अय्यूब
19 जवाब में अय्यूब ने कहा,
4 अगर मैंने गलती की है,
तो मैं ही सज़ा भुगतूँगा।
5 अगर तुम खुद को मुझसे बड़ा दिखाने पर तुले हो
और दावा करते हो कि मुझे नीचा दिखाकर तुमने सही किया,
6 तो जान लो, परमेश्वर ने ही मेरा यह हाल किया है,
उसी ने मुझे धोखे से अपने जाल में फँसाया है।
7 मैं चिल्लाता रहा, ‘यह सरासर ज़्यादती है!’ पर मेरी एक न सुनी गयी,+
मदद के लिए पुकारता रहा, पर मुझे इंसाफ न मिला।+
9 मुझसे मेरी मान-मर्यादा छीन ली,
मेरे सिर से ताज उतार लिया।
10 चारों तरफ से वह मुझे तोड़ता रहा कि मैं खत्म हो जाऊँ,
मेरी उम्मीद को उसने पेड़ की तरह उखाड़ फेंका।
12 उसकी फौज ने मेरे खिलाफ आकर मोरचा बाँधा है,
मेरे डेरे को हर तरफ से घेर लिया है।
16 मैं अपने नौकर को आवाज़ लगाता हूँ पर वह कोई जवाब नहीं देता,
तब भी नहीं जब मैं उससे दया की भीख माँगता हूँ।
18 छोटे-छोटे बच्चे भी मुझे दुतकारते हैं,
जब मैं खड़ा होता हूँ तो मुझे चिढ़ाते हैं।
19 मेरे सभी जिगरी दोस्त मुझसे नफरत करने लगे हैं,+
जिन-जिन से मैं प्यार करता था वे मेरे खिलाफ हो गए हैं।+
23 काश! मेरे शब्द लिख दिए जाएँ,
किसी किताब में इन्हें दर्ज़ कर लिया जाए।
24 काश! लोहे की कलम से इन्हें चट्टान पर लिखा जाए,
सीसे से भरकर इन्हें अमर कर दिया जाए।
26 मेरी चमड़ी गल गयी है,
फिर भी इस हाल में मैं परमेश्वर को देखूँगा।
मगर अब मैं अंदर से पस्त हो चुका हूँ।*
28 तुम मेरे बारे में कहते हो, ‘हम कहाँ इसे सता रहे हैं?’+
जैसे सारी समस्या की जड़ मैं ही हूँ।
याद रखो, न्याय करनेवाला कोई है।”+