श्रेष्ठगीत
8 काश! तू मेरे भाई जैसा होता,
काश! तूने मेरी ही माँ का दूध पीया होता,
फिर तो बाहर मिलने पर मैं तुझे चूम लेती+
और कोई मुझे नीची नज़रों से न देखता।
मैं तुझे मसालेवाली दाख-मदिरा देती,
अनार का ताज़ा रस पिलाती।
4 हे यरूशलेम की बेटियो, कसम खाओ,
जब तक प्यार खुद मेरे अंदर न जागे, तुम उसे जगाने की कोशिश नहीं करोगी।”+
5 “यह कौन है जो अपने साजन की बाँहों में बाँहें डाले वीराने से चली आ रही है?”
“सेब के पेड़ के नीचे मैंने तुझे जगाया था,
उसी जगह जहाँ तेरी माँ को प्रसव-पीड़ा उठी थी
और जहाँ उस पीड़ा में उसने तुझे जन्म दिया था।
6 मुझे मुहर की तरह अपने दिल पर लगा ले,
अपने बाज़ू पर मुझे मुहर कर ले।
अगर कोई अपनी सारी दौलत देकर इसे खरीदना चाहे,
तो भी वह दौलत* ठुकरा दी जाएगी।”
जिस दिन कोई उसका हाथ माँगने आएगा,
उस दिन हम अपनी बहन के लिए क्या करेंगे?”
9 “अगर वह एक दीवार होगी,
तो हम उसकी मुँडेर को चाँदी से सजाएँगे।
लेकिन अगर वह एक दरवाज़ा होगी,
तो हम देवदार का तख्ता ठोंककर उसे बंद कर देंगे।”
10 “मैं एक दीवार हूँ
और मेरे स्तन मीनारों के समान हैं।
इसलिए मेरा साजन देख सकता है कि मुझे मन का सुकून है।
11 बाल-हमोन में सुलैमान का अंगूरों का बाग है,+
जिसकी देखभाल का ज़िम्मा उसने रखवालों को दिया है
और हर रखवाला फलों के लिए उसे चाँदी के एक हज़ार टुकड़े देता है।
12 ऐ सुलैमान, तेरे चाँदी के हज़ार टुकड़े* तुझे मुबारक,
तेरे रखवालों को उनकी मेहनत के दो सौ टुकड़े मुबारक,
पर मैं अपने अंगूरों के बाग से खुश हूँ।”
मैं भी तेरी आवाज़ सुनना चाहता हूँ।”+