आसाप+ का सुरीला गीत।
50 सब ईश्वरों से महान परमेश्वर यहोवा+ ने कहा है,
पूरब से पश्चिम तक
पूरी धरती को आने का आदेश दिया है।
2 परमेश्वर सिय्योन से, जिसकी खूबसूरती बेमिसाल है,+ अपना तेज चमकाता है।
3 हमारा परमेश्वर ज़रूर आएगा और वह चुप न रहेगा।+
उसके सामने भस्म करनेवाली आग है,+
उसके चारों तरफ ज़ोरदार आँधी चलती है।+
4 उसने आकाश और धरती को आने का आदेश दिया है+
ताकि जब वह अपने लोगों का न्याय करे+ तो वे गवाह ठहरें:
5 “मेरे वफादार लोगों को मेरे पास इकट्ठा करो,
जिन्होंने बलिदान की बिना पर मेरे साथ एक करार किया है।”+
6 आकाश, परमेश्वर की नेकी का ऐलान करता है,
क्योंकि परमेश्वर खुद न्यायी है।+ (सेला )
7 “हे मेरी प्रजा, मैं जो कहने जा रहा हूँ उसे सुन,
हे इसराएल, मैं तेरे खिलाफ गवाही दूँगा।+
मैं परमेश्वर हूँ, तेरा परमेश्वर।+
8 मैं तेरे बलिदानों की वजह से तुझे नहीं फटकारता,
न ही तेरी होम-बलियों की वजह से, जो तू मेरे सामने नियमित तौर पर चढ़ाता है।+
9 मुझे न तो तेरे घर का बैल चाहिए,
न तेरे बाड़े के बकरे।+
10 क्योंकि जंगल का हर जानवर मेरा है,
हज़ारों पहाड़ों पर रहनेवाले पशु भी मेरे हैं।+
11 मैं पहाड़ों के हर पंछी के बारे में जानता हूँ,+
मैदान के अनगिनत जीव-जंतु मेरे हैं।
12 अगर मैं भूखा होता, तो भी तुझसे नहीं कहता,
क्योंकि उपजाऊ ज़मीन और उसकी हर चीज़ मेरी है।+
13 मैं क्या बैलों का गोश्त खाऊँगा?
बकरों का खून पीऊँगा?+
14 परमेश्वर को धन्यवाद दे, यह तेरा बलिदान होगा+
और परम-प्रधान से मानी मन्नतें पूरी कर।+
15 मुसीबत की घड़ी में मुझे पुकार,+
मैं तुझे छुड़ाऊँगा और तू मेरी महिमा करेगा।”+
16 मगर परमेश्वर दुष्ट से कहेगा,
“तुझे मेरे नियमों के बारे में बताने
या मेरे करार+ के बारे में बात करने का क्या हक है?+
17 तू तो शिक्षा से नफरत करता है,
बार-बार मेरी सलाह ठुकरा देता है।+
18 जब तू किसी चोर को देखता है तो उसे सही ठहराता है,+
तू बदचलन लोगों से मेल-जोल रखता है।
19 तू अपने मुँह से बुरी बातें फैलाता है,
तेरी जीभ हमेशा छल की बातें कहती है।+
20 तू बैठकर अपने ही भाई के खिलाफ बोलता है,+
अपने सगे भाई की खामियाँ दूसरों को बताता है।
21 जब तूने ये काम किए तो मैं चुप रहा
और तूने सोच लिया कि मैं भी तेरे जैसा हूँ।
मगर अब मैं तुझे सुधारने के लिए फटकारूँगा,
तुझ पर मुकदमा करूँगा।+
22 परमेश्वर को भूलनेवालो, ज़रा इस बात पर गौर करो,+
वरना मैं तुम्हारी बोटी-बोटी कर दूँगा और तुम्हें बचानेवाला कोई न होगा।
23 जब कोई मुझे धन्यवाद देता है, जो कि उसका बलिदान है, तो वह मेरी महिमा करता है।+
जो मज़बूत इरादे से सही राह पर चलता रहता है,
उसका मैं उद्धार करूँगा।”+