परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन
कैसे करें आपस में समझौता
चुनौती
मान लीजिए किसी मामले में आपकी और आपके साथी की राय अलग-अलग है। आप शायद आगे दिए तीन कदमों में से कोई एक उठाएँ:
आप अपनी बात पर अड़े रहेंगे, जब तक कि आपका साथी आपकी बात मान न ले।
आप बिना कुछ कहे अपने साथी की बात मान लेंगे।
आप दोनों आपस में समझौता करेंगे।
शायद आप कहें, ‘मुझे समझौता करना अच्छा नहीं लगता। यह ऐसा है मानो दोनों में कोई भी अपनी बात पूरी नहीं कर पाता!’
अगर आप सही इरादे से आपस में समझौता करते हैं तो यकीन रखिए, अंत में न तो आपको और न ही आपके जीवन-साथी को निराश होना पड़ेगा और न ही किसी को यह सोचना पड़ेगा कि मेरी हार हो गयी। तो फिर आपस में समझौता कैसे करें यह जानने से पहले आगे दी बातों पर गौर कीजिए।
आपको क्या मालूम होना चाहिए
समझौते के लिए मिलकर काम करना ज़रूरी है। हो सकता है शादी से पहले आपको अकेले फैसले लेने की आदत हो। मगर शादी के बाद हालात बदल जाते हैं। फैसला लेते वक्त आप दोनों को अपनी पसंद से ज़्यादा, अपने शादी के बंधन को मज़बूत बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए और दोनों को मिलकर फैसले लेने चाहिए। यह मत सोचिए कि ये सब करना आपकी मजबूरी है बल्कि इससे आपका ही फायदा होगा। ऑलेक्सज़ॉन्ड्रा नाम की एक शादीशुदा औरत कहती है, “अकेले फैसले लेने से ज़्यादा, जब दो लोग मिलकर फैसले लेते हैं, तो इसके अच्छे नतीजे निकलते हैं।”
समझौते के लिए दूसरे की ध्यान से सुनना और उस पर गहराई से सोचना ज़रूरी है। शादी के सलाहकार जॉन एम. गॉटमैन अपनी किताब में लिखते हैं, “आपका जीवन-साथी जो कहता या सोचता है, ज़रूरी नहीं कि आप उससे राज़ी हों। मगर यह ज़रूरी है कि आप उसकी बात ध्यान से सुनें और उस पर गहराई से सोचें।” वह यह भी लिखते हैं, “जब आपका साथी किसी समस्या के बारे में आपसे खुलकर बात कर रहा हो, तो उस वक्त अगर आप सिर्फ हाथ बाँधकर ‘ना’ में सिर हिलाते रहें (या उस बारे में सिर्फ सोचते रहें) तो समस्या कभी नहीं सुलझ पाएगी और न ही आपकी बातचीत कभी आगे बढ़ पाएगी।”a
समझौते के लिए त्याग की भावना होना ज़रूरी है। कोई भी ऐसे जीवन-साथी के साथ रहना पसंद नहीं करेगा जो हमेशा यह माने, ‘मेरी सोच ही सही है या मेरी बात माननी ही पड़ेगी।’ दूसरी तरफ अगर दोनों एक-दूसरे के लिए त्याग की भावना दिखाएँ तो कितना अच्छा होगा! ज्यून नाम की एक शादीशुदा औरत कहती है, ‘कई बार अपने पति की खुशी के लिए मैं उनकी बात मान लेती हूँ और कई बार मेरे पति भी ऐसा ही करते हैं। दरअसल पति और पत्नी दोनों को एक-दूसरे की बात माननी चाहिए, न कि हमेशा अपनी बात पर अड़े रहना चाहिए। शादी के रिश्ते में यही तो होता है।’
आप क्या कर सकते हैं
सही शुरूआत कीजिए। जिस लहज़े में आप बातचीत शुरू करते हैं अकसर उसी लहज़े में बातचीत खत्म होती है। अगर आप तीखे या रूखे शब्दों से बातचीत शुरू करेंगे, तो शांति से बातचीत खत्म करने की उम्मीद करना बेकार है। इसलिए बाइबल में बतायी इस सलाह को मानिए, “कृपा, मन की दीनता, कोमलता और सहनशीलता” दिखाइए। (कुलुस्सियों 3:12) इस तरह के गुण अपने अंदर पैदा करने से आप दोनों का ध्यान समस्या सुलझाने पर होगा न कि बहस करने पर।—बाइबल सिद्धांत: कुलुस्सियों 4:6.
उन बातों पर ध्यान दें जो आप दोनों को सही लगें। सोचिए कि आप दोनों आपस में समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं। मगर आप दोनों के बीच बहस बढ़ती जा रही है। हो सकता है आप दोनों उन बातों पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हों, जिन पर आप दोनों की राय अलग-अलग हो। इसलिए अच्छा होगा कि बहस करना छोड़कर आप उन बातों पर ज़्यादा गौर करें जो आप दोनों को सही लगती हैं। यह कैसे करें? आगे एक सुझाव दिया है:
मान लीजिए आप दोनों की किसी मसले पर बहस हो रही है। आप दोनों अलग-अलग कागज़ पर दो कॉलम बनाइए। पहले कॉलम में उस मसले से जुड़ी वे बातें लिखिए, जिनके बारे में आपको लगता है कि आपकी राय ही सही है। दूसरे में, वे बातें लिखिए जिन पर आप समझौता करने के लिए तैयार हो सकते हैं। फिर दोनों साथ बैठकर, कागज़ पर लिखी अपनी बातों पर चर्चा कीजिए। आप पाएँगे कि ऐसी बहुत-सी बातें हैं जिन पर आप दोनों सहमत होने के लिए तैयार हैं। फिर देखिए, आपस में समझौता करना आप दोनों के लिए कितना आसान हो जाएगा। अगर ऐसा न भी हो, तो कागज़ पर मसले से जुड़ी बातें लिख लेने से आप दोनों मामले को अच्छी तरह समझ पाएँगे।
अपनी राय एक-दूसरे को बताइए। कुछ मामले ऐसे होते हैं जिन्हें सुलझाना आसान होता है। अगर मामला गंभीर है, तो अच्छा होगा कि पति और पत्नी एक-दूसरे को अपनी राय बताएँ। इससे दोनों का आपसी रिश्ता मज़बूत होगा। साथ ही, आप जान पाएँगे कि कोई भी बढ़िया हल एक अकेला व्यक्ति नहीं ढूँढ़ सकता, इसमें दोनों का हाथ होता है।—बाइबल सिद्धांत: सभोपदेशक 4:9.
अपनी राय बदलने के लिए तैयार रहिए। बाइबल कहती है, “तुम में से हरेक अपनी पत्नी से वैसा ही प्यार करे जैसा वह अपने आप से करता है। और पत्नी भी अपने पति का गहरा आदर करे।” (इफिसियों 5:33) जब पति-पत्नी दोनों दिल खोलकर प्यार और आदर दिखाते हैं, तब दोनों को एक-दूसरे की राय मानने में कोई मुश्किल नहीं होती। वे आपस में समझौता करने के लिए तैयार रहते हैं। कैमरन नाम का एक शादीशुदा आदमी कहता है, “कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें करना शायद आपको अच्छा न लगता हो, मगर पत्नी के होने से कुछ समय बाद वही काम करना आपको अच्छा लगने लगता है।”—बाइबल सिद्धांत: उत्पत्ति 2:18. ◼ (g14-E 12)
a यह जानकारी शादी को कामयाब बनाने के सात तरीके किताब से ली गयी है (अँग्रेज़ी)।