यहेजकेल
3 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, तेरे सामने जो चीज़ है उसे खा ले।* हाँ, इस खर्रे को खा ले और फिर जाकर इसराएल के घराने से बात कर।”+
2 तब मैंने अपना मुँह खोला और उसने मुझे वह खर्रा खाने के लिए दिया। 3 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, यह खर्रा जो मैं तुझे दे रहा हूँ इसे खा ले और इससे अपना पेट भर।” जब मैं खर्रा खाने लगा तो वह मेरे मुँह में शहद जैसा मीठा लगा।+
4 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, इसराएल के घराने के पास जा और उसे मेरा संदेश सुना। 5 मैं तुझे ऐसे लोगों के पास नहीं भेज रहा हूँ जिनकी भाषा तेरे लिए समझना मुश्किल है या जिनकी बोली तू नहीं जानता, बल्कि तुझे इसराएल के घराने के पास ही भेज रहा हूँ। 6 मैं तुझे ऐसे बहुत-से राष्ट्रों के पास नहीं भेज रहा हूँ जिनकी भाषा तेरे लिए समझना मुश्किल है या जिनकी बोली तू नहीं जानता या जिनकी बातें तेरी समझ से बाहर हैं। अगर मैं तुझे उनके पास भेजूँ तो वे तेरी बात सुन लेंगे,+ 7 मगर इसराएल का घराना तेरा संदेश सुनने से इनकार कर देगा क्योंकि वह मेरी बात सुनना ही नहीं चाहता।+ इसराएल के घराने के सभी लोग दिल और दिमाग से ढीठ हैं।+ 8 मगर वे जितने ढीठ और सख्त हैं, मैंने तुझे भी उतना ही सख्त और मज़बूत किया है।*+ 9 मैंने तुझे हीरे जैसा सख्त कर दिया और चकमक पत्थर से भी कड़ा बना दिया है।+ तू उन लोगों से डरना मत, न ही उनके चेहरे देखकर खौफ खाना+ क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं।”
10 उसने मुझसे यह भी कहा, “इंसान के बेटे, मैं तुझे जो-जो बता रहा हूँ उसे तू ध्यान से सुन और अपने दिल में बिठा ले। 11 फिर तू अपने लोगों* के पास जा जो बँधुआई में हैं+ और उन्हें मेरा संदेश सुना। चाहे वे तेरी बात सुनें या सुनने से इनकार कर दें, तू उनसे कहना, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश है।’”+
12 फिर एक शक्ति* मुझे उठाकर ले गयी+ और मैंने पीछे से तेज़ गड़गड़ाहट जैसी आवाज़ सुनी जो कह रही थी, “जहाँ यहोवा रहता है वहाँ से उसके प्रताप की बड़ाई हो।” 13 और उन जीवित प्राणियों के पंखों के एक-दूसरे से लगने की आवाज़ आ रही थी+ और पास में जो पहिए थे, उनके घूमने की आवाज़ आ रही थी+ और एक ज़ोरदार गड़गड़ाहट हो रही थी। 14 फिर वह शक्ति* मुझे उठाकर अपने साथ ले चली। जब मैं उसके साथ जा रहा था तो मेरा मन गुस्से और कड़वाहट से भरा था, मगर यहोवा का हाथ मुझ पर मज़बूती से कायम था। 15 मैं बंदी बनाए गए लोगों के पास गया जो कबार नदी के पास तेल-अबीब में रहते थे।+ मैं वहीं उनके यहाँ रहने लगा। मेरी सदमे की सी हालत हो गयी थी+ और मैं उसी हाल में सात दिन तक उनके बीच रहा।
16 फिर सात दिन के बीतने पर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा:
17 “इंसान के बेटे, मैंने तुझे इसराएल के घराने के लिए पहरेदार ठहराया है।+ जब तू मेरे मुँह से कोई संदेश सुनता है, तो जाकर मेरी तरफ से लोगों को चेतावनी देना।+ 18 जब मैं किसी दुष्ट से कहूँ, ‘तू ज़रूर मर जाएगा,’ मगर तू जाकर उसे चेतावनी नहीं देता और उसे नहीं बताता कि वह अपने दुष्ट कामों से फिर जाए और अपनी जान बचाए,+ तो वह दुष्ट अपनी दुष्टता की वजह से मर जाएगा,+ मगर उसके खून का हिसाब मैं तुझसे माँगूँगा।*+ 19 लेकिन अगर तू एक दुष्ट को चेतावनी देता है, फिर भी वह अपने दुष्ट कामों से नहीं फिरता और बुराई का रास्ता नहीं छोड़ता तो वह अपने गुनाह की वजह से मरेगा, लेकिन तू अपनी जान बचाएगा।+ 20 अगर एक नेक इंसान नेकी की राह छोड़कर गलत काम करने लगता है,* तो मैं उसकी राह में बाधाएँ पैदा करूँगा और वह मर जाएगा।+ अगर तू उसे चेतावनी नहीं देगा तो वह अपने पाप की वजह से मर जाएगा और उसने पहले जितने भी नेक काम किए थे वे याद नहीं किए जाएँगे, मगर उसके खून का हिसाब मैं तुझसे माँगूँगा।*+ 21 लेकिन अगर तू उस नेक इंसान को चेतावनी देता है कि वह पाप न करे और वह पाप नहीं करता, तो वह ज़रूर ज़िंदा रहेगा क्योंकि उसे चेतावनी दी गयी है+ और तू भी अपनी जान बचाएगा।”
22 फिर वहाँ यहोवा का हाथ मुझ पर आया और उसने मुझसे कहा, “उठ और घाटी में जा। मैं तुझसे वहाँ बात करूँगा।” 23 तब मैं उठा और घाटी में गया और देख! वहाँ यहोवा की महिमा दिखायी दी।+ बिलकुल वैसी ही महिमा जैसी मैंने कबार नदी के पास देखी थी+ और मैं मुँह के बल गिर गया। 24 फिर पवित्र शक्ति मेरे अंदर आयी और उसने मुझे पैरों के बल खड़ा किया।+ तब परमेश्वर ने मुझसे बात की और कहा,
“तू अपने घर के अंदर जा और दरवाज़ा बंद कर ले। 25 इंसान के बेटे, वे लोग तुझे रस्सियों से बाँध देंगे ताकि तू उनके पास न जा सके। 26 मैं तेरी जीभ तालू से चिपका दूँगा और तू उन्हें फटकारने के लिए उनसे कुछ नहीं कह पाएगा क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं। 27 लेकिन जब भी मैं तुझसे बात करूँगा तो तेरा मुँह खोल दूँगा और तू उनसे कहना,+ ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश है।’ उनमें से जो सुनना चाहता है वह सुने+ और जो सुनने से इनकार करता है वह इनकार कर दे क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं।+