यीशु का जीवन और सेवकाई
उसने उसका वस्त्र छूआ
दिकापुलिस से यीशु की वापसी की ख़बर कफ़रनहूम पहुँचती है, और उसका स्वागत करने के लिए समुद्र के पास एक बड़ी भीड़ जमा हो जाती है। बेशक उन्होंने सुना है कि उसने आँधी को रोका और दुष्टात्मा-ग्रस्त मनुष्यों को स्वस्थ किया। अब, जैसे ही वह किनारे पर पाँव रखता है, वे उत्सुक और प्रत्याशी होकर, उसके इर्द-गिर्द जमा होते हैं।
यीशु से मिलने के लिए चिंताकुल लोगों में याईर नाम का आराधनालय का एक अध्यक्ष है। वह यीशु के पैरों पर गिरकर बार-बार गिड़गिड़ाता है: “मेरी छोटी बेटी मरने पर है: तू आकर उस पर हाथ रख, कि वह चंगी होकर जीवित रहे।” चूँकि वह उसकी एकलौती बेटी है और सिर्फ़ १२ वर्ष की, वह याईर के लिए खास तौर से परमप्रिय है।
यीशु हाँ करता है और, भीड़ के साथ-साथ, याईर के घर की ओर चल देता है। हम उन लोगों की उत्तेजना का अंदाज़ा लगा सकते हैं जब वे एक और चमत्कार का पूर्वानुमान करते हैं। लेकिन उस भीड़ में एक औरत का ध्यान खुद अपनी दुःसाध्य समस्या पर केंद्रित है।
१२ सालों से यह औरत रक्त-स्राव के रोग से पीड़ित है। वह एक-एक करके सभी वैद्यों के पास जा चुकी है और उसने अपना सारा पैसा दवा-दारू पर ख़र्च किया है। पर उसकी कोई मदद न हुई है; उलटा, उसकी समस्या और भी बदतर हुई है।
संभवतः जैसा कि आप समझ सकते हैं, उसे बहुत ज़्यादा कमज़ोर बनाने के अलावा, उसकी बीमारी लज्जाजनक और मानहानिकर है। आम तौर से कोई भी ऐसी बीमारी के बारे में सरेआम बात नहीं करता। इसके अतिरिक्त, मूसा के नियम के अंतर्गत, रक्त-स्राव से औरत अशुद्ध होती है, और जो कोई उसे या उसके रक्तरंजित कपड़ों को छूए, उस से आवश्यक होता है कि वह स्नान करके शाम तक अशुद्ध रहे।
इस औरत ने यीशु के चमत्कारों के बारे में सुना है और अब वह उसके पास पहुँची है। अपनी अशुद्धता का विचार करके, वह जितना हो सके उतने अप्रकट रूप से भीड़ में आगे बढ़ती है, अपने आप से यह कहकर: “यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी, तो चंगी हो जाऊँगी।” जब वह ऐसा करती है, उसे फ़ौरन महसूस होता है कि उसका रक्त-स्राव बंद हो चुका है!
“कौन है जिस ने मुझे छूआ?” यीशु के उन शब्दों से उसे कितना धक्का लगता होगा! वह कैसे जान सका? ‘हे स्वामी,’ पतरस पूछता है, ‘तुझे तो भीड़ दबा रही है और तुझ पर गिरी पड़ती है, और तू कहता है, “किस ने मुझे छूआ?”’
उस औरत को ढूँढ़ते हुए, यीशु कारण बताता है: “किसी ने मुझे छूआ है क्योंकि मैं ने जान लिया है कि मुझ में से सामर्थ निकली है।” वास्तव में, यह कोई साधारण स्पर्श नहीं, इसलिए कि परिणामी स्वास्थ्य-लाभ यीशु की सामर्थ्य खींच लेता है।
यह देखकर कि उसका पता लग चुका है, वह औरत, डरती और काँपती हुई, यीशु के सामने आ गिरती है। सब के सामने, वह अपनी बीमारी के बारे में और किस तरह वह अभी अभी स्वस्थ की जा चुकी है, सब हाल सच-सच बता देती है।
उसकी पूर्ण स्वीकृति से प्रभावित होकर, यीशु उसे अनुकंपा से सांत्वना देता है: “पुत्री, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है: कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह।” यह जानना कितना उत्तम है कि परमेश्वर ने जिस व्यक्ति को पृथ्वी पर राज्य करने के लिए चुना है, वह इतना स्नेही और अनुकंपाशील व्यक्ति है, जो दोनों, लोगों की परवाह करता है और जिसके पास उनकी मदद करने की सामर्थ्य भी है! मत्ती ९:१८-२२; मरकुस ५:२१-३४, न्यू.व.; लूका ८:४०-४८; लैव्यव्यवस्था १५:२५-२७.
◆ याईर कौन है, और वह यीशु के पास क्यों आता है?
◆ एक औरत की समस्या क्या है, और मदद के लिए यीशु के पास आना उसके लिए इतना मुश्किल क्यों है?
◆ वह औरत किस तरह स्वस्थ होती है, और यीशु उसे किस तरह सांत्वना देता है?