1
यिर्मयाह, भविष्यवक्ता ठहराया गया (1-10)
बादाम के पेड़ का दर्शन (11, 12)
एक हंडे का दर्शन (13-16)
यिर्मयाह को मज़बूत किया गया (17-19)
2
3
इसराएल की बगावत की हद (1-5)
वह और यहूदा, व्यभिचारी (6-11)
पश्चाताप करने के लिए कहा गया (12-25)
4
पश्चाताप करने से आशीषें मिलती हैं (1-4)
उत्तर से बड़ी विपत्ति आएगी (5-18)
इस वजह से यिर्मयाह को दर्द उठा (19-31)
5
लोगों ने यहोवा की शिक्षा ठुकरायी (1-13)
नाश मगर पूरी तरह नहीं (14-19)
यहोवा ने लोगों से हिसाब माँगा (20-31)
6
यरूशलेम की घेराबंदी करीब (1-9)
यरूशलेम पर यहोवा का क्रोध (10-21)
उत्तर से खूँखार लोगों का हमला (22-26)
यिर्मयाह, धातु जाँचनेवाला (27-30)
7
यहोवा के मंदिर पर भरोसा करना धोखा है (1-11)
मंदिर शीलो जैसा बन जाएगा (12-15)
झूठी उपासना की निंदा (16-34)
8
लोग वही रास्ता चुनते हैं जिस पर सब चलते हैं (1-7)
यहोवा के वचन के बिना बुद्धि कहाँ? (8-17)
यहूदा का घाव देखकर यिर्मयाह दुखी (18-22)
9
यिर्मयाह का गहरा दुख (1-3क)
यहोवा ने यहूदा से हिसाब माँगा (3ख-16)
यहूदा की हालत पर मातम (17-22)
गर्व करो कि तुम यहोवा को जानते हो (23-26)
10
राष्ट्रों के देवताओं और जीवित परमेश्वर के बीच फर्क (1-16)
तेज़ी से आनेवाला नाश; बँधुआई (17, 18)
यिर्मयाह दुख मनाता है (19-22)
भविष्यवक्ता की प्रार्थना (23-25)
11
यहूदा ने परमेश्वर से किया करार तोड़ा (1-17)
यिर्मयाह मेम्ने जैसा है जिसका हलाल होनेवाला था (18-20)
उसके नगर के आदमियों का विरोध (21-23)
12
यिर्मयाह की शिकायत (1-4)
यहोवा का जवाब (5-17)
13
मलमल का कमरबंद खराब (1-11)
दाख-मदिरा के मटके चूर किए जाएँगे (12-14)
कभी न सुधरनेवाले यहूदा की बँधुआई (15-27)
14
सूखा, अकाल और तलवार (1-12)
झूठे भविष्यवक्ताओं को सज़ा सुनायी (13-18)
यिर्मयाह ने लोगों के पाप कबूल किए (19-22)
15
यहोवा अपना फैसला नहीं बदलेगा (1-9)
यिर्मयाह की शिकायत (10)
यहोवा का जवाब (11-14)
यिर्मयाह की प्रार्थना (15-18)
यिर्मयाह को यहोवा ने मज़बूत किया (19-21)
16
17
यहूदा का पाप गहराई तक समाया हुआ (1-4)
यहोवा से मिलनेवाली आशीषें (5-8)
धोखेबाज़ दिल (9-11)
यहोवा, इसराएल की आशा (12, 13)
यिर्मयाह की प्रार्थना (14-18)
सब्त को पवित्र मानना (19-27)
18
कुम्हार के हाथ में मिट्टी (1-12)
यहोवा ने इसराएल को पीठ दिखायी (13-17)
यिर्मयाह के खिलाफ साज़िश; उसकी दुहाई (18-23)
19
20
पशहूर ने यिर्मयाह को मारा (1-6)
यिर्मयाह ने प्रचार बंद नहीं किया (7-13)
यिर्मयाह की शिकायत (14-18)
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22
23
अच्छे और बुरे चरवाहे (1-4)
“नेक अंकुर” के राज में सुरक्षा (5-8)
झूठे भविष्यवक्ताओं को सज़ा सुनायी (9-32)
यहोवा का “बोझ” (33-40)
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यिर्मयाह ने खर्रा शब्द-ब-शब्द लिखवाया (1-7)
बारूक ने खर्रा पढ़कर सुनाया (8-19)
यहोयाकीम ने खर्रा जला दिया (20-26)
संदेश दोबारा लिखा गया (27-32)
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यिर्मयाह को कुंड में फेंका गया (1-6)
एबेद-मेलेक ने उसे बचाया (7-13)
यिर्मयाह ने सिदकियाह से कहा कि वह खुद को बैबिलोन के हवाले कर दे (14-28)
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40
नबूजरदान ने यिर्मयाह को आज़ाद किया (1-6)
गदल्याह, देश का अधिकारी (7-12)
उसके खिलाफ साज़िश (13-16)
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42
लोग यिर्मयाह से गुज़ारिश करते हैं कि वह मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करे (1-6)
यहोवा कहता है, “मिस्र मत जाओ” (7-22)
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अम्मोन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-6)
एदोम के खिलाफ भविष्यवाणी (7-22)
दमिश्क के खिलाफ भविष्यवाणी (23-27)
केदार और हासोर के खिलाफ भविष्यवाणी (28-33)
एलाम के खिलाफ भविष्यवाणी (34-39)
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51
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सिदकियाह ने बैबिलोन से बगावत की (1-3)
नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम को घेरा (4-11)
शहर और मंदिर का नाश (12-23)
लोग बैबिलोन ले जाए गए (24-30)
यहोयाकीन कैद से रिहा किया गया (31-34)