भजन
115 हे यहोवा, हमारी नहीं, हाँ हमारी नहीं*
बल्कि अपने नाम की महिमा कर,+
अपने अटल प्यार और अपनी वफादारी के कारण ऐसा कर।+
2 राष्ट्रों को यह कहने का मौका क्यों मिले:
“कहाँ गया उनका परमेश्वर?”+
3 हमारा परमेश्वर स्वर्ग में है,
वह वही करता है जो उसे भाता है।
5 उनका मुँह तो है पर वे बोल नहीं सकतीं,+
आँखें हैं पर देख नहीं सकतीं,
6 कान हैं पर सुन नहीं सकतीं,
नाक है पर सूँघ नहीं सकतीं,
7 हाथ हैं पर छू नहीं सकतीं,
पैर हैं पर चल नहीं सकतीं,+
उनके गले से कोई आवाज़ नहीं निकलती।+
12 यहोवा हमें याद रखता है और हमें आशीष देगा,
वह इसराएल के घराने को आशीष देगा,+
वह हारून के घराने को आशीष देगा।
13 जो यहोवा का डर मानते हैं उन्हें वह आशीष देगा,
छोटे और बड़े, सभी को आशीष देगा।
18 मगर हम याह की तारीफ करेंगे,
अब से लेकर हमेशा-हमेशा तक।
याह की तारीफ करो!*