तीन मेजाइ असलियत या कल्पना?
“C + M + B”
क्या ये अक्षर आप के लिए कोई अर्थ रखते हैं? यदि आप फेड्रल रीपब्लिक ऑफ जर्मनी के किसी रोमन कैथोलिक क्षेत्र में रहते हैं, तो संभवतः ये आप के लिए अर्थ रखेंगे। वहाँ पर आप बहुधा इन अक्षरों को वर्षांक सहित द्वारों के चौखट पर चाक से लिखे हुए देखेंगे। ऐसा क्यों?
लोकप्रिय कथा के अनुसार ये अक्षर तथाकथित तीन मेजाइ अथवा “विद्वान पुरुषों” के नाम, अर्थात् गॅस्पर (जर्मन में कॅस्पर), मेलकिओर और बालथासर के जर्मन भाषा में प्रथम अक्षर हैं।a माना जाता है कि मेजाइ की अस्थियों को वर्ष ११६४ में कलोन नगर में स्थानान्तरित किया गया और बाद में उन्हें नगर के प्रधान गिरजे में रखा गया, जिससे कि कलोन उनकी भक्ति का केंद्र बन गया। हर वर्ष, जनवरी ६ को—जिसे तीन पवित्र राजाओं का प्रीतिभोज के नाम से जाना जाता है—प्राचीन काल के राजाओं के वस्त्र पहने हुए युवाओं के समुदाय घर-घर जाकर चौखटों पर इन अक्षरों को चाक से लिख देते हैं। परम्परा के अनुसार, इससे गृहस्थों को दुर्भाग्य से सुरक्षा मिलती है।
धार्मिक चित्रकला और परम्परा से सूचित होता है कि तीन मेजाइ अथवा “राजाओं” को एक “तारे” के द्वारा यीशु के जन्मस्थान तक ले जाया गया। जो सम्मान, और भक्ति भी, इन “राजाओं” को दी जाती है, उसे मद्देनज़र रखते हुए, प्रश्न यह उठता है कि क्या यह विश्वास शास्त्रों पर आधारित है या नहीं।
मत्ती एकमात्र सुसमाचार शास्त्र है जो इन अतिथियों का ज़िक्र करता है। (२:१-१२) परन्तु क्या मत्ती उल्लेख करते हैं कि वे तीन थे और कि वे राजा थे, और क्या वह उनके नामों को लिपिबद्ध करते हैं? कैथोलिक समाचारपत्र कर्केंज़ाइटुंग फ्यूर डास बिस्टुम आख़ेन क़बूल करता है: “बाइबल में तीन पवित्र राजाओं का ज़िक्र इस तरह नहीं किया गया है। छठी सदी से लेकर इन विद्वान पुरुषों को . . . तीन राजा समझा गया। . . . जहाँ तक इन ज्योतिषियों की संख्या का प्रश्न है, . . . मत्ती कोई ब्योरा नहीं देते। . . . नौवीं सदी में पहली बार वे गॅस्पर, मेलकिओर और बालथासर के नाम से प्रकट हुए।” इसके अतिरिक्त, कैथोलिक संदर्भ-रचना लेक्सिकन फ्यूर थीओलोजी उन्ड कर्क टिप्पणी करती है कि यूनानी शब्द मेʹगोई का अर्थ राजा नहीं, परन्तु “ऐसे व्यक्ति” है, “जिनके पास ज्योतिष शास्त्र का छिपा हुआ ज्ञान है।” जस्टिन मार्टर, ओरिजेन और टरटुलियन, प्रत्येक इस शब्द को “ज्योतिषी,” इस अर्थ से समझते थे। आधुनिक बाइबल अनुवाद भी मत्ती २:१, ७ में “ज्योतिषी” का उपयोग करते हैं।—एन अमेरिकन ट्रान्सलेशन.
हालाँकि यीशु को बच्चे के रूप में दिखानेवाले जन्मोत्सव दृश्य सर्वदा “तीन राजाओं” को शामिल करते हैं, क्या वे उनके जन्म के समय उपस्थित थे? शब्दकोश आगे बताता है: “मत्ती २:१६ सूचित करता है कि यह भेंट यीशु के जन्म के कदाचित एक वर्ष अथवा उससे अधिक समय बाद हुई।” वस्तुतः, ११वें वचन में एक चरनी नहीं, बल्कि एक “घर” के बारे में बताया गया है, जहाँ उन्होंने “युवा बालक को देखा।”—किंग जेम्स वर्शन.b
“पवित्र राजा,” इस अभिव्यक्ति के बारे में क्या? क्या इन अतिथियों को पवित्र कहना उचित होगा? शास्त्रों में उनका ऐसा वर्णन कभी नहीं किया गया है। दरअसल, वे परमेश्वरीय सिद्धान्त का उल्लंघन करने वाले थे। यशायाह ४७:१३, १४ में, परमेश्वर ऐसे लोगों को दोषी ठहराते हैं जो “स्वर्ग के उपासक (सेप्टुआजिन्ट के अनुसार “ज्योतिषी”) हैं, और जो नक्षत्रों को ध्यान से देखते हैं।” (व्यवस्थाविवरण १८:१० से तुलना करें।) ये ज्योतिषी “पूर्वी क्षेत्रों” से आए, अपवित्र बाबेलोन से, जो कि अधिक संभव रूप से प्रेतात्माओं की उपासना का उस समय का केंद्र था, जहाँ पर वे झूठे देवताओं की उपासना करते थे। अतः, उन्हें ऐसी वस्तु से मार्गदर्शन मिला जिसे वे एक चलता हुआ “तारा” समझ बैठे, जिसे और किसी के देखने का वृत्तान्त नहीं है। और फिर मत्ती बताते हैं कि “तारा” पहले उन्हें राजा हेरोदेस के पास ले गया, जिसने फिर यीशु को मरवा डालने का प्रयास किया।—मत्ती २:१, २.
नहीं, परमेश्वर ने उन्हें यीशु के पास ले जाने के लिए कोई “तारा” नहीं भेजा। क्या यह अधिक संभव नहीं है कि इस “तारा” को ऐसे किसी व्यक्ति ने भेजा होगा जो यीशु को, इस से पहले कि वह अपना परमेश्वर-प्रदत्त काम पूरा कर सके, विनाश करने का प्रयास कर रहा था?—उत्पत्ति ३:१५ से तुलना करें।
यीशु ने चेतावनी दी कि परमेश्वर के वचन को “परम्परा” के साथ मिलाने से “व्यर्थ” बनाया जा सकता है। (मत्ती १५:६) इन व्यक्तियों के बारे में जो परम्पराएँ हैं, वे स्पष्ट रूप से ग़ैर-धर्मशास्त्रीय हैं। इस कारण से क्या आप सहमत नहीं कि इन ज्यातिषियों की उपासना करना अथवा उनको पवित्र मानना ग़लत होगा?
[फुटनोट]
a एक व्याख्या के तौर से पादरी-वर्ग इस लॅटिन वाक्य क्रिस्टस मॅनसियोनेम बेनेडिकॅट की ओर भी संकेत करते हैं, जिसका अर्थ है, “मसीह इस घर को आशीर्वाद दें।”
b ज्योतिषियों के आगमन के बारे में अधिक जानकारी के लिए द वॉचटावर के दिसंबर १५, १९७९ अंक में पृष्ठ ३० को देखें।