वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा
यीशु जब पृथ्वी पर था, तो उसने अपने अनुगामियों से परमेश्वर के राज्य के लिए प्रार्थना करने को कहा था: “तेरा राज्य आए, तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती ६:९, १०) वह लगातार “राज्य के सुसमाचार” के बारे में भी बोलता रहा। (मत्ती ४:२३) वास्तव में, उसने किसी और चीज की तुलना में राज्य के बारे में ज्यादा बातचीत की। क्यों? क्योंकि राज्य ही ऐसा साधन है जिसे परमेश्वर उन समस्याओं को सुलझाने में उपयोग करेगा जो आज जीवन को कठिन बनती हैं। राज्य के द्वारा, परमेश्वर बहुत जल्द युद्धों, मुखमरी, बीमारियों, और जुर्म का अन्त करेगा, और वह एकता और शान्ति लाएगा।
क्या आप एक ऐसे संसार में रहना चाहेंगे? अगर हां, तो आप को इस छोटी पुस्तिका को पढ़ना चाहिए। इसमें आप यह सीखेंगे कि यह राज्य एक सरकार है, परन्तु यह उन सब सरकारों से जिन्हों ने मानव जाति पर राज्य किया है अच्छी है। आप उन रोमांचकारी तरीकों को भी देखेंगे जिन्हे परमेश्वर ने क्रम से अपने सेवकों को अपने राज्य के उद्देश्यों के बारे में समझाया था। इसके साथ ही, आप देखेंगे कि आज भी राज्य कैसे आप की मदद कर सकता है।
वास्तव में, आप इसी समय राज्य के एक सदस्य बन सकते हैं। परन्तु ऐसा करने से पहले, आप को इसके बारे में और अधिक जानने की आवश्यक्ता है। इस लिए हम आप के उत्साह को बढ़ाना चाहते हैं कि आप इस छोटी पुस्तिका की जाँच करें। जो कुछ भी यह आप को राज्य के बारे में बताएगी उसे बाइबल से लिया गया है।
सब से पहले, आइए हम देखें कि हमें परमेश्वर के राज्य की इतनी आवश्यक्ता क्यों है।
मानव इतिहास के शुरू में, परमेश्वर ने मनुष्य को सिद्ध बना कर परादीस में रखा था। उस समय राज्य की आवश्यक्ता नहीं थी।
जौभी की, आदम और हव्वा, जो हमारे प्रथम माता पिता थे, उन्होंने एक विद्रोही दूत शैतान की बात को सुना। उसने परमेश्वर के बारे में झूठ बोल कर उन्हें भी परमेश्वर का विरोधी बना दिया। इस लिए अब वे मरने के योग्य थे, क्यों कि “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।”—रोमियों ६:२३.
एक असिद्ध, पापी मनुष्य के सिद्ध बच्चे नहीं हो सकते हैं। इस लिए आदम के सब बच्चे असिद्ध, पापी, मरने वाले पैदा हुए।—रोमियों ५:१२.
उस समय से लेकर, मानव को पाप और मृत्यु के शाप से मुक्ति पाने के लिए परमेश्वर के राज्य की मदद की आवश्यक्ता थी। राज्य, परमेश्वर के नाम पर से उस झूठ को भी हटाएगा जो शैतान ने उसके विरुध लगाया था।
यहोवा परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि एक खास “वंश” (या सन्तान) पैदा होगा जो मानव जाति को पाप से छुड़ायेगा। (उत्पत्ति ३:१५) यह “वंश” परमेश्वर के राज्य का राजा भी होगा। वह कौन हो सकता है?
आदम के पाप करने के लगभग २००० साल पश्चात, इब्राहीम नाम का एक बहुत ही विश्वासी मनुष्य रहता था। यहोवा ने इब्राहीम से कहा कि अपने शहर को छोड़ कर पलिश्तियों के देश में जा कर तम्बुओं में रहे।
इब्राहीम ने वह सब कुछ किया जो परमेश्वर ने उसे कहा था, जिस में एक बहुत कठिन बात भी शामिल थी। यहोवा ने उस से कहा था कि वह अपने बेटे इसहाक को एक वेदी पर बलिदान करे।
यहोवा वास्तव में एक मनुष्य की बलि नहीं चाहता था। परन्तु वह यह जानना चाहता था कि इब्राहीम उस से कितना प्रेम करता था। इब्राहीम तो इसहाक को मारने ही वाला था जब यहोवा ने उसे रोका।
इब्राहीम के बड़े विश्वास के कारण, यहोवा ने उस से प्रतिज्ञा की कि पलिश्तियों का देश उसकी संतान को देगा और कहा कि प्रतिज्ञा किया हुआ वंश उसकी, और उसके बेटे इसहाक की वंशावली में से होगा।—उत्पत्ति २२:१७, १८; २६:४, ५.
इसहाक के जुड़वां बेटे थे, एसाव और याकूब। यहोवा ने कहा कि प्रतिज्ञा किया हुआ वंश याकूब के द्वारा आयेगा।—उत्पत्ति २८:१३-१५.
याकूब, जिसे यहोवा ने इस्राएल नाम भी दिया, उसके १२ बेटे हुए, उन सब के अपने बच्चे हुए। सो इब्राहीम के बच्चे अब बढ़ने लगे।—उत्पत्ति ४६:८-२७.
उस क्षेत्र में जब एक बहुत बुरा आकाल पड़ा, याकूब और उसका परिवार मिस्र के शासक के निमंत्रण पर मिस्र में चले गये।—उत्पत्ति ४५:१६-२०.
मिस्र में यह बात प्रगट की गई कि प्रतिज्ञा किया हुआ वंश याकूब के बेटे यहूदा से आएगा।—उत्पत्ति ४९:१०.
अन्त में याकूब मर गया, और उसकी संतान संख्या में बढ़ी जब तक कि वह एक जाति के समान नहीं बन गई। तब मिस्री उनसे डर गये और उन्हें गुलाम बना लिया।—निर्गमन १:७-१४.
आखिर में यहोवा ने मूसा को भेजा, जो एक बहुत ही विश्वासी मनुष्य था, की वह उस समय के फिरौन से यह मांग करे कि वह इस्राएल के बच्चों को स्वतन्त्र करके जाने दे।—निर्गमन ६:१०, ११.
फिरौन ने ऐसा करने से इन्कार किया, सो यहोवा मिस्त्रियों पर दस विपत्तियाँ लाया। आखरी विपत्ती में, उसने मृत्यु के दूत को भेजा कि वह मिस्त्रियों के सब पहिलौठों को मारे।—निर्गमन ७ से १२ अध्याय तक।
परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा कि अगर वे एक मेम्ने को अपने शाम के भोजन के लिए मारें और उसका कुछ लोहू अपने दरवाजे की चौखटों पर लगायें तो मृत्यु का दूत उनके घरों पर से गुजर जायेगा। इस प्रकार इस्राएलियों के पहिलौठे बच गये।—निर्गमन १२:१-३५.
इसके परिणाम से, फिरौन ने इस्राएलियों को मिस्र से बाहर जाने की आज्ञा दी। परन्तु उसने फिर अपना मन बदल लिया और उनका पीछा किया ताकि उन्हें वापस ले आये।
यहोवा ने इस्राएलियों के बचने का लाल समुद्र में एक मार्ग निकाला। और जब फिरौन और उसकी सेना ने उनका पीछा किया तो ते डूब गये।—निर्गमन १५:५-२१.
यहोवा इस्राएल के बेटों को सीनै नाम के एक पर्वत पर, जो रेगिस्तान में था, ले आया। वहाँ, उसने उन्हें अपना नियम दिया और कहा कि अगर वे उसका पालन करेंगे, तो वे एक याजकों का समाज और पवित्र जाति ठहरेंगे। इस प्रकार इस्राएलियों के पास एक मौका था कि समय आने पर, वे परमेश्वर के राज्य के एक महत्वपूर्ण भाग बन सकते थे।—निर्गमन १९:६; २४:३-८.
सीनै पर्वत के पास जब इस्राएली लगभग एक साल बिता चुके, तब यहोवा उन्हें पलिश्तीन की तरफ ले चला, जिस देश की प्रतिज्ञा उसने उनके पूर्वज इब्राहीम से की थी।
पलिश्तीन में, बाद में परमेश्वर ने राजाओं के द्वारा इस्राएलियों पर प्रभुता होने दी। तब, पृथ्वी परमेश्वर का एक राज्य था।
इस्राएलियों का दूसरा राजा दाऊद था, जो यहूदा का वंशज था। दाऊद ने इस्राएलियों के सब शत्रुओं को जीत लिया था, और उसने यरूशलेम को राष्ट्र की राजधानी बनाया था।
दाऊद के शासन की घटनाएँ यह बताती हैं कि जब यहोवा एक राजा की मदद करता है तब पृथ्वी का कोइ भी शासक उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता है।
यहोवा ने कहा था कि प्रतिज्ञा का वंश दाऊद के एक वंशज में से होगा।—१ इतिहास १७:७,११,१४.
दाऊद के बेटे, सुलेमान, ने उसके बाद राज्य किया। वह एक बुद्धिमान राजा था, और इस्राएलियों ने उसके राज्य में उन्नति की।
सुलेमान ने यरूशलेम में, यहोवा के लिए, एक सुन्दर मन्दिर भी बनाया। इस्राएलियों की हालत सुलेमान के राज्य के आधीन उन आशीषों को दिखाती है जो परमेश्वर का राज्य मानव जाति के लिए लायेगा।—१ राजा ४:२४,२५.
फिर भी, सुलेमान के बाद बहुत से राजा बहुत ही अविश्वासी थे।
परन्तु जब दाऊद के वंश के लोग यरूशलेम में राज्य कर रहे थे, यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता यशायाह का उपयोग भविष्य में दाऊद के उस बेटे के बारे में बताने के लिए किया जो पृथ्वी पर विश्वास से राज्य करेगा। यह प्रतिज्ञा का वंशज होगा।—यशायाह ९:६, ७.
यशायाह भविष्यवक्ता ने उसके राज्य के बारे में पहले से ही यह बता दिया था कि उसका राज्य सुलेमान से कहीं अधिक प्रतापी होगा।—यशायाह ११ ओर ६५ अध्याय।
अब, पहले से कहीं अधिक, परमेश्वर के सेवक आश्चर्य करने लगे कि यह वंशज कौन होगा।
जौभी की वंशज के आने से पहले, इस्राएल के राजा इतने दुष्ट हो गये थे, कि ६०७ बी. सी. ई. में यहोवा ने बाबुलियों को इस जाति पर विजय प्राप्त करने दी, और अधिकतर लोग बाबुल की गुलामी में चले गये। परन्तु परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा को नहीं भूला था। वंशज अब भी दाऊद ही के कुल में प्रगट होगा।—यहेजकेल २१:२५-२७.
इस्राएल के साथ जो हुआ वह यह दर्शाया कि एक बुद्धिमान, विश्वासी मानव राजा लाभ ला सकता था, पर वे लाभ सीमित थे। विश्वासी लोग मरते हैं और उनके उत्तराधिकारी शायद विश्वासी न हों। इसका क्या उपाय था? प्रतिज्ञा का वंश।
अन्त में, हजारों साल के पश्चात, वंश प्रगट हुआ। वह कौन था?
एक दूत ने परमेश्वर की ओर से इसका उत्तर, एक अविवाहित इस्राएली लड़की, जिसका नाम मरियम था, उसे दिया। उसने उससे कहा कि उसके एक पुत्र होगा जिसका नाम यीशु होगा। दूत ने जो कहा वह इस प्रकार था:
“वह महान होगा और परम प्रधान का पुत्र कहलायेगा; और प्रभु यहोवा उसके पिता दाऊद का सिहांसन उसको देगा, और वह सदा राज्य करेगा।”—लूका १:३२, ३३.
इस प्रकार यीशु को प्रतिज्ञा का वंश और अन्त में परमेश्वर के राज्य का राजा होना था। परन्तु यीशु उन विश्वासी लोगों से कैसे फर्क था, जो उससे पहले हो चुके थे?
यीशु एक आश्चर्य के तरीके से पैदा हुआ था। उसकी मां एक कुंवारी थी, और उसका कोई मानवी पिता नहीं था। यीशु पहले स्वर्ग में रह चुका था और परमेश्वर की पवित्र आत्मा या सक्रिय शक्ति ने यीशु के जीवन को स्वर्ग से मरियम के गर्भ में डाला था। इस प्रकार वह आदम के पाप से मुक्त था। अपने सम्पूर्ण जीवन में, यीशु ने कोई पाप नहीं किया था।—१ पतरस २:२२.
जब वह ३० वर्ष का था, तब यीशु का बपतिस्मा हुआ था।
उसने लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया और अन्त में उसने अपना परिचय उस राज्य के राजा के रूप में किया था।—मत्ती ४:२३; २१:४-११
उसने बहुत से आश्चर्य जनक काम भी किए।
उसने बिमारों को चंगा किया।—मत्ती ९:३५
आश्चर्य जनक रूप से उसने भूखों को खाने खिलाया।—मत्ती १४:१४-२२.
उसने मरे हुओं को भी जिलाया।—मत्ती ९:१८; २३–२६
ये आश्चर्यजनक काम बताते हैं कि यीशु परमेश्वर के राज्य का राजा हो कर मानव जाति के लिए क्या करेगा।
क्या आपको याद है कि दाऊद राजा ने यरूशलेम को कैसे अपने राज्य की राजधानी बनाया था? यीशु ने समझाया कि परमेश्वर का राज्य पृथ्वी पर नहीं, परन्तु स्वर्ग में होगा। (यूहन्ना १८:३६) इसी लिये वह राज्य “स्वर्गीय यरूशलेम” कहलाता है।—इब्रानियों १२:२२, २८.
यीशु ने उन कानूनों को बताया जिन का पालन राज्य के होने वाले सदस्यों को करना होगा। वे कानून आज भी बाइबल में हैं। सब से मुख्य कानून यह था कि लोग परमेश्वर से प्रेम रखें, और आपस में एक दूसरे से भी प्रेम रखें।—मत्ती २२:३७-३९.
यीशु ने यह भी बताया था कि वह अपने राज्य में अकेला ही राज्य नहीं करेगा। उसके लिए मनुष्य भी चुने जायेंगे जो स्वर्ग में जाकर उसके साथ राज्य करेंगे। (लूका १२:३२; यूहन्ना १४:३) वहाँ पर कितने लोग होंगे?—प्रकाशितवाक्य १४:१ उसका जवाब देता है: १,४४,०००.
अगर सिर्फ १,४४,००० ही स्वर्ग में यीशु के साथ राज्य करने के लिए जायेंगे, तो बाकी मानवजाति किस बात की आशा कर सकती है?
बाइबल यह कहती है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उसमें सदा बसे रहेंगे।”—भजन सहिंता ३७:२९
जो पृथ्वी पर सदा के लिए रहेंगे उन्हें “दूसरी भेड़ें,” कहा गया है—यूहन्ना १०:१६.
इस लिए दो प्रकार की आशा हैं। १,४४,००० वे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर यहोवा ने स्वर्ग में जाने का निमन्त्रण दिया है कि वे यीशु मसीह के साथ राज्य कर सकें। परन्तु लाखों दूसरे ऐसे भी हैं जिनकी पृथ्वी पर सदा के लिए राज्य के सदस्य हो कर रहने की निश्चित आशा है।—प्रकाशितवाक्य ५:१०.
शैतान ने यीशु से घृणा की और उसका विरोध किया। यीशु जब साढ़े तीन साल तक प्रचार कर चुका, तो उसके बाद, शैतान ने उसको पकड़वा कर काठ पर कीलों से लटका कर मरवा डाला। परमेश्वर ने ऐसा क्यों होने दिया?
याद रखिये, कि हम आदम के वंश से हैं, हम सब पाप करते हैं और मरने के लायक हैं।—रोमियों ६:२३.
यह भी याद रखिए, चूंकि यीशु एक अद्भुत रीति से पैदा हुआ था, वह सिद्ध था और मरने के योग्य नहीं था। फिर भी, परमेश्वर ने शैतान को अनुमति दी कि वह ‘यीशु को एड़ी में डसे’ कि वह मारा जाये। परन्तु परमेश्वर ने उसे फिर से एक अमर आत्मा के रूप में जिलाया। जबकि उसके पास सिद्ध मानव जीवन का हक था, तो वह उसका उपयोग हम मानवों को पाप से छुड़ाने के लिये कर सकता था।—उत्पत्ति ३:१५; रोमियों ५:१२, २१; मत्ती २०:२८.
यीशु के बलिदान के अर्थ को पूर्णतयः समझने में हमारी सहायता के लिए बाइबल इसके संबंध में भविष्यवाणी के नमूनों के रूप में बताती है।
उद्धारण के लिए, क्या आप याद कर सकते हैं कि यहोवा ने कैसे इब्राहीम को, उसके प्रेम की परीक्षा लेते हुए, उसके बेटे को बलिदान करने के लिए कहा था?
यह यीशु के बलिदान की भविष्यवाणी का नमूना था। इस से यह प्रगट होता है कि यहोवा का प्रेम मानव जाति के प्रति कितना ज्यादा था कि उसने अपने बेटे यीशु को हमारे लिए मारे जाने की अनुमति इस लिए दी कि हम जीवन पायें।—यूहन्ना ३:१६.
इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाने का यहोवा का तरीका क्या आपको, याद है, कि किस प्रकार उसने मृत्यु के दूत से उनके पहिलौठों को बचाया था?—निर्गमन १२:१२, १३.
यह भविष्यवाणी का एक नमूना था। जिस प्रकार मेम्ने का लोहू इस्राएलियों के पहिलौठों के लिए जीवन का अर्थ रखता था, यीशु का बहाया हुआ लोहू उन लोगों के लिए जीवन का अर्थ रखता है जो उस में विश्वास रखते हैं। और जिस प्रकार उस रात की घटनाएँ इस्राएलियों के लिए छुटकारे का अर्थ रखती थीं, यीशु की मृत्यु मानव जाति के लिए पाप और मृत्यु से छटकारे का प्रबन्ध करती है।
इसी कारण यीशु को “परमेश्वर का मेम्ना” कहा गया है “जो जगत का पाप उठा ले जाता है।”—यूहन्ना १:२९.
फिर भी, जब यीशु पृथ्वी पर था उसने चेले भी इकट्ठे किये, और अपनी मृत्यु के पश्चात भी उन्हें राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने की शिक्षा दी।—मत्ती १०:५; लूका १०:१
ये सब से पहले मनुष्य थे जिन्हें परमेश्वर ने अपने राज्य में यीशु के साथ राज्य करने को चुना था।—लूका १२:३२.
क्या आप को याद है कि परमेश्वर ने यहूदियों से यह प्रतिज्ञा की थी कि अगर वे उसके नियम का पालन करेंगे, तो वे “एक राजाओं का समाज” बन सकेंगे? अब उनके पास एक अवसर था कि वे परमेश्वर के राज्य का एक भाग बन सकें और अगर यीशु को ग्रहण करते तो स्वर्गीय याजक भी बन सकते थे। परन्तु उन में से अधिकतर ने यीशु को अस्वीकार किया।
इस लिए उस समय से, यहूदी लोग परमेश्वर की चुनी हुई जाति न रहे; अब आगे के लिए पलिश्तीन प्रतिज्ञा का देश नहीं रहा।—मत्ती २१:४३; २३:३७, ३८.
यीशु के दिनों से ले कर हमारे समय तक, यहोवा उन लोगों को इकट्ठा कर रहा है जो स्वर्ग में यीशु के साथ राज्य करेंगे। उन में से आज भी कुछ हजार ऐसे हैं जो पृथ्वी पर जीवित हैं। हम उन्हें अभिषिक्त अवशेष कह कर पुकारते हैं।—प्रकाशितवाक्य १२:१७.
अब आप देखना शुरू कर रहे हैं कि परमेश्वर का राज्य क्या है। यह स्वर्ग में एक सरकार है, उसका राजा यीशु मसीह है, और उसके साथ १,४४,००० लोग हैं, जो पृथ्वी से लिए गये हैं। वह पृथ्वी पर विश्वासी मानव जाति पर राज्य करेगा और पृथ्वी पर शान्ति लाने का अधिकार उनके पास होगा।
यीशु को उसकी मृत्यु के बाद जी उठाया गया, और वह स्वर्ग में गया। वहाँ वह परमेश्वर के यह कहने तक ठहरा रहा कि अब वह समय आ गया है कि वह परमेश्वर के राज्य में राजा के समान राज्य करे। (भजन सहिंता ११०:१) वह कब होगा?
कभी कभी यहोवा ने लोगों को अपने राज्य की बातों को बताने के लिये उन्हें सपने भी दिखाये।
दानिय्येल के दिनों में, ऐसा सपना बाबुल के राजा नबूकतनेस्सर को दिखाया। वह एक बहुत बड़ा पेड़ था।—दानिय्येल ४:१०-३७.
पेड़ काटा गया और उसके ठूंठ को सात साल के लिये बाँधा गया।
पेड़ नबूकतनेस्सर को दर्शाता था। जिस तरह ठूंठ को सात साल के लिये बाँधा गया था, नबूकतनेस्सर ने अपनी समझ को सात साल के लिए खो दिया था। इसके पश्चात उसकी समझ उसको फिर से दी गई।
यह सब एक भविष्यद्वाणी का नमूना था। नबूकतनेस्सर पूरे संसार पर यहोवा की प्रभुता को दर्शाता था। शुरू में यह दाऊद के वंशज के द्वारा यरूशलेम में अधिकार में थी। जब बाबुल ने यरूशलेम पर ६०७ बी. सी. ई. में विजय प्राप्त की, राजाओं की उस वंशावली में रुकावट आ गई। दाऊद की वंशावली में से अब कभी भी कोई दूसरा राजा नहीं होगा “जब तक उसका अधिकारी न आए।” (यहेजकेल २१:२६)
वह यीशु मसीह था।
६०७ ई.पूर्व. से ले कर जब यीशु राज्य करना शुरू करेगा तब तक यह कितना लम्बा समय होगा? भविष्यद्वाणी के सात साल। याने २५२० साल। (प्रकाशितवाक्य १२:६, १४) और ६०७ ई.पूर्व. से ले कर, २५२० साल हमें १९१४ सी.इ. में पहुँचातेहैं।
इस प्रकार यीशु ने १९१४ में र्स्वग में राज्य शुरू कर दिया। इसका क्या अर्थ हुआ?
वह दर्शन जो प्रेरित यूहन्ना ने देखा था बाइबल हमें उसके द्वारा बतातीहै।
उसने स्वर्ग में एक स्त्री को देखा जिसने एक बेटे को जन्म दिया था।—प्रकाशितवाक्य १२:१-१२.
स्त्री परमेश्वर की स्वर्गीय संस्था को प्रगट करती है, जो स्वर्ग में परमेश्वर के सब सेवक दूतों से बनी हुई है। वह बेटा परमेश्वर के राज्य को प्रगट करता है। यह १९१४ में “पैदा” हुआथा।
इसके पश्चात क्या हुआ? राजा होने पर जो सब से पहला काम यीशु ने किया वह है कि उसने शैतान, और उसके साथ उपद्रव करने वाले दूतों को, स्वर्ग से निकाल कर पृथ्वी पर गिरा दिया।—प्रकाशितवाक्य १२:७.
इसका परिणाम बाइबल हमें बताती है:“हे स्वर्गो और उनमें रहने वालो मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय। क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।”—प्रकाशितवाक्य १२:१२.
इस प्रकार जब यीशु ने स्वर्ग में राज्य करना शुरू किया, तो पृथ्वी पर उसके शत्रु काम में बहुत ही व्यस्त हो गये। जैसा कि बाइबल पहले से बता रही थी, उसने अपने शत्रुओं के बीच शासन करना शुरू किया।—भजन सहिंता ११०:१, २.
इसका मानव जाति के लिये क्या अर्थ होगा?
यीशु ने हमें बताया:युद्ध, आकाल, मरियाँ और भुईडोल।—मत्ती २४:७, ८; लूका २१:१०, ११.
हमने इन बातों को १९१४ से होते देखा है, जो एक और कारण इस बात को जानने का है, कि राज्य तब शुरू हो चुका था।
इसके साथ ही “देश देश के लोगों को संकट होगा . . . लोगों के जी मे जी न रहेगा।” (लूका २१:२५, २६) इसको भी हमने १९१४ से देखा है।
प्रेरित पौलूस ने यह भी कहा कि लोग “अपस्वार्थी, लोभी, . . . माता पिता की आज्ञा टालनेवाले, . . . क्षमारहित, दोष लगाने वाले, असंयमी होंगे।”—२ तीमुथियुस ३:१-५.
अब आप जान गये होंगे कि आज जीवन क्यों इतना कठिन है। शैतान बहुत ज्यादा व्यस्त रहा है। परन्तु परमेश्वर का राज्य भी व्यस्त रहा है।
१९१४ के तुरन्त बाद, उनके शेष भाग ने, जिनकी आशा यीशु के साथ स्वर्ग में राज्य करने की है, यह सुसमाचार देना शुरू कर दिया कि परमेश्वर का राज्य स्थापित हो चुका था। यह काम, जैसा यीशु ने कहा था, आज पूरी पृथ्वी पर फैल चुका है।—मत्ती२४:१४.
इस प्रकार के काम का उद्देश्य क्या है?
पहला, यह कि लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया जाय।
दूसरा, यह कि लोगों को यह फैसला करने में सहायता की जाय कि क्या वे राज्य की प्रजा होना चाहते हैं।
हमारे दिनों के लिए यीशु ने कहा था कि संपूर्ण मानव जाति भेड़ और बकरी की तरह के लोगों में विभाजित की जायेगी।—मत्ती २५:३१-४६.
“भेड़ें” वह हैं जो उसे और उसके भाइयों से प्रेम करती हैं। “बकरियां” वे हैं जो ऐसा नहीं करती हैं।
“भेड़ों” को अनन्त जीवन मिलेगा और “बकरियों” को नहीं मिलेगा।
यह अलग किए जाने का काम राज्य के सुसमाचार के प्रचार के द्वारा किया जा रहा है।
यशायह भविष्यवक्ता के द्वारा की गई एक भविष्यवाणी यह है।
“अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊंचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे।”—यशायाह २:२.
मनुष्यजाति “अन्त के दिनों” का अब साम्हना कर रही है।
यहोवा की उपासना का “भवन” झूठे धर्मों से “ऊंचा” किया गया है।
“और बहुत देशों के लोग आयेंगे, और आपस में कहेंगे:आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़ कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं; तब वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।”—यशायाह २:३
सो इस प्रकार, सब जातियों में से बहुत से लोग यहोवा की उपासना के लिए आते हैं, और दूसरों को भी अपने साथ आने का निमन्त्रण देते हैं। वे उस तरीके पर चलना सीखते हैं जैसा यहोवा चाहता है।
“और वे अपनी तलवारें पीट कर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुध फिर तलवार न चलायेगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।”—यशायाह २:४
जो यहोवा की उपासना करते हैं वे संगठित और शान्ति प्रिय हैं।
परमेश्वर के राज्य के द्वारा किए गये इस काम का परिणाम यह हुआ है कि अब पूरी पृथ्वी पर लगभग ३० लाख लोग हैं जो उस राज्य की प्रजा हैं।
वे शेष भाग के, उन बचे हुओं के आस पास एकत्रित हैं, जिनकी आशा स्वर्ग में जा कर यीशु के साथ राज्य करने की हैं।
वे परमेश्वर की संस्था के द्वारा आत्मिक भोजन प्राप्त करते हैं।—मत्ती २४:४५-४७.
वे मसीही भाईचारे का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन हैं जो एक दूसरे को सच में प्रेम करते हैं।—यूहन्ना १३:३५.
वे मन की शान्ति का आनन्द लेते हैं, जो भविष्य की आशा है।—फिलिप्पियों ४:७.
बहुत जल्दी, सुसमाचार प्रचार किया जा चुका होगा। “भेड़े” एकत्रित हो चुकी होंगी। तब राज्य क्या करेगा?
क्या आपको याद है कि विश्वासी राजा दाऊद ने परमेश्वर के लोगों के सब शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी? उसी प्रकार, राजा यीशु भी करेगा।
एक समय नबूकतनेस्सर राजा ने एक विशाल मूरत का स्वप्न देखा था, जो उसके समय से हमारे समय तक के सब साम्राज्यों को दर्शाता है।
फिर उसने एक पत्थर देखा जो पहाड़ में से कट कर निकला था, और उसने उस मूरत को चकनाचूर कर दिया। वह पत्थर परमेश्वर के राज्य का प्रतिनिधित्व करता है।
इसका यह मतलब हुआ कि वर्तमान दुष्ट रीति रिवाज का नाश।—दानिय्येल २:४४.
ये कुछ बातें हैं जिन्हें राज्य नष्ट करेगा।
झूठा धर्म ऐसा गायब होगा, जैसा चक्की का पाट समुद्र मे फेंका जाय।—प्रकाशितवाक्य १८:२१.
इसी लिये परमेश्वर से प्रेम रखने वालों को उत्तेजित किया जा रहा है कि वे अभी झूठे धर्मों से निकल आयें।—प्रकाशितवाक्य १८:४.
इसके बाद राजा यीशु “जातियों को मारेगा . . . और लोहे के राजदण्ड से उन पर राज्य करेगा।”—प्रकाशितवाक्य १९:१५.
परिणाम स्वरूप, यहोवा के साक्षी, यद्यपि वे कर देते हैं, और देश के कानूनों का पालन करते हैं, फिर भी वे राजनीति में शामिल नहीं होते।
अन्त में, शैतान को भी, जो एक बड़ा “अजगर” है, एक अथाह कुड में फेंका जायेगा।—प्रकाशितवाक्य २०:२, ३.
सिर्फ वह “भेड़े,” जो अपने को राजा यीशु के आधीन करती हैं इस क्लेश से बच निकलेंगी।—मत्ती २५:३१-३४; ४१, ४६.
प्रेरित यूहन्ना ने उन “भेड़ों” का दर्शन देखा था जो भारी क्लेश से बचती हैं।
“इसके बाद मैं ने दृष्टि की, और देखो, हर एक जाति और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था श्वेत वस्त्र पहने और अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिए हुए सिंहासन के सामने खड़ी है।”—प्रकाशितवाक्य ७:९.
“बड़ी भीड़” उन सब से मिल कर बनी है जो सुसमाचार के प्रचार को सुनकर प्रतिक्रिया दिखाते हैं।
वे “बड़े क्लेश में से निकल कर आये हैं।”—प्रकाशितवाक्य ७:१४
“खजूर की डालियाँ” यह प्रगट करती हैं कि वे यीशु को अपना राजा मानकर स्वागत करते हैं।
उनका “श्वेत वस्त्र” पहने रहना यह दर्शाता है कि वे यीशु के बलिदान में विश्वास करते हैं।
“मेम्ना” यीशु मसीह है।
तब, वे कौन सी आशीषों का आनन्द उठाते हैं? क्या आप इस्त्राएली जाति में उन खुशियों को याद कर सकते हैं जब विश्वासी राजा सुलेमान राज्य करता था? इस से हमें पृथ्वी पर उस खुशी की एक छोटी तस्वीर मिलती है, जो राजा यीशु के राज्य के आधीन होगी।
और जैसा यशायाह ने पहले से बताया था, सारी मानव जाति और मनुष्य व पशुओं के बीच में भी वास्तव में शान्ति होगी।—भजनसहिंता ४६:९; यशायाह ११:६-९
जैसा यीशु ने, जब वह पृथ्वी पर था, तब बीमारों को चंगा किया था, उसी प्रकार वह सब मानव जाति से बीमारी को हटायेगा।—यशायह ३३:२४.
जिस प्रकार उसने भीड़ को खाना खिलाया था, उसी प्रकार वह सारी मानव जाति से खाने की कमी को दूर करेगा।—भजन संहिता ७२:१६.
जिस प्रकार उसने मुर्दों को जिलाया था, उसी प्रकार वह उन मरे हुओं को जिलायेगा जिन्हें अपने आप को पूरी तरह से परमेश्वर के राज्य के आधीन होने का अवसर नहीं मिला।—यूहन्ना ५:२८, २९
धीरे धीरे, वह मानव जाति को वापस उस सिद्धता तक पहुँचा देगा जिसे आदम ने खो दिया था।
क्या यह एक आश्चर्य जनक भविष्य नहीं है? क्या आप उसे देखना चाहेंगे? अगर हां, तो ऐसे काम कीजिये जिससे आप अभी अपने को परमेश्वर के राज्य के अधीन कर सकें और एक “भेड़” बन सकें।
बाइबल का अध्ययन कीजिए और यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह को जानने की कोशिश कीजिए।—यूहन्ना १७:३.
उनके साथ इकट्ठे होइये जो राज्य के सदस्य हैं।—इब्रानियों १०:२५.
राज्य के नियमों को सीखिए और उनका पालन कीजिए।—यशायाह २:३, ४.
यहोवा की सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पण कीजिये, और बपतिस्मा लीजिए।—मत्ती २८:१९, २०.
बुरी चीजों से अलग रहिए, जैसे चोरी, झूठ, अनैतिकता, और पियक्कड़पन, जो यहोवा परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं।—१ कुरिन्थियों ६:९-११.
राज्य के सुसमाचार के प्रचार में भाग लीजिए।—मत्ती २४:१४.
तब परमेश्वर की सहायता से, आप उस परादीस को फिर से स्थापित होता देखेंगे जो आदम ने अपने वंशज के लिए खो दिया था, और आप यह प्रतिज्ञा भी पूरी होते देखेंगे:“फिर मैं ने सिहांसन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते हुए सुना: ‘कि देख! परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा; और वह उनकी आँखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, और न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
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६०७ ई.पूर्व. १९१४ ई.सन.
ई.पूर्व. | ई.सन.
५०० १,००० १,५०० २,००० २,५२०
[पेज 11 पर तसवीरें]
इब्राहीम
इसहाक
याकूब
यहूदा
दाऊद
[पेज 14 पर तसवीर]
१,४४,०००
[पेज 16 पर तसवीरें]
आदम
यीशु