परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
दिसंबर 29, 2003 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर ज़बानी चर्चा होगी। स्कूल ओवरसियर, 30 मिनट के लिए नवंबर 3 से दिसंबर 29, 2003 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर दोबारा चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: अगर किसी सवाल के बाद कोई हवाले नहीं दिए गए हैं, तो वहाँ जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी होगी।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. प्रचार में बाइबल का इस्तेमाल करना क्यों बेहद ज़रूरी है? [be-HI पेज 145 पैरा. 2, बक्स]
2. जिस तरीके से आयतों का परिचय दिया जाता है, उस पर संदर्भ का क्या असर पड़ता है? [be-HI पेज 149]
3. बाइबल की कोई आयत पढ़ते वक्त सही शब्दों पर ज़ोर देना क्यों ज़रूरी है और यह कैसे किया जा सकता है? [be-HI पेज 151 पैरा. 2, बक्स]
4. जब हम दूसरों को सिखाते हैं तब हम ‘सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाने’ की पौलुस की सलाह को कैसे लागू कर सकते हैं और ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? (2 तीमु. 2:15) [be-HI पेज 153 पैरा. 2, बक्स]
5. पौलुस ने कैसे ‘पवित्र शास्त्रों से विवाद किया’ था? (प्रेरि. 17:2, 3) [be-HI पेज 155 पैरा. 5, 6]
भाग नं. 1
6. जब हम भाषण की तैयारी में खोजबीन करने के लिए, सबसे ज़रूरी औज़ार बाइबल का इस्तेमाल करते हैं तो (1) आस-पास की आयतों को जाँचना, (2) क्रॉस-रेफ्रेन्स में दी आयतों को खोलकर पढ़ना, और (3) बाइबल कॅनकॉर्डन्स की मदद लेना क्यों फायदेमंद है? [be-HI पेज 34 पैरा. 3–पेज 35 पैरा. 2]
7. सच्ची वफादारी कैसे और किसके साथ निभायी जाती है? [w01-HI 10/1 पेज 22-3]
8. किस बात से पता चलता है कि यहोवा समय का सही-सही हिसाब रखता है? (दानि. 11:35-40; लूका 21:24) [si पेज 284 पैरा. 1]
9. भाषण के लिए खोजबीन करने के बाद, किन बातों को ध्यान में रखकर हमें फैसला करना चाहिए कि हम कौन-सी जानकारी का इस्तेमाल करेंगे? [be-HI पेज 38]
10. यीशु ने जो “नूह के दिन” के बारे में कहा था, वह आज हमारे हालात से कैसे मेल खाता है? (मत्ती 24:37) [w01-HI 11/15 पेज 31 पैरा. 2-3]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. फिलेमोन के नाम पौलुस की पत्री कैसे दिखाती है कि लोगों को मसीही बनने में मदद देना, मसीहियों की ज़िम्मेदारी है, न कि समाज-सुधार का कोई काम? (फिले. 12)
12. ‘बहकर दूर चले जाने,’ ‘दूर हट जाने’ और ‘पथ-भ्रष्ट हो जाने’ (नयी हिन्दी बाइबिल) के बीच क्या अंतर है? (इब्रा. 2:1; 3:12; 6:6) [w99-HI 7/15 पेज 19 पैरा. 12; w87-HI 7/1 पेज 26 पैरा. 16-17; w80 12/1 पेज 23 पैरा. 8]
13. हम छोटी-छोटी बातों में “प्रभु चाहे तो” कहने से कैसे दूर रह सकते हैं? (याकू. 4:15) [cj पेज 171 पैरा. 1-2]
14. ‘परमेश्वर के दिन की बाट जोहते रहने और उसके जल्द आने के लिए यत्न करने’ का मतलब क्या है और हम यह कैसे कर सकते हैं? (2 पत. 3:12) [w97-HI 9/1 पेज 19-20]
15. प्रकाशितवाक्य के दूसरे और तीसरे अध्याय में बतायी सात कलीसियाओं को दिए गए संदेश में आज के मसीहियों के लिए कौन-सी ज़रूरी सलाह पायी जाती है? (प्रका. 2:4, 5, 10, 14, 20; 3:3, 10, 11, 17, 19)