17 जहाँ झगड़े हों वहाँ बड़ी दावत उड़ाने से अच्छा है,
जहाँ चैन हो वहाँ सूखी रोटी खाना।+
2 अंदरूनी समझ रखनेवाला नौकर,
उस बेटे पर राज करेगा, जो शर्मनाक काम करता है
और उसकी जायदाद का हिस्सेदार बनेगा मानो वह उसका भाई हो।
3 चाँदी के लिए कुठाली और सोने के लिए भट्ठी होती है,+
मगर दिलों का जाँचनेवाला यहोवा है।+
4 दुष्ट, चोट पहुँचानेवाली बातों पर कान लगाता है
और मक्कार, बुरी बातों पर ध्यान देता है।+
5 जो गरीब का मज़ाक उड़ाता है, वह उसके बनानेवाले का अपमान करता है।+
और जो दूसरों की बरबादी पर हँसता है, वह सज़ा से नहीं बचेगा।+
6 बूढ़ों का ताज उनके नाती-पोते होते हैं
और बेटों को अपने पिता पर गर्व होता है।
7 जब अच्छी बातें कहना मूर्ख को शोभा नहीं देता,+
तो फिर झूठी बातें कहना शासक को कैसे शोभा देगा!+
8 तोहफा, अपने मालिक के लिए अनमोल रत्न है,+
जो कुछ वह करता है उसमें कामयाब होता है।+
9 जो अपराध माफ करता है, वह प्यार की खोज में रहता है,+
लेकिन जो एक ही बात पर अड़ जाता है, वह जिगरी दोस्तों में फूट डाल देता है।+
10 समझदार के लिए एक फटकार ही काफी होती है,+
जबकि मूर्ख सौ डंडे खाकर भी नहीं सुधरता।+
11 बुरा इंसान सिर्फ बगावत करने की सोचता है,
इसलिए उसे सज़ा देने के लिए जो दूत भेजा जाएगा, वह कोई रहम नहीं करेगा।+
12 अपनी मूर्खता में डूबे मूर्ख का सामना करने से अच्छा है,
उस रीछनी का सामना करना जिसके बच्चे छीन लिए गए हों।+
13 जो अच्छाई का बदला बुराई से चुकाता है,
उसके घर से मुसीबत नहीं टलेगी।+
14 झगड़ा शुरू करना बाँध को खोलने जैसा है,
इससे पहले कि बात बढ़े वहाँ से निकल जा।+
15 दुष्ट को निर्दोष ठहरानेवाले और नेक को दोषी ठहरानेवाले,+
दोनों से यहोवा घिन करता है।
16 अगर मूर्ख के पास बुद्धि हासिल करने का ज़रिया हो,
मगर मन में इच्छा न हो, तो क्या फायदा!+
17 सच्चा दोस्त हर समय प्यार करता है+
और मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।+
18 जिसमें समझ नहीं, वह समझौते में हाथ मिलाता है
और अपने पड़ोसी के सामने दूसरों का ज़िम्मा लेता है।+
19 जिसे झगड़ा करने में मज़ा आता है, उसे अपराध करना पसंद है,+
जो अपना फाटक ऊँचा करता है, वह मुसीबत को दावत देता है।+
20 टेढ़े मनवालों को कामयाबी नहीं मिलेगी,+
छल की बातें करनेवाले बरबाद हो जाएँगे।
21 मूर्ख को जन्म देनेवाला पिता दुख झेलेगा,
नासमझ बेटे के पिता को कोई खुशी नहीं मिलेगी।+
22 दिल का खुश रहना बढ़िया दवा है,+
मगर मन की उदासी सारी ताकत चूस लेती है।+
23 दुष्ट, न्याय का खून करने के लिए चोरी-छिपे घूस लेता है।+
24 बुद्धि, समझदार इंसान के सामने होती है,
मगर मूर्ख की नज़रें इसे धरती के कोने-कोने तक ढूँढ़ती फिरती हैं।+
25 मूर्ख बेटा अपने पिता को दुख देता है,
अपनी जन्म देनेवाली माँ का दिल दुखाता है।+
26 नेक जन को सज़ा देना गलत है,
शरीफ लोगों को कोड़े लगाना सही नहीं।
27 जिसमें सच्चा ज्ञान होता है, वह सँभलकर बोलता है,+
जिसमें समझ होती है, वह शांत रहता है।+
28 मूर्ख भी जब चुप रहता है, तो उसे बुद्धिमान समझा जाता है,
जो अपने होंठ सी लेता है, उसे समझदार माना जाता है।