नरक के बारे में सच्चाई
चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की धर्मसिद्धान्त समिति की एक रिपोर्ट ने कहा कि आख़िरकार नरक एक अग्निमय भट्टी नहीं है; इसके बजाय, यह एक काल्पनिक स्थान है जहाँ कुछ नहीं है। “इस फेर-बदल के अनेक कारण हैं,” रिपोर्ट कहती है। “लेकिन उनमें से एक है, भयभीत करनेवाले धर्म के विरुद्ध नैतिक विद्रोह जो मसीही धर्म में और उसके बाहर भी है, और एक बढ़ता हुआ आभास कि करोड़ों को अनन्त यातना के हवाले करनेवाले परमेश्वर की धारणा, मसीह में परमेश्वर के प्रेम के प्रकट होने से कहीं दूर है।”
नरक के बारे में पारम्परिक दृष्टिकोण से यह बेचैनी केवल चर्च ऑफ़ इंग्लैंड में नहीं है। विभिन्न सम्प्रदायों के लोग एक प्रतिशोधी परमेश्वर की उपासना करना मुश्किल पाते हैं जो पापियों को भस्म करता है। “लोग ऐसा परमेश्वर चाहते हैं जो स्नेह से भरा हुआ और कोमल हो,” ड्यूक यूनिवर्सिटीस् डिविनिटी स्कूल में धर्म और समाज का प्रॉफ़ॆसर, जैक्सन कैरल कहता है। “पाप और दोष के बारे में बात करना आज की संस्कृति के विरुद्ध है।”
यहोवा के साक्षी अरसे से यह विश्वास करते हैं कि नरक, जैसे बाइबल सिखाती है, केवल मृत मानवजाति की एक सामान्य क़ब्र है—ज्वलनशील यातना का एक स्थान नहीं। वे यह दृष्टिकोण रखते हैं, इसलिए नहीं कि वह लोकप्रिय है, बल्कि इसलिए कि बाइबल कहती है: “परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते . . . अधोलोक [“नरक,” कैथोलिक डूए वर्शन] में . . . न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”—सभोपदेशक ९:५, १०.
मृत जनों की स्थिति के बारे में इस स्पष्ट समझ के साथ, वॉच टावर संस्था के पहले अध्यक्ष, चार्ल्स् टेज़ रस्सल ने १८९६ में लिखा: “हम [बाइबल में] अनन्त यातना की कोई जगह नहीं पाते जिसकी ग़लत शिक्षा पन्थों, और गीत-पुस्तकों और अनेक प्रवचन-मंचों से दी जाती है। फिर भी हमने ‘नरक’ पाया है, अर्थात् शीओल, हेडीस्, जिसका दण्ड आदम के पाप के कारण सारी मानवजाति को दिया गया था, और जिससे सभी को हमारे प्रभु की मृत्यु से छुड़ाया गया है; और वह ‘नरक’ है क़ब्र—मृत अवस्था।”
इस प्रकार, एक शताब्दी से भी अधिक समय से, यहोवा के साक्षियों ने नरक के बारे में बाइबलीय सच्चाई सिखायी है।
[पेज 32 पर तसवीर]
चार्ल्स् टी. रस्सल