दूसरा शमूएल
7 जब राजा दाविद अपने महल में रहने लगा+ और यहोवा ने उसे आस-पास के सभी दुश्मनों से राहत दिलायी, 2 तो राजा ने भविष्यवक्ता नातान+ से कहा, “देख, मैं तो देवदार से बने महल में रह रहा हूँ,+ जबकि सच्चे परमेश्वर का संदूक कपड़े से बने तंबू में रखा हुआ है।”+ 3 नातान ने राजा से कहा, “जा, तेरे मन में जो कुछ है वह कर क्योंकि यहोवा तेरे साथ है।”+
4 उसी दिन, रात को यहोवा का यह संदेश नातान के पास पहुँचा, 5 “तू जाकर मेरे सेवक दाविद से कहना, ‘यहोवा तुझसे कहता है, “क्या तू मेरे निवास के लिए एक भवन बनाना चाहता है?+ 6 जब से मैं इसराएल के लोगों को मिस्र से निकाल लाया, तब से लेकर आज तक क्या मैंने किसी भवन में निवास किया है?+ मैं हमेशा एक तंबू या डेरे में रहकर एक जगह से दूसरी जगह जाता रहा।+ 7 जिस दौरान मैं अपनी प्रजा इसराएल के साथ-साथ चलता रहा और मैंने उसके गोत्रों पर प्रधान ठहराए थे कि वे चरवाहों की तरह उनकी देखभाल करें, तब क्या मैंने कभी किसी प्रधान से कहा कि तूने मेरे लिए देवदार का भवन क्यों नहीं बनाया?”’ 8 तू मेरे सेवक दाविद से कहना, ‘सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं तुझे चरागाहों से ले आया था जहाँ तू भेड़ों की देखभाल करता था+ और तुझे अपनी प्रजा इसराएल का अगुवा बनाया।+ 9 तू जहाँ कहीं जाएगा मैं तेरे साथ रहूँगा+ और तेरे सामने से तेरे सभी दुश्मनों को नाश कर दूँगा+ और तेरा नाम ऐसा महान करूँगा+ कि तू दुनिया के बड़े-बड़े नामी आदमियों में गिना जाएगा। 10 मैं अपनी प्रजा इसराएल के लिए एक जगह चुनूँगा और वहाँ उन्हें बसाऊँगा। वे वहाँ चैन से जीएँगे, कोई उन्हें दुख नहीं देगा। उन पर दुष्ट लोग अत्याचार नहीं करेंगे, जैसे गुज़रे वक्त में+ 11 दुष्ट मेरे लोगों पर तब से अत्याचार करते रहे जब मैंने उन पर न्यायी ठहराए थे।+ मैं तुझे तेरे सभी दुश्मनों से राहत दिलाऊँगा।+
यहोवा तुझसे यह भी कहता है कि यहोवा तेरे लिए एक राज-घराना तैयार करेगा।+ 12 जब तेरी उम्र पूरी हो जाएगी+ और तेरी मौत हो जाएगी* तो मैं तेरे वंश* को, तेरे अपने बेटे को* खड़ा करूँगा और उसका राज मज़बूती से कायम करूँगा।+ 13 वही मेरे नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाएगा+ और मैं उसकी राजगद्दी सदा के लिए मज़बूती से कायम करूँगा।+ 14 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा बेटा होगा।+ जब वह गलती करेगा तो मैं उसे सुधारूँगा* और इंसानों की तरह कोड़े मारकर उसे सज़ा दूँगा।+ 15 मैं उससे प्यार* करना कभी नहीं छोड़ूँगा, जैसे मैंने शाऊल से करना छोड़ दिया था जो तुझसे पहले था।+ 16 तेरा राज-घराना और तेरा राज तेरे सामने हमेशा बने रहेंगे। तेरी राजगद्दी सदा तक कायम रहेगी।”’”+
17 नातान ने जाकर ये सारी बातें और यह पूरा दर्शन दाविद को बताया।+
18 तब राजा दाविद यहोवा के सामने बैठकर कहने लगा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, मेरी हस्ती ही क्या है? मैं और मेरा घराना कुछ भी नहीं। फिर भी तूने मुझे ऊँचा उठाकर इस मुकाम तक पहुँचाया।+ 19 हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तूने यह भी वादा किया है कि तेरे सेवक का राज-घराना मुद्दतों तक कायम रहेगा। हे सारे जहान के मालिक यहोवा, यह कानून* सभी इंसानों के लिए है। 20 तेरा यह सेवक दाविद भला तुझसे और क्या कह सकता है? हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू अपने सेवक को अच्छी तरह जानता है।+ 21 तूने ये सारे महान काम इसलिए किए हैं क्योंकि तूने ऐसा करने का वादा किया था और यह तेरे मन की इच्छा के मुताबिक था। और तूने यह सब अपने सेवक पर ज़ाहिर किया है।+ 22 इसीलिए हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू सचमुच महान है!+ तेरे जैसा और कोई नहीं।+ हमने बहुत-से ईश्वरों के बारे में सुना है, मगर तुझे छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।+ 23 और इस धरती पर तेरी प्रजा इसराएल जैसा कौन-सा राष्ट्र है?+ परमेश्वर जाकर उन्हें छुड़ा लाया ताकि वे उसके अपने लोग बनें।+ उसने उनकी खातिर महान और विस्मयकारी काम करके+ अपना नाम ऊँचा किया।+ तूने अपने लोगों को मिस्र से छुड़ाने के बाद उनकी खातिर दूसरी जातियों को और उनके देवताओं को खदेड़कर बाहर कर दिया। 24 तूने अपनी प्रजा इसराएल को हमेशा के लिए अपने लोग बना लिया+ और हे यहोवा, तू उनका परमेश्वर बन गया।+
25 अब हे यहोवा परमेश्वर, तूने अपने सेवक और उसके घराने के बारे में जो वादा किया है, उसे तू हमेशा निभाए और ठीक वैसा ही करे जैसा तूने वादा किया है।+ 26 तेरा नाम सदा ऊँचा रहे+ ताकि लोग कहें, ‘सेनाओं का परमेश्वर यहोवा इसराएल का परमेश्वर है’ और तेरे सेवक दाविद का राज-घराना तेरे सामने सदा तक मज़बूती से कायम रहे।+ 27 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हे इसराएल के परमेश्वर, तूने अपने सेवक पर यह बात ज़ाहिर की है कि मैं तेरे लिए एक राज-घराना बनाऊँगा।+ इसीलिए तेरा यह सेवक तुझसे यह प्रार्थना करने की हिम्मत जुटा पाया है। 28 हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू ही सच्चा परमेश्वर है और तेरे वचन सच्चे हैं+ और तूने अपने सेवक से इन भले कामों का वादा किया है। 29 इसलिए मेरी दुआ है कि तू अपने सेवक के घराने को खुशी-खुशी आशीष दे और यह घराना तेरे सामने हमेशा कायम रहे+ क्योंकि हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तूने ही यह वादा किया है और तेरी आशीष तेरे सेवक के घराने पर सदा बनी रहे।”+