मरकुस
अध्ययन नोट—अध्याय 13
इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर हरगिज़ न बचेगा: मत 24:2 का अध्ययन नोट देखें।
जहाँ से मंदिर नज़र आता था: या “जो मंदिर के सामने था।” मरकुस समझाता है कि जैतून पहाड़ पर से मंदिर नज़र आता था। यह ऐसी जानकारी थी जो उसे तब देने की ज़रूरत नहीं पड़ती जब वह यहूदियों के लिए लिख रहा होता।—“मरकुस की किताब पर एक नज़र” देखें।
आखिरी वक्त पास आ रहा होगा: यह यूनानी क्रिया सिनटेलीयो का अनुवाद है। यह क्रिया यूनानी संज्ञा सिनटीलीया से जुड़ी है जिसका मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” यह संज्ञा इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 24:3 में आयी है। (यूनानी शब्द सिनटीलीया मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26 में भी आया है।) यहाँ “आखिरी वक्त” का मतलब है, वह दौर जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मर 13:7, 13 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।—मर 13:7, 13 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
मैं वही हूँ: यानी मसीह या मसीहा।—इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 24:5 से तुलना करें।
अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है, वह मत 24:3 में “आखिरी वक्त” की यूनानी संज्ञा (सिनटीलीया) और मर 13:4 में “आखिरी वक्त पास आ रहा होगा” की यूनानी क्रिया (सिनटेलीयो) से अलग है।—मत 24:3; मर 13:4 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
राष्ट्र: यूनानी शब्द एथनोस के कई मतलब हैं, जैसे एक देश में रहनेवाले लोग या एक जाति के लोग।—मर 13:10 का अध्ययन नोट देखें।
हमला करेगा: मत 24:7 का अध्ययन नोट देखें।
प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों: इनके यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, बच्चे को जन्म देते समय होनेवाली भयंकर पीड़ा। जब एक गर्भवती औरत की प्रसव-पीड़ा शुरू होती है, तो यह दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में बार-बार उठता है, बढ़ता ही जाता है और कुछ समय तक रहता है। हालाँकि इस आयत में मुसीबतों और दुख-तकलीफों की बात की गयी है, लेकिन इनके यूनानी शब्द का इस्तेमाल शायद यह समझाने के लिए किया गया है कि मर 13:19 में बताए ‘संकट के दिनों’ से पहले जब मुसीबतें और दुख-तकलीफें एक बार शुरू होंगी, तो वे बार-बार आती रहेंगी, बढ़ती जाएँगी और कुछ समय तक रहेंगी।
निचली अदालतों: मसीही यूनानी शास्त्र में अकसर शब्द सिनेड्रियोन यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत यानी महासभा के लिए इस्तेमाल हुआ है। (शब्दावली में “महासभा” और मत 5:22; 26:59 के अध्ययन नोट देखें।) लेकिन यह शब्द एक आम सभा के लिए भी इस्तेमाल होता था। इस आयत में शब्द सिनेड्रियोन का बहुवचन इस्तेमाल हुआ है और इसका अनुवाद “निचली अदालतों” किया गया है। ये अदालतें अकसर सभा-घरों में लगती थीं और इन्हें कोड़े लगवाने और समाज से बहिष्कार करने की सज़ा सुनाने का अधिकार था।—मत 10:17; 23:34; लूक 21:12; यूह 9:22; 12:42; 16:2.
सब राष्ट्रों: इन शब्दों से पता चलता है कि प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर किया जाएगा। इससे चेले समझ गए कि उन्हें सिर्फ यहूदियों को नहीं बल्कि दूसरे लोगों को भी प्रचार करना है। “राष्ट्र” के लिए यूनानी शब्द एथनोस का आम तौर पर मतलब होता है, ऐसे लोगों का समूह जिनका एक-दूसरे से खून का रिश्ता है और जो एक भाषा बोलते हैं। ऐसे लोग अकसर एक ही देश में रहते हैं।
खुशखबरी: मत 24:14 का अध्ययन नोट देखें।
तुम्हें . . . ले जा रहे होंगे: यूनानी क्रिया आगो एक कानूनी शब्द है जिसका मतलब है, “गिरफ्तार करना; हिरासत में लेना।” इस क्रिया में ज़बरदस्ती ले जाने का मतलब भी शामिल है।
अंत: या “पूरी तरह अंत।”—मर 13:7 का अध्ययन नोट देखें।
धीरज धरेगा: या “धीरज धरता है।” इनकी यूनानी क्रिया (इपोमेनो) का शाब्दिक मतलब है, “में बने (या टिके) रहना।” इसका अकसर मतलब होता है, “भागने के बजाय बने रहना; डटे रहना; लगे रहना; अटल रहना।” (मत 10:22; रोम 12:12; इब्र 10:32; याकू 5:11) इस संदर्भ में इस क्रिया का मतलब है, मसीह का चेला होने के नाते एक व्यक्ति का सही राह पर बने रहना, फिर चाहे इसके लिए उसे विरोध या मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े।—मर 13:11-13.
यहूदिया: मत 24:16 का अध्ययन नोट देखें।
पहाड़ों की तरफ: मत 24:16 का अध्ययन नोट देखें।
घर की छत पर: मत 24:17 का अध्ययन नोट देखें।
सर्दियों के मौसम में: मत 24:20 का अध्ययन नोट देखें।
अगर यहोवा वे दिन न घटाए: यीशु अपने चेलों को समझा रहा है कि महा-संकट के दौरान उसका पिता क्या करेगा। मर 13:20 में दर्ज़ यीशु की भविष्यवाणी के ये शब्द, इब्रानी शास्त्र की कुछ आयतों के शब्दों से मिलते-जुलते हैं जिनमें परमेश्वर का नाम चार इब्रानी अक्षरों में लिखा है। वे आयतें हैं: यश 1:9; 65:8; यिर्म 46:28 [सेप्टुआजेंट में 26:28 में]; आम 9:8. हालाँकि ज़्यादातर यूनानी हस्तलिपियों में इस आयत में शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी यह मानने के ठोस कारण हैं कि मूल भाषा में यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल हुआ था, लेकिन बाद में इसकी जगह प्रभु इस्तेमाल हुआ है। इसलिए मुख्य पाठ में परमेश्वर का नाम यहोवा आया है।—अति. ग1 और ग3 परिचय; मर 13:20 देखें।
झूठे मसीह: या “झूठे मसीहा।” यूनानी शब्द स्यूडो-ख्रिस्तौस सिर्फ इस आयत में और इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 24:24 में आया है। इसका मतलब है, ऐसा हर इंसान जो मसीह या मसीहा (शा., “अभिषिक्त जन”) होने का दावा करता है।—मत 24:5; मर 13:6 के अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
बादलों: बादलों की वजह से चीज़ें साफ नहीं बल्कि धुँधली नज़र आती हैं। (प्रेष 1:9) इसलिए यहाँ मन की आँखों से ‘देखने’ की बात की गयी है।
देखेंगे: मत 24:30 का अध्ययन नोट देखें।
चारों दिशाओं: मत 24:31 का अध्ययन नोट देखें।
मिसाल: मत 24:32 का अध्ययन नोट देखें।
आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे: बाइबल की दूसरी आयतों से पता चलता है कि आकाश और पृथ्वी हमेशा रहेंगे। (उत 9:16; भज 104:5; सभ 1:4) इसलिए कहा जा सकता है कि यीशु अतिशयोक्ति अलंकार का इस्तेमाल कर रहा था, जिसका मतलब है कि भले ही नामुमकिन घटना हो जाए यानी आकाश और पृथ्वी मिट जाएँ, मगर यीशु की बात पूरी होकर रहेगी। (मत 5:18 से तुलना करें।) लेकिन लगता है कि यहाँ लाक्षणिक आकाश और पृथ्वी की बात की गयी है, जिन्हें प्रक 21:1 में “पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी” कहा गया है।
मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे: या “मेरे शब्द किसी भी हाल में नहीं मिटेंगे।” यहाँ यूनानी में क्रिया के साथ दो शब्द इस्तेमाल हुए जिसका मतलब है, “नहीं-नहीं।” यह दिखाता है कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि यीशु की कही बात पूरी न हो। इस तरह इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यीशु ने जो कहा वह पूरा होकर ही रहेगा। हालाँकि कुछ यूनानी हस्तलिपियों में सिर्फ एक बार ‘नहीं’ का यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, मगर जो यहाँ लिखा है उसका ठोस आधार हस्तलिपियों में पाया जाता है।
दरबान: प्राचीन समय में शहर के फाटकों या मंदिर के दरवाज़ों पर और कभी-कभी घरों में भी दरबान या पहरेदार होते थे। वे न सिर्फ यह ध्यान रखते थे कि रात में फाटक या दरवाज़े बंद हैं बल्कि पहरा भी देते थे। (2शम 18:24, 26; 2रा 7:10, 11; एस 2:21-23; 6:2; यूह 18:17) यीशु ने एक मसीही की तुलना घर के दरबान से करके इस बात पर ज़ोर दिया कि उसे सतर्क रहना और जागते रहना चाहिए क्योंकि वह भविष्य में सज़ा देने आएगा।—मर 13:26.
जागते रहो: यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “जागते रहना।” मगर कई जगहों पर इसका मतलब है, “सावधान रहना; चौकन्ना रहना।” इस आयत के अलावा मरकुस ने यह शब्द मर 13:34, 37; 14:34, 37, 38 में इस्तेमाल किया।—मत 24:42; 26:38; मर 14:34 के अध्ययन नोट देखें।
दिन ढलने पर: यूनानियों और रोमियों के मुताबिक शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक, रात को चार पहरों में बाँटा जाता था और हर पहर करीब तीन घंटे का होता था। (इसी आयत में आगे के अध्ययन नोट भी देखें।) पहले इब्री लोग रात को तीन पहरों में बाँटते थे और हर पहर करीब चार घंटे का होता था। (निर्ग 14:24; न्या 7:19) लेकिन यीशु के दिनों तक इस मामले में उन्होंने रोमी तरीका अपना लिया था। यहाँ “दिन ढलने पर” का मतलब है, रात का पहला पहर यानी सूरज ढलने से लेकर करीब 9 बजे तक।—मत 14:25 का अध्ययन नोट देखें।
आधी रात को: यूनानियों और रोमियों के मुताबिक, यह रात का दूसरा पहर था यानी करीब 9 बजे से आधी रात तक।—इसी आयत में दिन ढलने पर अध्ययन नोट देखें।
मुर्गे के बाँग देने के वक्त: यूनानियों और रोमियों के मुताबिक, यह रात का तीसरा पहर था यानी आधी रात से करीब 3 बजे तक। (इसी आयत में पहले के अध्ययन नोट देखें।) मुमकिन है कि इसी दौरान ‘मुर्गा बाँग देता था।’ (मर 14:72) पुराने ज़माने में और आज भी भूमध्य सागर के पूर्वी देशों में मुर्गे के बाँग देने से समय का पता लगाया जाता है।—मत 26:34; मर 14:30, 72 के अध्ययन नोट देखें।
सुबह: यूनानियों और रोमियों के मुताबिक, यह रात का चौथा पहर था यानी करीब 3 बजे से सूरज निकलने तक।—इसी आयत में पहले के अध्ययन नोट देखें।