भजन
दाविद का सुरीला गीत। यह गीत उस समय का है जब दाविद यहूदा के वीराने में था।+
63 हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझे ढूँढ़ता रहता हूँ।+
मैं तेरे लिए प्यासा हूँ।+
इस सूखी तपती ज़मीन पर, जहाँ एक बूँद पानी भी नहीं,
मैं तेरे लिए इतना तरस रहा हूँ कि बेहोश होने पर हूँ।+
4 मैं सारी ज़िंदगी तेरी तारीफ करूँगा,
हाथ उठाकर तेरा नाम पुकारूँगा।
9 मगर जो मेरी जान के पीछे पड़े हैं,
वे धरती की गहराइयों में समा जाएँगे।
11 मगर राजा परमेश्वर के कारण मगन होगा।
जो कोई परमेश्वर की शपथ खाता है, वह खुशियाँ मनाएगा,*
क्योंकि झूठ बोलनेवालों का मुँह बंद कर दिया जाएगा।