भजन
दाविद का सुरीला गीत।
101 मैं अटल प्यार और न्याय के बारे में गीत गाऊँगा।
हे यहोवा, मैं तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*
2 मैं सूझ-बूझ से काम लूँगा और निर्दोष बना रहूँगा।
तू कब मेरे पास आएगा?
मैं अपने घर के अंदर भी निर्दोष मन से सही चाल चलूँगा।+
3 मैं अपनी आँखों के सामने कोई बेकार की* चीज़ नहीं रखूँगा।
मैं उन लोगों के कामों से नफरत करता हूँ जो सही राह से भटक जाते हैं।+
मैं उनसे कोई नाता नहीं रखूँगा।*
घमंड से चढ़ी आँखें और मगरूर दिल
मैं बरदाश्त नहीं करूँगा।
6 मेरी आँखें धरती के विश्वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी
ताकि वे मेरे साथ निवास करें।
जो निर्दोष चाल चलता है वह मेरी सेवा करेगा।