दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।
61 हे परमेश्वर, मेरी मदद की पुकार सुन।
मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे।+
2 जब मेरा दिल दुख से बेहाल हो, तब मैं तुझे पुकारूँगा,
फिर चाहे मैं धरती के छोर पर क्यों न होऊँ।+
तू मुझे एक ऊँची चट्टान पर ले जाना।+
3 क्योंकि तू मेरा गढ़ है,
एक मज़बूत मीनार है जो दुश्मन से मेरी हिफाज़त करती है।+
4 मैं तेरे तंबू में सदा तक मेहमान बनकर रहूँगा,+
तेरे पंखों की आड़ में पनाह लूँगा।+ (सेला )
5 क्योंकि हे परमेश्वर, तूने मेरी मन्नतें सुनी हैं।
मुझे वह विरासत दी है जो तेरे नाम का डर माननेवालों के लिए है।+
6 तू राजा की उम्र बढ़ाएगा,+
वह पीढ़ी-पीढ़ी तक जीता रहेगा।
7 वह तेरे सामने सदा तक विराजमान रहेगा,+
हे परमेश्वर, तेरा अटल प्यार और वफादारी उसकी हिफाज़त करे।+
8 तब मैं रोज़-ब-रोज़ अपनी मन्नतें पूरी करूँगा+
और सदा तक तेरे नाम की तारीफ में गीत गाऊँगा।+