जकरयाह
1 दारा के राज के दूसरे साल के आठवें महीने में,+ बेरेक्याह के बेटे और इद्दो के पोते भविष्यवक्ता जकरयाह* के पास यहोवा का यह संदेश पहुँचा:+ 2 “यहोवा का क्रोध तुम्हारे पुरखों पर भड़का था।+
3 उनसे कह, ‘सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं सेनाओं का परमेश्वर यहोवा हूँ, मेरे पास लौट आओ! तब मैं तुम्हारे पास लौट आऊँगा।”+ यह बात सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने कही है।’
4 ‘अपने पुरखों के समान मत बनो, जिन्हें पहले के भविष्यवक्ताओं ने कहा था, “सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘अपनी बुरी राहें और बुरे काम छोड़ दो और मेरे पास लौट आओ!’”’+
यहोवा कहता है, ‘लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी, मुझ पर कोई ध्यान नहीं दिया।’+
5 ‘आज तुम्हारे पुरखे कहाँ हैं? और क्या वे भविष्यवक्ता अब तक ज़िंदा हैं? 6 मगर मैंने अपने सेवकों को, अपने भविष्यवक्ताओं को जो आदेश और संदेश सुनाने को कहा था, उसका क्या हुआ? क्या वह तुम्हारे पुरखों पर पूरा नहीं हुआ?’+ इसलिए वे मेरे पास लौट आए और उन्होंने कहा, ‘हमने जो काम किए, जो राह अपनायी, हमें उसी का सिला मिला है। सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने हमारे साथ वही किया जो उसने ठाना था।’”+
7 दारा के राज के दूसरे साल में,+ शबात* नाम के 11वें महीने के 24वें दिन यहोवा का यह संदेश बेरेक्याह के बेटे और इद्दो के पोते भविष्यवक्ता जकरयाह के पास पहुँचा: 8 “रात को मुझे एक दर्शन मिला। मैंने देखा कि एक आदमी लाल घोड़े पर आ रहा है। वह आकर तंग घाटी में मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा हो गया। उसके पीछे लाल, भूरे और सफेद रंग के घोड़े थे।”
9 तब मैंने पूछा, “हे प्रभु, ये कौन हैं?”
जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था उसने कहा, “मैं तुझे बताऊँगा कि ये कौन हैं।”
10 तब जो आदमी मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था उसने कहा, “इन्हें यहोवा ने भेजा है कि वे धरती का चक्कर लगाकर आएँ।” 11 उन्होंने यहोवा के स्वर्गदूत से जो मेंहदी के पेड़ों के बीच खड़ा था कहा, “हम पृथ्वी का चक्कर लगाकर आए हैं और देख! पूरी पृथ्वी शांत है, वहाँ कोई खलबली नहीं।”+
12 तब यहोवा के स्वर्गदूत ने कहा, “हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, तू यहूदा के शहरों और यरूशलेम पर 70 साल तक क्रोधित रहा,+ अब और कब तक तू उन पर दया नहीं करेगा?”+
13 जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, यहोवा ने बड़े प्यार से उसे जवाब दिया और दिलासा दिया। 14 तब जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था उसने मुझसे कहा, “ऐलान कर, ‘सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है कि मैं यरूशलेम और सिय्योन के लिए बेचैन हो उठा हूँ, अंदर-ही-अंदर तड़प रहा हूँ।+ 15 मैं उन राष्ट्रों से बहुत क्रोधित हूँ जो चैन से जी रहे हैं।+ क्योंकि मैंने अपने लोगों को थोड़ी-सी सज़ा देनी चाही,+ मगर उन्होंने मेरे लोगों को पूरी तरह तबाह कर दिया।’+
16 इसलिए यहोवा कहता है, ‘“मैं दया करने के लिए यरूशलेम लौटूँगा+ और अपने भवन को दोबारा खड़ा करूँगा।+ यरूशलेम नगरी को खड़ा करने के लिए उसे नापने की डोरी से नापा जाएगा।”+ यह बात सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने कही है।’
17 एक बार फिर ऐलान कर, ‘सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मेरे शहर एक बार फिर खुशहाली* से भर जाएँगे। यहोवा फिर से सिय्योन को दिलासा देगा+ और यरूशलेम को चुन लेगा।”’”+
18 फिर मैंने नज़र उठायी और मुझे चार सींग दिखायी दिए।+ 19 मैंने उस स्वर्गदूत से जो मुझसे बात कर रहा था पूछा, “ये क्या हैं?” उसने कहा, “ये वे सींग हैं जिन्होंने यहूदा, इसराएल और यरूशलेम को तितर-बितर किया था।”+
20 इसके बाद यहोवा ने मुझे चार कारीगर दिखाए। 21 मैंने पूछा, “ये क्या करने आ रहे हैं?”
उसने कहा, “उन सींगों ने यहूदा को इस हद तक तितर-बितर किया था कि कोई सिर नहीं उठा सका। ये कारीगर उनमें आतंक फैलाने आ रहे हैं। ये उन सींगों को तोड़ देंगे, जो राष्ट्रों ने यहूदा देश को तितर-बितर करने के लिए उठाए थे।”