जकरयाह
5 मैंने फिर ऊपर नज़र उठायी और क्या देखा कि एक खर्रा उड़ रहा है। 2 स्वर्गदूत ने मुझसे पूछा, “तुझे क्या दिखायी दे रहा है?”
मैंने कहा, “मुझे एक खर्रा उड़ता हुआ दिख रहा है, जिसकी लंबाई 20 हाथ* और चौड़ाई 10 हाथ है।”
3 फिर उसने मुझसे कहा, “यह शाप पूरी पृथ्वी पर पड़नेवाला है। क्योंकि चोरी करनेवाले+ को उसकी सज़ा नहीं मिली, जबकि खर्रे के एक तरफ लिखा है कि चोर को उसकी सज़ा मिलनी चाहिए। और झूठी शपथ खानेवाले+ को सज़ा नहीं मिली, जबकि खर्रे के दूसरी तरफ लिखा है कि ऐसों को सज़ा मिलनी चाहिए। 4 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने यह शाप भेजा है। यह शाप चोर के घर जाएगा और उस आदमी के घर भी जो मेरे नाम से झूठी शपथ खाता है। यह उनके घर ठहरेगा और उनके घर को लकड़ियों और पत्थरों समेत नष्ट कर देगा।’”
5 फिर जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था वह आगे आया और उसने कहा, “ज़रा ऊपर नज़र उठा और देख कि क्या जा रहा है।”
6 मैंने पूछा, “यह क्या है?”
उसने कहा, “यह एपा का बरतन* जा रहा है।” उसने यह भी कहा, “पूरी पृथ्वी पर दुष्ट लोगों का यही रूप है।” 7 फिर मैंने देखा कि सीसे का गोल ढक्कन उस बरतन पर से उठाया गया। उसके अंदर एक औरत बैठी थी। 8 उसने कहा, “यह औरत दुष्टता की निशानी है।” उसने उस औरत को एपा के बरतन में वापस धकेल दिया और उस पर सीसे का भारी ढक्कन रख दिया।
9 फिर मैंने नज़र उठायी तो क्या देखा, दो औरतें तेज़ी से उड़ती हुई आ रही हैं। उनके पंख, लगलग पक्षी जैसे हैं। उन्होंने एपा के बरतन को पृथ्वी और आकाश के बीच उठा लिया। 10 तब जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, उससे मैंने पूछा, “वे एपा का बरतन कहाँ ले जा रही हैं?”
11 उसने कहा, “शिनार* देश,+ जहाँ वे उस औरत के लिए एक घर बनाएँगी। और जब घर बनकर तैयार हो जाएगा तो वे उसे वहाँ, उसकी सही जगह पर छोड़ आएँगी।”