अध्याय 112
दस कुँवारियाँ—जागते रहने का सबक
यीशु दस कुँवारियों की मिसाल बताता है
प्रेषितों ने यीशु से पूछा है कि जब वह राज-अधिकार पाकर मौजूद होगा और दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त चल रहा होगा, तो इसकी क्या निशानी होगी। यीशु इस सवाल का जवाब दे रहा है। अंत के दिनों को ध्यान में रखकर वह चेलों को एक और मिसाल बताता है। इस मिसाल से वे जान पाते हैं कि उन्हें कैसे बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। इस मिसाल के ज़रिए जो घटनाएँ बतायी गयी हैं, उन्हें यीशु की मौजूदगी के दौरान लोग देख पाएँगे।
वह मिसाल बताना शुरू करता है, “स्वर्ग के राज की तुलना उन दस कुँवारियों से की जा सकती है, जो अपना-अपना दीपक लेकर दूल्हे से मिलने निकलीं। उनमें से पाँच मूर्ख थीं और पाँच समझदार।”—मत्ती 25:1, 2.
यीशु यह नहीं कह रहा है कि जिन चेलों को स्वर्ग में राज करने का अधिकार मिलेगा, उनमें से आधे जन मूर्ख होंगे और आधे समझदार। वह बस कह रहा है कि यह हर चेले पर निर्भर करता है कि क्या वह सतर्क रहेगा या अपना ध्यान भटकने देगा। यीशु को यकीन है कि उसका हर चेला आखिर तक वफादार रह सकता है और आशीषें पा सकता है।
दसों कुँवारियाँ दूल्हे का स्वागत करने और शादी के जश्न में शामिल होने निकल पड़ती हैं। वे सब चाहती हैं कि जब दूल्हा अपनी दुल्हन को घर ला रहा होगा, तो वे उसके सम्मान में दीपक जलाकर रास्ते को रौशन करें। मगर असल में होता क्या है?
“मूर्ख कुँवारियों ने अपने साथ दीपक तो लिए मगर तेल नहीं लिया, जबकि समझदार कुँवारियों ने दीपकों के साथ-साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी लिया। जब दूल्हा आने में देर कर रहा था, तो सारी कुँवारियाँ ऊँघने लगीं और सो गयीं।” (मत्ती 25:3-5) दूल्हे के आने में देर हो जाती है, इसलिए सारी कुँवारियाँ सो जाती हैं। यह बात सुनकर प्रेषितों को यीशु की एक और मिसाल याद आयी होगी। शाही खानदान का एक आदमी राज-अधिकार पाने के लिए दूर देश जाता है और उसे लौटने में काफी समय लगता है।—लूका 19:11-15.
यीशु बताता है कि जब काफी देर बाद दूल्हा आता है, तो क्या होता है। “ठीक आधी रात को पुकार लगायी गयी, ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे मिलने बाहर चलो।’” (मत्ती 25:6) क्या दसों कुँवारियाँ दूल्हे से मिलने के लिए तैयार हैं?
“तब सारी कुँवारियाँ उठीं और अपना-अपना दीपक तैयार करने लगीं। जो मूर्ख थीं उन्होंने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से थोड़ा हमें दो, क्योंकि हमारे दीपक बुझनेवाले हैं।’ लेकिन समझदार कुँवारियों ने कहा, ‘शायद यह हमारे और तुम्हारे लिए पूरा न पड़े। इसलिए तुम तेल बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिए खरीद लाओ।’”—मत्ती 25:7-9.
पाँच मूर्ख कुँवारियाँ तैयार नहीं थीं। उनके दीपकों में तेल कम पड़ गया। आगे क्या हुआ? “जब वे खरीदने जा रही थीं, तो दूल्हा आ गया। जो कुँवारियाँ तैयार थीं वे शादी की दावत के लिए उसके साथ अंदर चली गयीं और दरवाज़ा बंद कर दिया गया। बाद में बाकी कुँवारियाँ भी आयीं और कहने लगीं, ‘साहब, साहब, हमारे लिए दरवाज़ा खोलो!’ मगर दूल्हे ने कहा, ‘मैं सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’” (मत्ती 25:10-12) जो लोग तैयार नहीं रहते उनका कितना बुरा हाल होता है!
प्रेषित समझ सकते हैं कि दूल्हा खुद यीशु है। पहले भी एक बार उसने अपनी तुलना दूल्हे से की थी। (लूका 5:34, 35) समझदार कुँवारियाँ कौन हैं? जब यीशु ने कहा था कि “छोटे झुंड” को राज करने का अधिकार दिया जाएगा, तो उसने यह भी कहा था, “तुम कमर कसकर तैयार रहो और तुम्हारे दीपक जलते रहें।” (लूका 12:32, 35) तो प्रेषित समझ सकते हैं कि यीशु उनके बारे में और उनके जैसे और चेलों के बारे में बात कर रहा है जो छोटे झुंड का हिस्सा हैं।
यीशु बताता है कि दस कुवाँरियों से क्या सबक मिलता है: “जागते रहो क्योंकि तुम न तो उस दिन को जानते हो, न ही उस घड़ी को।”—मत्ती 25:13.
अंत के दिनों में उसके चेलों को सतर्क रहना होगा। यीशु ज़रूर आएगा और उन्हें पाँच समझदार कुँवारियों की तरह तैयार रहना है। तब उनका ध्यान नहीं भटकेगा और वे इनाम पाएँगे।