मत्ती
अध्ययन नोट—अध्याय 2
यहूदिया के बेतलेहेम: जबूलून के इलाके में एक और बेतलेहेम था (यह 19:10, 15), इसलिए यहूदा (या यहूदिया) में जो बेतलेहेम था उसे अकसर ‘यहूदा का बेतलेहेम’ कहा जाता था। (न्या 17:7-9; 19:1, 2, 18) ज़ाहिर है कि पहले इस नगर का नाम एप्रात या एप्राता था। इसलिए मी 5:2 में कहा गया है कि मसीहा “बेतलेहेम एप्राता” से आएगा।—उत 35:19; 48:7.
हेरोदेस: यह हेरोदेस महान था।—शब्दावली देखें।
ज्योतिषी: इसके यूनानी शब्द मैगोइ (एकवचन मैगोस) का शायद मतलब है, वे लोग जो नक्षत्रों के जानकार थे और जादू-टोना करते थे। पवित्र शास्त्र में इन कामों की साफ मनाही की गयी है। (व्य 18:10-12) बाइबल नहीं बताती कि कितने ज्योतिषी आए थे। प्रेष 13:6, 8 में यूनानी शब्द मैगोस का अनुवाद “जादूगर” किया गया है। यही यूनानी शब्द सेप्टुआजेंट में दान 2:2, 10 में उन इब्रानी और अरामी शब्दों के लिए इस्तेमाल हुआ है, जिनका अनुवाद “तांत्रिकों” और ‘टोना-टोटका करनेवाले’ किया गया है।
जब हम पूरब में थे: “पूरब” के यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “निकलना।” सबूत दिखाते हैं कि इस आयत का मतलब है कि जब ज्योतिषी पूरब में किसी जगह थे तब उन्होंने तारा देखा था। मगर कुछ लोगों का मानना है कि ज्योतिषियों ने आसमान में पूरब की तरफ तारा देखा या तब देखा जब तारा ‘निकल’ रहा था।
तारा: मुमकिन है कि यह असली तारा नहीं था और न ही ग्रहों का झुंड था। यह तारा सिर्फ ज्योतिषियों ने “देखा।”
दंडवत करने: या “झुककर प्रणाम करने।” जब यूनानी क्रिया प्रोस्किनीयो किसी देवता या ईश्वर की पूजा के संबंध में इस्तेमाल हुई है तो उसका अनुवाद “उपासना” किया गया है और जब इंसानों को आदर देने के संबंध में हुई है तो उसका अनुवाद “दंडवत करना” या “झुककर प्रणाम करना” किया गया है। इस आयत में ज्योतिषियों ने पूछा, “यहूदियों का जो राजा पैदा हुआ है, वह कहाँ है?” इससे पता चलता है कि यहाँ किसी ईश्वर को नहीं बल्कि इंसानी राजा को दंडवत करने की बात की गयी है। कुछ ऐसा ही मतलब देने के लिए मर 15:18, 19 में यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया गया था। इन आयतों में बताया गया है कि सैनिकों ने यीशु का मज़ाक उड़ाने के इरादे से उसे “झुककर प्रणाम” किया और ‘यहूदियों का राजा’ पुकारा।—मत 18:26 का अध्ययन नोट देखें।
प्रधान याजकों: इनके लिए इस्तेमाल हुआ यूनानी शब्द जब एकवचन में आया है तो उसका अनुवाद “महायाजक” किया गया है, यानी परमेश्वर के सामने जानेवाला लोगों का मुख्य प्रतिनिधि। लेकिन यहाँ यह शब्द बहुवचन में है और इसका मतलब है याजकवर्ग के बड़े-बड़े आदमी। इनमें वे आदमी शामिल हैं जो पहले महायाजक रह चुके थे और शायद वे भी जो याजकों के 24 दलों के मुखिया थे।
शास्त्रियों: शुरू में नकल-नवीसों को शास्त्री कहा जाता था जो शास्त्र की नकल तैयार करते थे। लेकिन यीशु के ज़माने में ऐसे आदमियों को शास्त्री कहा जाने लगा जिन्हें मूसा के कानून का अच्छा ज्ञान था और जो यह कानून लोगों को सिखाते थे।
मसीह: यूनानी में यहाँ उपाधि “मसीह” से पहले निश्चित उपपद लिखा है। ज़ाहिर है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि यीशु के ओहदे पर ज़ोर दिया जा सके कि वही मसीहा है।
बेतलेहेम: एक इब्रानी नाम जिसका मतलब है, “रोटी का घर।” दाविद बेतलेहेम का रहनेवाला था, इसलिए कभी-कभी इसे ‘दाविद का शहर’ भी कहा गया है।—लूक 2:4, 11; यूह 7:42.
किसी भी मायने में सबसे छोटा शहर नहीं: यहाँ लिखी मी 5:2 की भविष्यवाणी से पता चलता है कि हालाँकि बेतलेहेम की आबादी बहुत कम थी (यूह 7:42 में उसे गाँव कहा गया है) और उसके पास राज करने का कोई अधिकार नहीं था, फिर भी उसका बहुत बड़ा नाम होता। उसमें से सबसे बड़ा राज करनेवाला निकलता जो चरवाहे की तरह परमेश्वर की प्रजा इसराएल की अगुवाई करता।
उसे दंडवत करूँ: या “उसका आदर करूँ; उसे सम्मान दूँ।” हेरोदेस दावा कर रहा था कि वह एक इंसानी राजा का आदर करना चाहता है, किसी ईश्वर की उपासना नहीं।—इसके यूनानी शब्द के बारे में ज़्यादा जानने के लिए मत 2:2 का अध्ययन नोट देखें।
घर: इस शब्द से पता चलता है कि ज्योतिषी यीशु से उस वक्त मिलने नहीं आए जब उसका जन्म हुआ और उसे चरनी में रखा गया था।
बच्चे: यीशु को यहाँ “शिशु” नहीं कहा गया है, जैसे लूक 2:12, 16 में कहा गया है।
दंडवत किया: या ‘झुककर प्रणाम किया।’ अकसर इन शब्दों का मतलब होता है किसी इंसान का, जैसे राजा का आदर करना न कि उसकी उपासना करना।—मत 2:2; 18:26 के अध्ययन नोट देखें।
तोहफे: यीशु के जन्म के 40 दिन बाद जब यूसुफ और मरियम उसे मंदिर ले गए (लूक 2:22-24; लैव 12:6-8), तब वे गरीब थे। इससे पता चलता है कि ये तोहफे उन्हें इस घटना के बाद मिले थे। उन्हें ये तोहफे शायद सही वक्त पर मिले थे क्योंकि मिस्र में रहते वक्त ये उनके गुज़ारे के काम आए होंगे।
लोबान: शब्दावली देखें।
गंधरस: शब्दावली देखें।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
यहोवा का स्वर्गदूत: मत 1:20 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
मिस्र: इस वक्त पर मिस्र एक रोमी प्रांत था, जहाँ बड़ी तादाद में यहूदी रहते थे। बेतलेहेम यरूशलेम से करीब 9 कि.मी. (6 मील) दूर दक्षिण-पश्चिम में था। इसलिए यूसुफ और मरियम यरूशलेम से गुज़रे बिना मिस्र जा पाए क्योंकि यरूशलेम में हेरोदेस ने बच्चों को मार डालने का फरमान जारी किया था।
मिस्र चला गया: बेतलेहेम से मिस्र कम-से-कम 120 कि.मी. (75 मील) की दूरी पर था।
हेरोदेस की मौत: हेरोदेस की मौत शायद ईसा पूर्व 1 में हुई।
वह बात पूरी हुई जो यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता से कहलवायी थी: मत 1:22 का अध्ययन नोट देखें।
यहोवा: यहाँ हो 11:1 की बात लिखी है और हो 11:1-11 से साफ पता चलता है कि यह बात यहोवा परमेश्वर ने कही थी।—अति. ग देखें।
जितने लड़के . . . थे, उन सबको मरवा डाला: इतिहासकारों के मुताबिक, हेरोदेस महान ने और भी कई लोगों की हत्या करवायी। उसने अपने एक दुश्मन के करीब 45 समर्थकों को मरवा डाला। शक की वजह से उसने अपनी पत्नी मरियम्नी प्रथम, उसके भाई और नाना (हिरकेनस), अपने तीन बेटों, कई जिगरी दोस्तों और बहुत-से लोगों का खून करवा दिया। हेरोदेस को यकीन था कि उसकी मौत पर लोग खुशियाँ मनाएँगे। लेकिन लोग ज़्यादा खुश न हों, इसलिए उसने आदेश दिया कि जब उसकी मौत हो तो यहूदियों के प्रधानों को भी मार डाला जाए।
रामाह: यरूशलेम के उत्तर में बिन्यामीन के इलाके का एक शहर। ऐसा मालूम होता है कि जब ईसा पूर्व 607 में यरूशलेम का नाश हुआ तब यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाने से पहले रामाह में इकट्ठा किया गया था। कुछ विद्वानों का कहना है कि बंदियों को इकट्ठा करने की बात (शायद उनमें से कुछ लोगों का कत्ल भी किया गया था) यिर्म 31:15 में दर्ज़ है और इसी आयत की बात यहाँ लिखी गयी है।
राहेल: यह इसराएल की सभी माँओं को दर्शाती है। यिर्मयाह की भविष्यवाणी में बताया गया है कि राहेल, जिसकी कब्र बेतलेहेम के पास थी, लाक्षणिक मायने में अपने बेटों के लिए रोती है जिन्हें बंदी बनाकर दुश्मनों के देश में ले जाया गया है। यिर्मयाह की भविष्यवाणी में दिलासा देनेवाली बात भी लिखी है कि उसके बेटे दुश्मनों के देश से लौट आएँगे। (यिर्म 31:16) जब मत्ती ने यिर्म 31:15 की बात लिखी तो उसके मन में शायद आयत 16 की भविष्यवाणी भी रही होगी। इससे यह समझ मिलती है कि जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा तो वे मानो अपने दुश्मन, मौत के पास से लौट आएँगे।
यहोवा का स्वर्गदूत: मत 1:20 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
जान: यूनानी शब्द साइखी इस आयत में पहली बार आता है। यहाँ इस शब्द का मतलब एक इंसान का जीवन है।—शब्दावली में “जीवन” देखें।
अरखिलाउस: वह अपने पिता हेरोदेस महान की तरह एक बेरहम शासक था। यहूदी उसे बिलकुल पसंद नहीं करते थे। एक बार लोगों ने दंगा कर दिया और उन्हें रोकने के लिए अरखिलाउस ने मंदिर के अंदर ही 3,000 लोगों को मरवा डाला। यूसुफ जब मिस्र से लौट रहा था तब उसे इसी शासक के बारे में खबरदार किया गया था। इस वजह से वह अपने परिवार के साथ गलील के नासरत में बस गया, जो अरखिलाउस के शासन-क्षेत्र के बाहर था।
नासरत: मुमकिन है कि इसका मतलब है, “अंकुर नगर।” नासरत गलील के निचले इलाके में था, जहाँ यीशु ने धरती पर अपनी ज़िंदगी का ज़्यादातर समय बिताया।
भविष्यवक्ताओं से कहलवाए गए थे, “वह एक नासरी कहलाएगा”: सबूत दिखाते हैं कि यहाँ भविष्यवक्ता यशायाह की लिखी किताब की बात की गयी है (यश 11:1), जिसमें वादा किए गए मसीहा के बारे में कहा गया है, ‘यिशै की जड़ों से एक अंकुर [इब्रानी में नीत्सेर] फूटेगा।’ मत्ती ने एक भविष्यवक्ता की नहीं बल्कि कई “भविष्यवक्ताओं” की बात की, इसलिए वह शायद यिर्मयाह और जकरयाह की भी बात कर रहा था। यिर्मयाह ने लिखा था कि दाविद के वंश से “एक नेक अंकुर” निकलेगा (यिर्म 23:5; 33:15) और जकरयाह ने एक ऐसे शख्स के बारे में बताया जो राजा भी होगा और याजक भी और वह “अंकुर कहलाएगा” (जक 3:8; 6:12, 13)। यीशु को और बाद में उसके चेलों को “नासरी” कहा जाता था।