उन्हें बालकपन से प्रशिक्षित कीजिए
आधुनिक अनुसंधान यह सूचित करता है कि “भ्रूण आवाज़ों के प्रति शारीरिक प्रतिक्रिया दिखाते हैं।” उत्तरी कैरोलिना अनुसंधानकर्त्ताओं के विश्वविद्यालय ने “पाया कि माताओं के अपने अजन्मे बच्चों को पढ़कर सुनाने के बाद, जब उन परिच्छेदों को दोबारा पढ़ा गया तो इन नवजात शिशुओं ने प्रतिक्रिया दिखाई,” विन्नीपॆग फ्री प्रेस कहता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाएँ ज़ोर से पढ़ती हैं, तो यह शायद बच्चे के मन में अच्छे नैतिक मूल्य बिठाने में अच्छा योगदान दे। बाइबल कहती है कि तीमुथियुस ‘बालकपन से पवित्र शास्त्र जानता था।’ (२ तीमुथियुस ३:१४, १५) स्पष्ट रूप से, उसकी माँ और नानी ने बालकपन से उसे प्रशिक्षित करने के महत्त्व का मूल्यांकन किया, जिसमें अति संभव है कि ज़ोर से पढ़ना शामिल था।
लेखक जिम ट्रेलीस कहता है कि पढ़ना “सबसे शक्तिशाली जीवन कौशल है जो हमारे पास आज हमारे समाज में है।” भाषा और शब्दसंग्रह कौशल ज़ोर से पढ़ने के द्वारा बढ़ते हैं।
जिस समय आप अपने शिशु से बात करना शुरू करते हैं कम-से-कम उस समय से ज़ोर से पढ़ना शुरू करना बुद्धिमानी है। चाहे आपका अजन्मा अथवा नवजात शिशु जो आप कह रहे हैं उसे नहीं समझे, लेकिन यह संभावित दीर्घकालीन लाभों के योग्य है। नीतिवचन २२:६ कहता है: “लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।”
आप ऐसा क्या पढ़ सकते हैं जो व्यावहारिक और लाभदायक दोनों हो? अपने बच्चे के लिए हर दिन बाइबल ज़ोर से पढ़िए। अन्य मूल्यवान प्रकाशन भी जैसे, महान शिक्षक की सुनना, बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक, वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा, और प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं के लेखों को भी पढ़िए।
सच है कि ख़ुद को इस तरह देने के लिए समय आवश्यक है, लेकिन यह समय का सदुपयोग है। यह इस बात को दिखाने का एक वास्तविक तरीक़ा है कि आप अपने बच्चे की परवाह करते और उससे प्रेम करते हैं।