भजन
मश्कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब वह एक गुफा में था।+ एक प्रार्थना।
मैं जिस रास्ते पर चलता हूँ,
वहाँ मेरे दुश्मन मेरे लिए फंदा छिपाते हैं।
ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ मैं भाग सकूँ,+
मेरी फिक्र करनेवाला कोई नहीं।
5 हे यहोवा, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ।
6 मेरी मदद की पुकार पर ध्यान दे,
क्योंकि मैं बड़ी मुसीबत में हूँ।
मुझ पर ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,+
क्योंकि वे मुझसे ज़्यादा ताकतवर हैं।
7 मुझे इस काल-कोठरी से बाहर निकाल
ताकि मैं तेरे नाम की तारीफ करूँ।
नेक लोग मेरे चारों तरफ इकट्ठा हों
क्योंकि तू मेरे साथ कृपा से पेश आता है।