क्या इसे रचा गया था?
गरमी से बचानेवाली सहारा सिल्वर चींटी की ढाल
सहारा रेगिस्तान की सिल्वर चींटी (कैटाग्लायफिस बॉमबायसिना) ज़मीन पर रहनेवाले दूसरे जीव-जंतुओं से कहीं ज़्यादा गरमी बरदाश्त कर सकती है। भरी दोपहरी में जब इस चींटी का शिकार करनेवाले जीव छाँव में चले जाते हैं, तब यह चींटी थोड़ी देर के लिए खाने की तलाश में अपने बिल से बाहर निकलती है। जो कीड़े-मकोड़े तेज़ धूप में मर जाते हैं, उन्हें यह चींटी खाती है।
गौर कीजिए: इस चींटी के निचले हिस्से को छोड़कर पूरे शरीर पर खास किस्म के बाल होते हैं, जो एक ढाल की तरह काम करते हैं। इस ढाल में चींटी का बगैर बालोंवाला निचला हिस्सा भी शामिल है। यह ढाल उसे गरमी से बचाती है। अपने बालों की वजह से यह चाँदी की तरह चमकती है। इसके बाल त्रिकोणी आकार की नलियों जैसे होते हैं। इन नलियों की ऊपरी दो सतहों पर छोटी-छोटी सिलवटें-सी होती हैं और निचली सतह चिकनी होती है। इस तरह की बनावट से दो फायदे होते हैं। पहला, बालों पर सूरज की जो किरणें पड़ती हैं, वे बालों से टकराकर दृश्य प्रकाश (दिखायी देनेवाली किरणों) और अवरक्त किरणों (दिखायी न देनेवाली किरणों) के रूप में लौट जाती हैं यानी परावर्तित हो जाती हैं। दूसरा फायदा, चींटी अपने शरीर की गर्मी को कम कर पाती है, जो उसे अपने आस-पास यानी वातावरण के तापमान की वजह से लगती है। इसके अलावा रेगिस्तान की ज़मीन से जो गर्मी चींटी को लगती है, उसे वह अपने निचले हिस्से से अवरक्त किरणों में परावर्तित करके बाहर निकालती है।a
सहारा रेगिस्तान की यह चींटी 53.6 डिग्री सेल्सियस (128.5 डिग्री फारेनहाइट) तक तापमान सह सकती है और इसकी ढाल इसके शरीर के तापमान को कम रखने में मदद करती है। इस छोटे-से जीव को देखकर वैज्ञानिक ऐसी परतें (कोटिंग) बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे किसी चीज़ का तापमान कम हो सके। इस तरह तापमान कम करने के लिए पंखे या किसी और उपकरण की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
आपको क्या लगता है? क्या सहारा सिल्वर चींटी की ढाल का खुद-ब-खुद विकास हो गया या फिर उसे इस तरह रचा गया था?
a इस चींटी के शरीर में खास किस्म के प्रोटीन भी होते हैं, जो कड़ी धूप में आसानी से नष्ट नहीं होते। उसकी टाँगें भी बहुत लंबी होती हैं, जिससे उसका शरीर गरम बालू से काफी ऊँचाई पर रहता है और वह तेज़ी से दौड़ पाती है। इस चींटी की एक और खूबी है कि यह अपने बिल में लौटने के लिए सबसे छोटे रास्ते का पता लगा लेती है।