जकरयाह
2 फिर मैंने नज़र उठायी और देखा, एक आदमी हाथ में नापने की डोरी लिए है।+ 2 मैंने पूछा, “तू कहाँ जा रहा है?”
उसने कहा, “मैं यरूशलेम की लंबाई-चौड़ाई नापने जा रहा हूँ।”+
3 फिर मैंने देखा, जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था वह चला गया और एक दूसरा स्वर्गदूत उससे मिलने आया। 4 उस स्वर्गदूत ने उससे कहा, “दौड़कर उस जवान आदमी के पास जा और उसे बता, ‘यरूशलेम एक खुली बस्ती* की तरह आबाद होगी+ क्योंकि उसमें आदमियों और मवेशियों की गिनती बढ़ती जाएगी।’+ 5 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उसके चारों तरफ आग की दीवार बनकर रहूँगा+ और उसे अपनी महिमा से भर दूँगा।’”+
6 यहोवा ऐलान करता है, “भाग आओ! भाग आओ! उत्तर के देश से निकल आओ!”+
यहोवा कहता है, “मैंने तुम्हें चारों दिशाओं में* तितर-बितर कर दिया है।”+
7 “हे सिय्योन, निकल आ! तू जो बैबिलोन की बेटी के संग रहती है, भाग आ!+ 8 सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने महिमा पाने के बाद, मुझे उन राष्ट्रों के पास भेजा है जिन्होंने तुम्हें लूटा था।+ वह कहता है, ‘जो तुम्हें छूता है वह मेरी आँख की पुतली को छूता है।+ 9 मैं अपना हाथ उनके खिलाफ उठाऊँगा और वे अपने ही गुलामों के लिए लूट का माल बन जाएँगे।’+ और तुम जान लोगे कि सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने मुझे भेजा है।”
10 यहोवा ऐलान करता है, “हे सिय्योन की बेटी, खुशी से चिल्ला!+ क्योंकि मैं आ रहा हूँ+ और मैं तेरे बीच रहूँगा।+ 11 उस दिन कई राष्ट्र मुझ यहोवा के साथ जुड़ जाएँगे+ और मेरे लोग बन जाएँगे और मैं तेरे बीच रहूँगा।” और तू जान लेगी कि सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने मुझे तेरे पास भेजा है। 12 यहोवा पवित्र ज़मीन पर यहूदा को अपना हिस्सा मानकर उस पर अधिकार कर लेगा और यरूशलेम को फिर से चुन लेगा।+ 13 हर इंसान यहोवा के सामने चुप रहे क्योंकि वह कदम उठाने के लिए अपने पवित्र निवास से आ रहा है।