अध्याय 89
यीशु पेरिया में सिखाता है
किसी के पाप करने की वजह बनना गंभीर बात है
माफ कीजिए और विश्वास रखिए
यीशु कुछ समय से “यरदन के पार” पेरिया में प्रचार कर रहा है। (यूहन्ना 10:40) वह दक्षिण की तरफ यरूशलेम के सफर पर है।
यीशु के साथ चेले और लोगों की एक “बड़ी भीड़” है। कर-वसूलनेवाले और कुछ पापी भी हैं। (लूका 14:25; 15:1) फरीसी और शास्त्री भी हैं जो उसकी बातों और उसके कामों को गलत बताते हैं। खोयी हुई भेड़, खोए हुए बेटे और अमीर आदमी और लाज़र की मिसाल से धर्म गुरुओं को कुछ सीखना चाहिए था।—लूका 15:2; 16:14.
फरीसियों और शास्त्रियों ने यीशु को जो बुरा-भला कहा था, शायद उसी को ध्यान में रखकर यीशु अब चेलों को कुछ बातें बताता है। उसने पहले गलील में भी यह सब बताया था।
‘ऐसा हो नहीं सकता कि विश्वास की राह में बाधाएँ न आएँ। मगर उस इंसान के साथ बहुत बुरा होगा जो विश्वास की राह में बाधा बनता है। खुद पर ध्यान दे। अगर तेरा भाई पाप करता है तो उसे डाँट और अगर वह पश्चाताप करता है तो उसे माफ कर। चाहे वह तेरे खिलाफ दिन में सात बार पाप करे और सातों बार तेरे पास आकर कहे, “मैं पछता रहा हूँ,” तो तुझे उसे माफ करना है।’ (लूका 17:1-4) जब यीशु ने सात बार माफ करने को कहा, तो पतरस को याद आया होगा कि उसने एक बार इस बारे में सवाल किया था।—मत्ती 18:21.
यीशु चेलों से जो कह रहा है, क्या उसे वे कर पाएँगे? वे यीशु से कहते हैं, “हमारा विश्वास बढ़ा।” यीशु उन्हें भरोसा दिलाता है, “अगर तुम्हारे अंदर राई के दाने के बराबर भी विश्वास है, तो तुम शहतूत के इस पेड़ से कहोगे, ‘यहाँ से उखड़कर समुंदर में जा लग!’ और वह तुम्हारा कहना मानेगा।” (लूका 17:5, 6) अगर उनमें थोड़ा भी विश्वास हो, तो वे बड़े-बड़े काम कर पाएँगे।
अब यीशु प्रेषितों को समझाता है कि उन्हें नम्र होना चाहिए और खुद को बड़ा नहीं समझना चाहिए: “तुममें ऐसा कौन है जिसका दास हल जोतकर या भेड़-बकरियाँ चराकर खेतों से वापस आए, तो वह दास से कहे, ‘फौरन यहाँ आ और खाने के लिए बैठ’? इसके बजाय क्या वह उससे यह न कहेगा, ‘मेरे शाम के खाने के लिए कुछ तैयार कर और जब तक मैं खा-पी न लूँ तब तक कमर में अंगोछा बाँधकर मेरी सेवा कर, फिर बाद में तू खा-पी लेना’? क्या वह उस दास का एहसान मानेगा कि उसने वे सारे काम किए जो उसे दिए गए थे? इसी तरह जब तुम वे सारे काम कर लो जो तुम्हें दिए गए हैं, तो कहना, ‘हम निकम्मे दास हैं। हमने बस वही किया है, जो हमें करना चाहिए था।’”—लूका 17:7-10.
हमें अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की उपासना को पहली जगह देनी चाहिए और खुश होना चाहिए कि हमें यहोवा के परिवार में से एक होने और उसकी उपासना करने का मौका मिला है।
शायद इसके कुछ समय बाद मरियम और मारथा का भेजा हुआ कोई आदमी यीशु के पास आता है। ये दोनों लाज़र की बहनें हैं और वे तीनों यहूदिया के बैतनियाह गाँव में रहते हैं। उनका भेजा हुआ आदमी यीशु से कहता है, “प्रभु, आकर देख! तेरा वह दोस्त बीमार है जिससे तू बहुत प्यार करता है।”—यूहन्ना 11:1-3.
अपने दोस्त लाज़र की बीमारी की खबर सुनकर यीशु ज़्यादा दुखी नहीं होता। वह कहता है, “इस बीमारी का अंजाम मौत नहीं बल्कि इससे परमेश्वर की महिमा होगी ताकि इसके ज़रिए परमेश्वर के बेटे की महिमा हो सके।” यीशु फिलहाल जहाँ है वहीं दो दिन रह जाता है। फिर वह चेलों से कहता है, “चलो हम फिर से यहूदिया चलें।” मगर वे कहते हैं, “गुरु, अभी कुछ ही वक्त पहले यहूदिया के लोग तुझे पत्थरों से मार डालना चाहते थे, क्या तू फिर वहीं जाना चाहता है?”—यूहन्ना 11:4, 7, 8.
यीशु उनसे कहता है, “क्या दिन की रौशनी 12 घंटे नहीं होती? अगर कोई दिन की रौशनी में चलता है, तो वह किसी चीज़ से ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह इस दुनिया की रौशनी देखता है। लेकिन अगर कोई रात में चलता है, तो वह ठोकर खाता है क्योंकि उसमें रौशनी नहीं है।” (यूहन्ना 11:9, 10) शायद वह कह रहा है कि परमेश्वर ने उसे जितने समय के लिए सेवा करने भेजा है, वह अभी खत्म नहीं हुआ है। जो थोड़ा समय बचा है, उसका वह पूरा-पूरा इस्तेमाल करेगा।
इसके बाद यीशु कहता है, “हमारा दोस्त लाज़र सो गया है, लेकिन मैं उसे जगाने वहाँ जा रहा हूँ।” चेले शायद सोचते हैं कि लाज़र आराम कर रहा है और वह ठीक हो जाएगा। वे कहते हैं, “प्रभु, अगर वह सो गया है, तो ठीक हो जाएगा।” तब यीशु साफ-साफ कहता है, ‘लाज़र मर चुका है। अब चलो, उसके पास चलते हैं।’—यूहन्ना 11:11-15.
थोमा बाकी चेलों से कहता है, “चलो हम भी उसके साथ चलें ताकि उसके साथ अपनी जान दें।” (यूहन्ना 11:16) वह जानता है कि यहूदिया में यीशु को मार डाला जाएगा, फिर भी वह उसका साथ देना चाहता है।