भजन
दाविद की रचना।
3 अपना भाला और अपनी कुल्हाड़ी लेकर मेरा पीछा करनेवालों का सामना कर।+
मुझसे कह, “मैं तेरा उद्धारकर्ता हूँ।”+
4 जो मेरी जान लेने पर तुले हैं, वे शर्मिंदा और बेइज़्ज़त किए जाएँ।+
जो मुझे नाश करने के लिए साज़िशें रचते हैं, वे बेइज़्ज़त होकर भाग जाएँ।
6 जब यहोवा का स्वर्गदूत उनका पीछा करे,
तो उनका रास्ता अँधेरा और फिसलन-भरा हो जाए।
7 क्योंकि उन्होंने बेवजह मेरे लिए जाल बिछाया है,
बेवजह मेरे लिए गड्ढा खोदा है।
8 मुसीबत उन पर अचानक आ पड़े,
वे अपने ही बिछाए जाल में फँस जाएँ,
अपने ही खोदे गड्ढे में गिरकर नाश हो जाएँ।+
9 मगर मैं यहोवा के कारण मगन होऊँगा,
वह जो उद्धार दिलाता उससे आनंद मनाऊँगा।
10 मेरा रोम-रोम कहेगा,
“हे यहोवा, तुझ जैसा कौन है?
11 ऐसे गवाह सामने आए हैं जिन्होंने मेरा बुरा करने की ठान ली है,+
वे मुझसे ऐसी बातें पूछते हैं जो मैं नहीं जानता।
13 मगर जब वे बीमार थे तब मैंने टाट ओढ़ा था,
उपवास करके खुद को दुख दिया था
और जब मेरी प्रार्थना का कोई जवाब नहीं मिलता,*
14 तो मैं मातम मनाते हुए फिरता, मानो मैंने अपना दोस्त या भाई खो दिया हो,
अपनी माँ के लिए मातम मनानेवाले की तरह मैं दुख से झुक गया।
15 मगर जब मैं गिर पड़ा तो वे खुश हुए और इकट्ठा हो गए,
वे घात लगाकर मुझ पर हमला करने के लिए इकट्ठा हो गए,
उन्होंने मुझे तार-तार कर दिया और चुप नहीं रहे।
17 हे यहोवा, तू कब तक यूँ ही देखता रहेगा?+
19 मुझसे बेवजह दुश्मनी करनेवालों को मुझ पर हँसने न दे,
मुझसे बेवजह नफरत करनेवालों+ को बुरे इरादे से एक-दूसरे को आँख मारने न दे।+
20 क्योंकि वे शांति की बातें नहीं करते
बल्कि जो देश में शांति से रहते हैं, उनके खिलाफ चालाकी से साज़िश रचते हैं।+
21 वे गला फाड़-फाड़कर मुझ पर दोष लगाते हैं,
वे कहते हैं, “अच्छा हुआ! जैसा हमने सोचा था वैसा ही हो गया!”
22 हे यहोवा, तूने यह देखा है। तू चुप न रह।+
हे यहोवा, मुझसे दूर न रह।+
23 जाग! मेरे बचाव के लिए उठ,
मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी तरफ से पैरवी कर।
25 वे खुद से कभी यह कहने न पाएँ, “अरे वाह! हमने जो चाहा वही हुआ!”
वे मेरे बारे में यह कभी कहने न पाएँ, “हमने उसे निगल लिया।”+
26 मेरी बरबादी पर हँसनेवाले सभी शर्मिंदा और बेइज़्ज़त किए जाएँ।
मुझे नीचा दिखानेवाले शर्म और अपमान से ओढ़े जाएँ।
27 मगर मेरी नेकी से खुश होनेवाले आनंद से जयजयकार करें,
वे लगातार कहते रहें, “यहोवा की महिमा हो,
जो अपने सेवक की शांति देखकर खुश होता है।”+