दूसरा इतिहास
15 परमेश्वर की पवित्र शक्ति ओदेद के बेटे अजरयाह पर आयी। 2 तब अजरयाह आसा से मिलने गया और उससे कहा, “हे आसा और यहूदा और बिन्यामीन के सब लोगो, मेरी बात सुनो! यहोवा तब तक तुम्हारे साथ रहेगा जब तक तुम उसके साथ रहोगे।+ अगर तुम उसकी खोज करोगे तो वह तुम्हें मिलेगा,+ लेकिन अगर तुम उसे छोड़ दोगे तो वह भी तुम्हें छोड़ देगा।+ 3 इसराएल काफी लंबे समय* तक बिना सच्चे परमेश्वर के, बिना सिखानेवाले याजक के और बिना कानून के रहा था।+ 4 मगर जब वे संकट में पड़ गए और इसराएल के परमेश्वर यहोवा के पास लौट आए और उसकी खोज करने लगे, तो वह उन्हें मिला।+ 5 उन दिनों कोई भी सही-सलामत कहीं सफर नहीं कर सकता था* क्योंकि देश के सब लोगों में काफी खलबली मची हुई थी। 6 एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को और एक शहर दूसरे शहर को कुचल रहा था, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर हर तरह का संकट लाकर उन्हें गड़बड़ी में डाल दिया था।+ 7 मगर तुम लोग मज़बूत बने रहो और हिम्मत न हारो*+ क्योंकि तुम्हें अपने काम का इनाम मिलेगा।”
8 जैसे ही आसा ने अजरयाह के ये शब्द और भविष्यवक्ता ओदेद की भविष्यवाणी सुनी, उसे हिम्मत मिली और उसने यहूदा और बिन्यामीन के पूरे इलाके से और एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश के उन शहरों से, जिन पर उसने कब्ज़ा किया था, घिनौनी मूरतें निकाल दीं।+ उसने यहोवा की वेदी ठीक की, जो यहोवा के भवन के बरामदे के सामने थी।+ 9 उसने यहूदा और बिन्यामीन के सब लोगों को और एप्रैम, मनश्शे और शिमोन के इलाकों में रहनेवाले परदेसियों को इकट्ठा किया। ये परदेसी बड़ी तादाद में इसराएल छोड़कर आसा के पास आ गए थे+ क्योंकि उन्होंने देखा था कि आसा का परमेश्वर यहोवा उसके साथ है। 10 उन सबको आसा के राज के 15वें साल के तीसरे महीने में यरूशलेम में इकट्ठा किया गया। 11 उस दिन उन्होंने लूट के माल से, जो वे लाए थे, 700 बैलों और 7,000 भेड़ों को यहोवा के लिए बलि किया। 12 साथ ही, उन्होंने यह करार किया कि वे पूरे दिल और पूरी जान से अपने पुरखों के परमेश्वर यहोवा की खोज करेंगे।+ 13 जो कोई इसराएल के परमेश्वर यहोवा की खोज नहीं करेगा वह मार डाला जाएगा, फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा, आदमी हो या औरत।+ 14 उन्होंने तुरहियाँ और नरसिंगे फूँकते हुए ज़ोरदार आवाज़ में यहोवा से शपथ खायी और खुशी से जयजयकार की। 15 इस शपथ पर सारे यहूदा के लोगों ने खुशियाँ मनायीं, क्योंकि उन्होंने पूरे दिल से शपथ खायी थी और पूरे जोश से उसकी खोज की थी और वह उन्हें मिला।+ यहोवा उन्हें हर तरफ से शांति देता रहा।+
16 यहाँ तक कि राजा आसा ने अपनी दादी माका+ को राजमाता के पद से हटा दिया क्योंकि माका ने पूजा-लाठ* की उपासना के लिए एक अश्लील मूरत खड़ी करवायी थी।+ आसा ने उसकी अश्लील मूरत काट डाली, उसे चूर-चूर करके किदरोन घाटी में जला दिया।+ 17 मगर इसराएल से ऊँची जगह नहीं मिटायी गयीं।+ फिर भी आसा का दिल सारी ज़िंदगी परमेश्वर पर पूरी तरह लगा रहा।+ 18 वह सच्चे परमेश्वर के भवन में वह सारा सोना, चाँदी और दूसरी चीज़ें ले आया जो उसने और उसके पिता ने पवित्र ठहरायी थीं।+ 19 आसा के राज के 35वें साल तक कोई युद्ध नहीं हुआ।+