तीतुस के नाम चिट्ठी
3 उन्हें याद दिलाता रह कि सरकारों और अधिकारियों के अधीन रहें और उनकी आज्ञा मानें,+ हर अच्छे काम के लिए तैयार रहें, 2 किसी के बारे में भी बदनाम करनेवाली बातें न कहें, झगड़ालू न हों, लिहाज़ करनेवाले हों+ और सब लोगों के साथ पूरी कोमलता से पेश आएँ।+ 3 इसलिए कि एक वक्त था जब हम भी मूर्ख थे, आज्ञा नहीं मानते थे, गुमराह थे, तरह-तरह की इच्छाओं के गुलाम थे और ऐशो-आराम में डूबे रहते थे, बुराई में लगे रहते थे, ईर्ष्या करते थे, घिनौने थे और एक-दूसरे से नफरत करते थे।
4 मगर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा+ और सब इंसानों के लिए उसका प्यार ज़ाहिर हुआ 5 (इसलिए नहीं कि हमने नेक काम किए थे+ बल्कि यह उसकी दया थी),+ तो उसने हमें पानी* के ज़रिए जीवन देकर+ और पवित्र शक्ति के ज़रिए नया बनाकर हमारा उद्धार किया।+ 6 उसने यह पवित्र शक्ति हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के ज़रिए हम पर बहुतायत में* उँडेली है+ 7 ताकि उसकी महा-कृपा के ज़रिए हम नेक ठहराए जाएँ+ और इसके बाद हमेशा की ज़िंदगी की आशा के मुताबिक+ वारिस बनें।+
8 ये बातें भरोसे के लायक हैं और मैं चाहता हूँ कि तू इन बातों पर ज़ोर देता रह ताकि जिन्होंने परमेश्वर पर यकीन किया है वे अपना ध्यान बढ़िया काम करने में लगाए रखें। ये बातें लोगों के लिए बढ़िया और फायदेमंद हैं।
9 मगर मूर्खता से भरे वाद-विवादों और वंशावलियों से और कानून पर बहस और झगड़ों से दूर रह क्योंकि इनसे कोई फायदा नहीं होता और ये बेकार हैं।+ 10 अगर कोई आदमी किसी गुट को बढ़ावा देता है,+ तो उसे पहली और दूसरी बार समझा*+ और इसके बाद उससे संगति करना छोड़ दे,+ 11 यह जानते हुए कि ऐसा आदमी सही राह से हट गया है और पाप कर रहा है और उसने खुद को दोषी ठहराया है।
12 जब मैं अरतिमास या तुखिकुस+ को तेरे पास भेजूँ, तो तू नीकुपुलिस में मेरे पास आने की पूरी कोशिश करना क्योंकि मैंने सर्दियाँ वहीं बिताने का फैसला किया है। 13 ज़ेनस को, जो कानून का जानकार है और अपुल्लोस को वह सारी चीज़ें देना जो उनके सफर के लिए ज़रूरी हैं ताकि उन्हें कोई कमी न हो।+ 14 हमारे लोग भी बढ़िया कामों में लगे रहना सीखें ताकि मुसीबत के वक्त मदद कर सकें+ और निकम्मे* न बनें।+
15 जो लोग मेरे साथ हैं वे सब तुझे नमस्कार कह रहे हैं। उन लोगों को मेरा नमस्कार कहना जो विश्वास में हमसे गहरा लगाव रखते हैं।
परमेश्वर की महा-कृपा तुम सब पर बनी रहे।