अध्याय 73
एक सामरी सच्चा पड़ोसी साबित हुआ
हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए क्या करना चाहिए?
भला सामरी
यीशु अब भी यरूशलेम के आस-पास ही है। कुछ यहूदी उसके पास आते हैं। कुछ उससे सीखना चाहते हैं तो कुछ उसे परखना चाहते हैं। उनमें से एक आदमी कानून बहुत जानता है। वह यीशु से पूछता है, “गुरु, हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?”—लूका 10:25.
यीशु समझ जाता है कि यह आदमी सिर्फ जानने के इरादे से नहीं पूछ रहा है। वह यीशु से कुछ ऐसी बात कहलवाना चाहता है कि यहूदी भड़क जाएँ। पड़ोसी कौन है, इस बारे में इस आदमी की अपनी एक राय है। इसलिए यीशु समझदारी से जवाब देता है और उस आदमी के मन में जो है वह उसके मुँह से निकलवाता है।
यीशु उससे पूछता है, “कानून में क्या लिखा है? तूने क्या पढ़ा है?” इस आदमी ने कानून बहुत पढ़ा है, इसलिए वह व्यवस्थाविवरण 6:5 और लैव्यव्यवस्था 19:18 में लिखी बात बताता है, “तुम अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपनी पूरी ताकत और अपने पूरे दिमाग से प्यार करना, और अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो।” (लूका 10:26, 27) क्या यही उस आदमी के सवाल का जवाब है?
यीशु उससे कहता है, “तूने सही जवाब दिया। ऐसा ही करता रह और तू जीवन पाएगा।” मगर क्या इतना सुनकर वह आदमी खुश हो जाता है? नहीं, वह दिखाना चाहता है कि वह बड़ा नेक है। वह साबित करना चाहता है कि वह जो सोचता है वह सही है और वह जिस तरह लोगों के साथ व्यवहार करता है वह बिलकुल सही है। इसलिए वह यीशु से पूछता है, “असल में मेरा पड़ोसी कौन है?” (लूका 10:28, 29) यह एक मामूली-सा सवाल लग सकता है, मगर यीशु जो जवाब देगा वह लोगों को सोचने पर मजबूर करेगा कि उन्हें दूसरी जाति के लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
यहूदियों का कहना है कि पड़ोसी या संगी-साथी का मतलब है ऐसा इंसान जो यहूदी धर्म की परंपराएँ मानता है। ऐसा लग सकता है कि लैव्यव्यवस्था 19:18 के हिसाब से यह धारणा सही है। कुछ यहूदी तो यह भी कहते हैं कि दूसरी जाति या भाषा के लोगों से मेल-जोल रखना “नियम के खिलाफ” है। (प्रेषितों 10:28) इसलिए यह आदमी और शायद यीशु के कुछ चेले भी मानते हैं कि सिर्फ यहूदियों के साथ अच्छा व्यवहार करना काफी है। इसी से वे नेक ठहरेंगे। और जो यहूदी नहीं हैं, उनके साथ वे शायद अच्छा व्यवहार न करें, क्योंकि वे उन्हें अपने पड़ोसी या संगी-साथी नहीं मानते।
अब यीशु इस आदमी को और बाकी लोगों को कैसे बताएगा कि उनकी सोच गलत है? वह उन्हें ठेस नहीं पहुँचाना चाहता, पर साथ में अपनी बात भी कहना चाहता है। इसलिए वह एक कहानी सुनाता है, “एक आदमी यरूशलेम से नीचे उतरकर यरीहो जा रहा था और लुटेरों ने उसे घेर लिया। उन्होंने उसके कपड़े उतरवा लिए और उसका सबकुछ छीनकर उसे बहुत मारा और अधमरा छोड़कर वहाँ से चले गए। इत्तफाक से एक याजक उसी सड़क से नीचे जा रहा था, मगर जब उसने उस आदमी को पड़ा देखा, तो सड़क की दूसरी तरफ से निकल गया। उसी तरह, जब एक लेवी भी वहाँ से जा रहा था और उसने उस आदमी को देखा, तो सड़क की दूसरी तरफ से निकल गया। मगर फिर एक सामरी उस सड़क से गुज़रा और जब उसने उस आदमी को देखा तो उसका दिल तड़प उठा।”—लूका 10:30-33.
जिस आदमी को यीशु यह कहानी सुना रहा है वह जानता है कि बहुत-से याजक और लेवी यरीहो में रहते हैं। मंदिर में सेवा करने के बाद घर लौटने के लिए उन्हें एक सड़क से 23 किलोमीटर सफर करना होता है। यह रास्ता बहुत खतरनाक है। जगह-जगह लुटेरे छिपकर बैठे होते हैं। अगर कोई याजक या लेवी देखे कि उनका एक यहूदी भाई ज़ख्मी पड़ा है, तो क्या उन्हें उसकी मदद नहीं करनी चाहिए? यीशु कहानी में बताता है कि उन्होंने मदद नहीं की। लेकिन जब एक सामरी ने उसे देखा, तो उसने जाकर मदद की, इसके बावजूद कि यहूदी लोग सामरियों को नीचा समझते हैं।—यूहन्ना 8:48.
सामरी आदमी ने उस यहूदी के ‘घावों पर तेल और दाख-मदिरा डालकर पट्टियाँ बाँधी। फिर वह उसे अपने गधे पर लादकर एक सराय में ले आया और उसकी देखभाल की। अगले दिन उसने सरायवाले को दो दीनार देकर कहा, इस आदमी की देखभाल करना और इसके अलावा जो भी खर्च होगा, वह मैं लौटकर तुझे दे दूँगा।’—लूका 10:34, 35.
कहानी सुनाने के बाद यीशु उस आदमी से पूछता है, “अब बता, तुझे क्या लगता है, उन तीनों में से किसने उस आदमी का पड़ोसी होने का फर्ज़ निभाया, जिसे लुटेरों ने घेर लिया था?” शायद वह आदमी जवाब में “सामरी” कहने से झिझकता है, इसलिए वह कहता है, “वही जिसने उस पर दया की और उसकी मदद की।” फिर यीशु उसे कहानी का सबक बताता है, “जा और तू भी ऐसा ही कर।”—लूका 10:36, 37.
यीशु का जवाब नहीं! कितने बढ़िया तरीके से सिखाया उसने! अगर यीशु उस आदमी से कहता कि गैर-यहूदी भी उसके पड़ोसी या संगी-साथी हैं, तो क्या वह आदमी और बाकी यहूदी उससे सहमत होते? शायद नहीं। लेकिन यीशु ने एक छोटी-सी कहानी बताकर यह साफ दिखा दिया कि असल में उनका पड़ोसी कौन है। सच्चा पड़ोसी या संगी-साथी वही है जो दूसरों से प्यार करता है और उनकी मदद करता है। बाइबल में हमें यही करने की आज्ञा दी गयी है।