अध्याय २७
मत्ती का बुलाहट
लक़वारोगी को चंगा करने के कुछ समय बाद, यीशु कफरनहूम से गलील सागर की ओर जाते हैं। फिर लोगों की भीड़ उसके पास आती है, और वे उन्हें सिखाने लगते है। जैसे वह आगे चलता है, वह मत्ती को, जो लेवी भी कहलाता है, महसूल लेने की चौकी पर बैठा देखता है। यीशु निमंत्रण देते हैं, “मेरे पीछे हो ले।”
संभवतः, मत्ती पहले से यीशु के उपदेशों से परिचित है, जैसे पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना उस समय थे जब बुलाए गए थे। और उन्हीं के समान, मत्ती फ़ौरन उस निमंत्रण के प्रति प्रतिक्रिया दिखाता है। वह उठता है, महसूल लेनेवाले की हैसियत से अपनी जिम्मेदारियों को पीछे छोड़ देता है और यीशु के पीछे हो लेता है।
बाद में, शायद अपनी बुलाहट को प्राप्त करने का आनन्द मनाने, मत्ती अपने घर में एक बड़ी जेवनार करता है। यीशु और उसके शिष्यों के अलावा, मत्ती के भूतपूर्व साथी भी उपस्थित हैं। ये लोग साधारणतः अपने संगी यहूदियों द्वारा तुच्छ समझे जाते हैं क्योंकि वे घृणित रोमी अधिकारियों के लिए महसूल वसूल करते हैं। इसके अलावा, वे बहुधा बेईमानी से नियमित महसूल दर के बजाय लोगों से ज़बरदस्ती ज़्यादा पैसे ऐंठते हैं।
जेवनार में ऐसे लोगों के साथ यीशु को देखकर, फरीसी उसके शिष्यों से पूछते हैं: “तुम्हारा गुरु महसूल लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?” अकस्मात् उनके सवाल को सुनकर, यीशु फरीसियों को जवाब देते हैं: “वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को आवश्यक है। सो तुम जाकर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं, परन्तु दया चाहता हूँ। क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”
स्पष्टतया, मत्ती ने अपने घर इन महसूल लेनेवालों को आमंत्रित किया है ताकि वे यीशु की बातों को सुन सकें और आध्यात्मिक चंगाई प्राप्त करें। उनका परमेश्वर के साथ एक स्वस्थ रिश्ता पाने के वास्ते, यीशु उनके साथ साहचर्य करके उनका मदद करते हैं। यीशु ऐसों को तुच्छ नहीं समझते हैं, जैसे आत्म-धर्माभिमानी फरीसी समझते हैं। इसके बजाय, करुणा से प्रवृत होकर, वह दरअसल उन के लिए एक आध्यात्मिक चिकित्सक का काम करता है।
इस प्रकार पापियों के प्रति यीशु का दया दिखाना उनके पापों को अनदेखा नहीं करना है बल्कि शारीरिक रूप से बीमार लोगों के प्रति प्रकट किया हुआ वही कोमल भावनाओं का अभिव्यक्ति है। उदाहरण के लिए, याद कीजिए, जब उसने संवेदनशीलता से हाथ बढ़ाकर एक कोढ़ी को यह कहते हुए छुआ था: “मैं चाहता हूँ। तू शुद्ध हो जा।” हम भी इसी रीति से ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करने के ज़रिये दया दिखाएँ, ख़ास तौर से आध्यात्मिक रूप में उनकी सहायता करें। मत्ती ८:३; ९:९-१३; मरकुस २:१३-१७; लूका ५:२७-३२.
▪ मत्ती कहाँ है जब यीशु उसे देखते हैं?
▪ मत्ती का व्यवसाय क्या है, और क्यों ऐसे व्यक्ति दूसरे यहूदियों द्वारा तुच्छ समझे जाते हैं?
▪ यीशु के खिलाफ़ क्या शिकायत की जाती है, और वह कैसी प्रतिक्रिया दिखाता है?
▪ क्यों यीशु पापियों से साहचर्य करते हैं?