अपने शिशुओं के साथ एक माँ का बंधन
वह महज़ एक आवारा, छोटे-छोटे बालोंवाली, पाँच बिलौटोंवाली अनामिका बिल्ली थी, जो पूर्वी न्यू यॉर्क की फूहड़ गलियों पर निर्वाह करने की कोशिश कर रही थी। उसने अपना घर एक टूटे-फूटे त्यागे हुए गराज में बनाया था जहाँ अनेक संदिग्ध विनाशकारी आग के ख़तरे थे। वह कूड़े-कचरे के ऐसे टुकड़ों के लिए पास-पड़ोस छान मारती जिससे उसके बढ़ रहे बच्चों को पोषित करना उसके लिए संभव हो।
यह सभी मार्च २९, १९९६ की सुबह ६:०६ को बदलने ही वाला था। एक संदिग्ध आग ने पूरे गराज को तुरन्त घेर लिया। बिल्ली परिवार का घर लपटों में था। लैडर कंपनी १७५ ने प्रतिक्रिया दिखायी और जल्द ज्वाला को क़ाबू में कर लिया। एक फ़ायरमैन, डेविड ज़ॉनली ने बिलौटों की पुकार सुनी। उसने तीन बिलौटों को इमारत के ठीक बाहर पाया, एक और को गली की तीन-चौथाई दूर पार पाया, और पाँचवें को गली के किनारे पर पाया। बिलौटे अपने ही बलबूते पर बच निकलने के लिए बहुत छोटे थे। ज़ॉनली ने ध्यान दिया कि हर एक बिलौटे की झुलसन पहले के बिलौटे से ज़्यादा गम्भीर थी, कुछ को बचाव के लिए ज़्यादा समय इन्तज़ार करना पड़ा जब बिल्ली माँ उन्हें एक-एक करके बाहर उठाकर ले गयी।
अप्रैल ७, १९९६ के न्यू यॉर्क दैनिक समाचार (अंग्रेज़ी) में दिए गए वृत्तान्त ने माँ के पते-ठिकाने और परवाह पर यह रिपोर्ट दी: “ज़ॉनली ने मम्मा को पास की एक खाली जगह में पीड़ा में औंधी पड़ी हुई पाया, और दृश्य ने उसके दिल को दुःखी कर दिया। उसकी पलकें धुएँ से सूजकर बन्द हो गयी थीं। उसके पैरों की गद्दी बुरी तरह झुलस गयी थीं। उसके चेहरे, कानों और पैरों पर झुलसन के भयंकर दाग़ थे। ज़ॉनली को एक कार्डबोर्ड बक्स मिला। उसने मम्मा बिल्ली और बिलौटों को कोमलता से अन्दर रखा। ‘उससे अपनी आँखें खोली भी नहीं गयी,’ ज़ॉनली ने कहा। ‘लेकिन उसने एक-एक करके उन सबको अपने पंजे से उन्हें गिनते हुए छुआ।’”
जब वे नॉर्थ शोर एनिमल लीग पर पहुँचे, स्थिति अनिश्चित थी। वृत्तान्त आगे कहता है: “सदमे से जूझनेवाली दवाइयाँ इस्तेमाल की गयीं। प्रतिजीवाणुओं से भरी एक अन्तःशिरा नली उस वीर विडाल-वंशी पर लगायी गयी। प्रतिजीवाणु क्रीम उसकी झुलसनों पर कोमलता से लगायी गयी। फिर साँस लेने में उसकी मदद करने के लिए उसे एक ऑक्सीजन-टैंक कटघरे में रखा गया जबकि पूरे एनिमल लीग के कर्मचारी अपनी साँस रोके खड़े थे . . . ४८ घंटों के अन्दर, वह हिरोइन बैठ रही थी। उसकी सूजी हुई आँखें खुलीं और डॉक्टरों ने कोई क्षति नहीं पायी।”
रुकिए और विचार कीजिए। इस साहसी माँ को, आग के अपने स्वाभाविक भय के साथ, इस धुएँ-भरी, जलती इमारत में अपने रो रहे बच्चों को बचाने के लिए जाते हुए अपनी कल्पना की आँखों से देखने के लिए एक क्षण निकालिए। अपने छोटे-छोटे असहाय बिलौटों को बाहर निकालने के लिए एक बार अन्दर जाना अविश्वसनीय होता; पाँच बार ऐसा करना, हर बार अपने पैरों और चेहरे पर अतिरिक्त झुलसनों की पीड़ा उठाते हुए, अकल्पनीय है! इस वीर जानवर का नाम सिंदूरी रखा गया क्योंकि झुलसन से दिखा कि नीचे की उसकी त्वचा सिंदूरी या लाल थी।
जब अपने शिशुओं के साथ एक माँ के बंधन की यह मर्मस्पर्शी कहानी नॉर्थ शोर एनिमल लीग से संसार-भर में प्रसारित हुई, तो फ़ोन की घंटी लगातार बजती रही। जापान, नॆदरलैंडस्, और दक्षिण अफ्रीका जैसे दूर देशों से ६,००० से ज़्यादा लोगों ने सिंदूरी की दशा के बारे में पूछने के लिए फ़ोन किया। कुछ १,५०० लोगों ने सिंदूरी और उसके बच्चों को गोद लेने का प्रस्ताव रखा। एक बिलौटा बाद में मर गया।
सिंदूरी ने संसार-भर के लोगों के दिलों को छुआ। यह आपको सोचने पर मज़बूर करता है कि क्या आज करोड़ों ऐसी माताओं के हृदय, जो दुर्व्यवहार के कारण, अपने बच्चों को गर्भ में ही या जन्म के कुछ समय बाद मिटा देती हैं, एक माँ और अपने शिशुओं के बीच के बंधन के सिंदूरी के उदाहरण से परेशान नहीं होते।
[पेज 27 पर चित्र का श्रेय]
North Shore Animal League