आपके सवाल
क्या तीन राजा वाकई यीशु को उसके जन्म के वक्त देखने आए थे?
दक्षिण अमरीका से लेकर पूर्वी यूरोप तक और पूर्वी यूरोप से लेकर एशिया तक, क्रिसमस के दौरान यीशु के जन्म से जुड़ी एक कहानी सुनायी जाती है। इसमें तीन राजाओं या तीन ज्ञानी पुरुषों का भी ज़िक्र होता है। कहा जाता है कि ये पुरुष, यीशु के जन्म के वक्त उसे देखने आए थे और अपने साथ ढेर सारे कीमती तोहफे लाए थे। मगर क्या यह कहानी सच है? क्या इसका कोई सबूत है? आइए देखें।
बाइबल की चार किताबें—मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना को खुशखबरी की किताबें कहा जाता है। इनमें से दो किताबों, यानी मत्ती और लूका में यीशु के जन्म का ब्यौरा दर्ज़ है। ये ब्यौरे दिखाते हैं कि यीशु के जन्म के वक्त सिर्फ गरीब चरवाहे उसे देखने आए, जो पास के मैदानों में थे। जिन पुरुषों को राजा या ज्ञानी कहा गया है, वे दरअसल शाही लोग नहीं बल्कि ज्योतिषी थे। और बाइबल यह नहीं बताती कि कितने ज्योतिषी आए थे। इसके अलावा, ये ज्योतिषी उस वक्त यीशु को देखने नहीं आए, जब उसका जन्म हुआ और उसे चरनी में रखा गया था। इसके बजाय, वे तब यीशु से मिलने आए जब वह थोड़ा बड़ा हो चुका था और एक घर में रह रहा था। यही नहीं, उनके आने की वजह से यीशु की जान खतरे में पड़ गयी!
बाइबल के एक लेखक लूका ने यीशु के जन्म के बारे में जो ब्यौरा लिखा, उसे ध्यान से पढ़िए: “कुछ चरवाहे . . . थे जो मैदानों में रह रहे थे। वे रात के एक-एक पहर में बारी-बारी से अपने झुंडों की पहरेदारी कर रहे थे कि तभी अचानक यहोवा का दूत उनके सामने आकर खड़ा हो गया, और . . . कहा: ‘. . . तुम एक शिशु को कपड़े की पट्टियों में लिपटा और चरनी में लेटा हुआ पाओगे।’ . . . तब वे जल्दी-जल्दी गए और उन्होंने वहाँ मरियम और उसके साथ यूसुफ को देखा, साथ ही उस शिशु को चरनी में लेटा हुआ पाया।”—लूका 2:8-16.
क्या आपने गौर किया, नन्हे यीशु के साथ सिर्फ यूसुफ, मरियम और चरवाहे थे। लूका के ब्यौरे में और किसी का ज़िक्र नहीं किया गया है।
अब आइए नयी हिन्दी बाइबिल से मत्ती 2:1-11 में दर्ज़ ब्यौरे की जाँच करें। उसमें लिखा है: “राजा हेरोदेस के समय में जब यहूदा प्रदेश के बैतलहम गांव में यीशु का जन्म हुआ तब पूर्व देश से ज्ञानी पुरुष यरूशलम नगर में आए। . . . घर में प्रवेश कर उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा।”
ध्यान दीजिए, ब्यौरे में सिर्फ “ज्ञानी पुरुष” का ज़िक्र किया है, न कि “तीन ज्ञानी पुरुष” का। इसके अलावा, ब्यौरे में यह भी बताया गया है कि जब वे पूर्व देश से आए, तो सबसे पहले बेतलेहेम नहीं गए जहाँ यीशु पैदा हुआ था, बल्कि वे यरूशलेम गए। जब वे आखिरकार बेतलेहेम पहुँचे, तब यीशु एक “बालक” था। यानी वह कोई नन्हा शिशु नहीं था और न ही अस्तबल में था। वह अपने माँ-बाप के साथ एक घर में रह रहा था।
इसके अलावा, हालाँकि नयी हिन्दी बाइबिल में शब्द “ज्ञानी पुरुष” इस्तेमाल किए गए हैं, लेकिन दूसरे अनुवादों में शब्द “ज्योतिषी” या “मजूसी” इस्तेमाल किए गए हैं। ए हैंडबुक ऑन द गॉस्पल ऑफ मैथ्यू किताब के मुताबिक, “जिस यूनानी संज्ञा का अनुवाद [ज्ञानी पुरुष] किया गया है, उसका असली मतलब है, फारस के पंडित जो ज्योतिष-विद्या में माहिर होते थे।” दी एक्सपैंडिड वाइन्स् एक्सपॉज़िट्री डिक्शनरी ऑफ न्यू टेस्टमेंट वर्ड्स् इस शब्द की परिभाषा यूँ देती है, “ओझा, तंत्र-मंत्र करनेवाला, जो जादुई ताकत रखने का दावा करता हो, जो जादू-टोना जानता हो।”
हालाँकि आज भी ज्योतिष-विद्या और जादू-टोना बहुत मशहूर है, फिर भी बाइबल हमें इनसे खबरदार करती है। (यशायाह 47:13-15) भूतविद्या और इससे जुड़े कामों से यहोवा परमेश्वर घृणा करता है। (व्यवस्थाविवरण 18:10-12) इसलिए परमेश्वर के एक भी स्वर्गदूत ने उन ज्योतिषियों के पास जाकर यीशु के जन्म का ऐलान नहीं किया। फिर भी परमेश्वर ने उन्हें सपने में खबरदार किया कि वे वापस राजा हेरोदेस के पास न जाएँ, क्योंकि वह यीशु को मार डालने की ताक में था। “इसलिए वे दूसरे रास्ते से अपने देश लौट गए।”—मत्ती 2:11-16.
क्या सच्चे मसीहियों को उस मशहूर कहानी को बरकरार रखना चाहिए, जो यीशु के जन्म से जुड़ी घटनाओं की सच्चाई पर परदा डालती है? हरगिज़ नहीं! (w09-E 12/01)