलनेवाला राजा।