अध्याय 4
“यहोवा . . . बड़ा शक्तिमान है”
1, 2. एलिय्याह ने अपनी ज़िंदगी में कैसे-कैसे करिश्मे देखे थे, मगर होरेब पर्वत पर एक गुफा से उसने कैसी सनसनीखेज़ घटनाएँ घटती देखीं?
एलिय्याह ने इससे पहले भी कई हैरतअंगेज़ करिश्मे देखे थे। जब वह एक गुफा में छिपा था तो कौवे दिन में दो बार उसके लिए खाना लाते थे। उसने देखा था कि कैसे लंबे अकाल के दौरान दो मर्तबानों में हमेशा मैदा और तेल मौजूद रहता था, और ये कभी खाली नहीं हुए। उसने अपनी प्रार्थना के जवाब में आकाश से आग भी गिरती देखी थी। (1 राजा, अध्याय 17, 18) लेकिन एलिय्याह ने अब जो हैरतअंगेज़ नज़ारा देखा, वैसा अनोखा नज़ारा उसने पहले कभी नहीं देखा था।
2 वह होरेब पर्वत पर एक गुफा के मुहाने पर दुबका हुआ, ये सारी सनसनीखेज़ घटनाएँ देख रहा था। पहले तेज़ हवा चली। साँय-साँय करती यह इतनी प्रचंड आँधी थी कि इसकी आवाज़ से कान बहरे हो रहे थे, और इसकी शक्ति से पहाड़ फट रहे थे और चट्टानें टूटकर चूर-चूर हो रही थीं। इसके बाद एक भूकंप आया जिसने धरती के गर्भ में छिपी ज़बरदस्त शक्तियों का आभास कराया। उसके बाद आग दिखाई दी। यह पूरे इलाके में फैलती चली गयी, और एलिय्याह ने ज़रूर इसकी लपटों की झुलसन महसूस की होगी।—1 राजा 19:8-12.
“यहोवा पास से होकर चला”
3. एलिय्याह ने परमेश्वर के किस गुण का सबूत देखा, हम इसी गुण का सबूत और कहाँ देख सकते हैं?
3 एलिय्याह ने ये जो अलग-अलग घटनाएँ देखीं, इनमें एक बात आम थी—ये सभी यहोवा परमेश्वर की महाशक्ति का नज़ारा थीं। बेशक, इस बात का यकीन करने के लिए कि परमेश्वर में यह गुण है हमें किसी चमत्कार की ज़रूरत नहीं। हम उसकी शक्ति बड़ी आसानी से देख सकते हैं। बाइबल बताती है कि सृष्टि में यहोवा की “सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व” का सबूत मिलता है। (रोमियों 1:20) ज़ोरदार तूफान में कड़कती बिजलियों और गरजते बादलों के बारे में, पहाड़ों की ऊँचाई से गिरते विशालकाय झरनों के भव्य नज़ारे के बारे में और दूर-दूर तक फैले आकाश में टिमटिमाते तारों के बारे में सोचिए! क्या आप इन नज़ारों में परमेश्वर की शक्ति को नहीं देखते? मगर, इस दुनिया में बहुत कम लोग सही मायनों में परमेश्वर की शक्ति को मानते हैं। और इनसे भी कम लोग इस शक्ति के बारे में सही नज़रिया रखते हैं। लेकिन, परमेश्वर यहोवा के इस गुण की समझ पाने से हमें उसके करीब आने की और भी कई वजह मिलेंगी। इस भाग में हम यहोवा की बेजोड़ शक्ति का विस्तार से अध्ययन करने जा रहे हैं।
यहोवा का एक बेहद ज़रूरी गुण
4, 5. (क) यहोवा के नाम और उसके पराक्रम या शक्ति के बीच क्या संबंध है? (ख) यहोवा ने अपनी शक्ति का प्रतीक बैल बताया, यह क्यों सही था?
4 शक्ति के मामले में यहोवा का कोई सानी नहीं है। यिर्मयाह 10:6 कहता है: “हे यहोवा, तेरे समान कोई नहीं है; तू महान है, और तेरा नाम पराक्रम में बड़ा है।” गौर कीजिए कि पराक्रम या शक्ति को यहोवा के नाम के साथ जोड़ा गया है। याद कीजिए कि सबूतों के आधार पर इस नाम का यह मतलब निकलता है, “वह बनने का कारण होता है।” क्या बातें यहोवा को इस काबिल बनाती हैं कि वह किसी भी चीज़ की सृष्टि कर सकता है और जो चाहे वह बन सकता है? एक है, उसकी शक्ति। जी हाँ, कार्यवाही करने और अपनी मरज़ी को पूरा करने के लिए यहोवा के पास अपार शक्ति है। यह शक्ति परमेश्वर का एक बेहद ज़रूरी गुण है।
5 हम कभी-भी यह नहीं समझ पाएँगे कि यहोवा के पास कितनी शक्ति है, इसलिए वह हमें समझाने के लिए कुछ दृष्टांतों का इस्तेमाल करता है। जैसा हम देख चुके हैं कि वह अपनी शक्ति के प्रतीक के तौर पर बैल का इस्तेमाल करता है। (यहेजकेल 1:4-10) बैल का चुनाव सही बैठता है, क्योंकि एक पालतू बैल भी बहुत बड़े आकार का और शक्तिशाली जीव होता है। बाइबल के ज़माने के पैलिस्टाइन में, एक बैल से ज़्यादा ताकतवर जानवर का लोगों ने शायद ही सामना किया हो। मगर हाँ, उन्होंने एक किस्म के खौफनाक जंगली साँड़ या ऑरक्स को ज़रूर देखा होगा, जिसकी प्रजाति अब लुप्त हो चुकी है। (अय्यूब 39:9-12) रोम के सम्राट, जूलियस सीज़र ने एक बार कहा कि इन साँड़ों का आकार करीब-करीब हाथियों जितना ही था। उसने लिखा: “उनमें गज़ब की ताकत है और दौड़ते वक्त वे हवा से बातें करते हैं।” कल्पना कीजिए कि अगर आप ऐसे जानवर के पास खड़े हों, तो आप खुद को कितना छोटा और कमज़ोर महसूस करेंगे!
6. क्यों सिर्फ यहोवा को “सर्वशक्तिमान” कहा गया है?
6 उसी तरह इंसान, शक्तिशाली परमेश्वर यहोवा के सामने बहुत ही छोटा और कमज़ोर है। यहोवा के लिए शक्तिशाली राष्ट्र भी ऐसे हैं जैसे पलड़ों पर धूल की हल्की-सी परत। (यशायाह 40:15) चाहे कोई भी प्राणी हो, उसकी शक्ति सीमित होती है। मगर यहोवा की शक्ति असीम है, क्योंकि सिर्फ उसी को “सर्वशक्तिमान” कहा गया है।a (प्रकाशितवाक्य 15:3) यहोवा के पास “महाशक्ति” और “विशाल सामर्थ्य” है। (यशायाह 40:26, NHT) वह शक्ति का स्रोत है, और उसके पास इतनी भरपूर शक्ति है कि वह कभी खत्म नहीं होती। वह शक्ति के लिए किसी भी बाहरी स्रोत पर निर्भर नहीं करता, क्योंकि “सामर्थ्य परमेश्वर ही का है।” (तिरछे टाइप हमारे; भजन 62:11, NHT) मगर, यहोवा किस ज़रिए से अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है?
यहोवा अपनी शक्ति कैसे इस्तेमाल करता है
7. यहोवा की पवित्र आत्मा क्या है, और बाइबल की मूल भाषाओं के शब्दों का क्या मतलब हो सकता है?
7 यहोवा से पवित्र आत्मा इतनी ज़बरदस्त मात्रा में निकलती है जिसका कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता। यह पवित्र आत्मा, काम करती हुई परमेश्वर की शक्ति है। दरअसल, उत्पत्ति 1:2 (NW) में, बाइबल इसे परमेश्वर की “क्रियाशील शक्ति” कहती है। जिन मूल इब्रानी और यूनानी शब्दों का अनुवाद “आत्मा” किया गया है, उन्हें बाइबल के दूसरे भागों में संदर्भ के मुताबिक “हवा,” “साँस” या “झोंका” अनुवाद किया जा सकता है। शब्दों का अध्ययन करनेवाले विद्वानों के मुताबिक, मूल भाषा के शब्दों का मतलब यह हो सकता है कि कोई अनदेखी शक्ति काम कर रही है। जिस तरह हम हवा को नहीं देख सकते, मगर महसूस कर सकते हैं, उसी तरह परमेश्वर की पवित्र आत्मा है। यह वाकई असरदार है, और इसके असर को देखा जा सकता है।
8. बाइबल में परमेश्वर की आत्मा को लाक्षणिक अर्थ में क्या कहा गया है, और यह तुलना सही क्यों है?
8 परमेश्वर की पवित्र आत्मा क्या-क्या कर सकती है, इसका भी कोई हिसाब नहीं है। यहोवा इसे अपने किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए, यह बिलकुल सही है कि बाइबल में परमेश्वर की आत्मा को लाक्षणिक अर्थ में, उसकी “उंगली,” उसका “बलवन्त हाथ” या “बढ़ाई हुई भुजा” कहा गया है। (लूका 11:20, NHT, फुटनोट; व्यवस्थाविवरण 5:15; भजन 8:3) ठीक जैसे एक इंसान अपने हाथों से अलग-अलग किस्म के काम करता है। कहीं पर वह ज़ोर का इस्तेमाल करता है या फिर कहीं अपनी उँगलियों का हुनर दिखाते हुए बारीक कारीगरी का सबूत देता है। उसी तरह चाहे सूक्ष्म परमाणु बनाने की बात हो या विशाल लाल सागर को दो हिस्सों में बाँटने की या फिर पहली सदी के मसीहियों को अलग-अलग भाषाओं में बात करने की काबिलीयत देने की, परमेश्वर अपना कोई भी मकसद पूरा करने के लिए जैसे चाहे वैसे अपनी आत्मा का इस्तेमाल कर सकता है।
9. यहोवा की हुक्म चलाने की शक्ति कितनी है?
9 यहोवा इस विश्व का महाराजाधिराज होने के अधिकार से भी अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है। सोचिए कि अगर आपके हुक्म को पूरा करने के लिए लाखों-करोड़ों बुद्धिमान और समर्थ सेवक हमेशा तैयार खड़े हों, तो आपको कैसा लगेगा? यहोवा के पास ऐसा ही अधिकार और शक्ति है। उसके इंसानी सेवक हैं, और शास्त्र में अकसर उसके सेवकों की तुलना एक सेना से की जाती है। (भजन 68:11; 110:3) और उसके सेवकों में स्वर्गदूत भी हैं, जो इंसानों से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली हैं। जब अश्शूर की सेना ने परमेश्वर के लोगों पर धावा बोला था, तब एक स्वर्गदूत ने अकेले 1,85,000 सैनिकों को एक ही रात में मौत के घाट उतार दिया था! (2 राजा 19:35) परमेश्वर के ये दूत वाकई “बड़े वीर” हैं।—भजन 103:19, 20.
10. (क) सर्वशक्तिमान परमेश्वर को सेनाओं का यहोवा क्यों कहा गया है? (ख) यहोवा की तमाम सृष्टि में सबसे ज़्यादा शक्तिशाली कौन है?
10 स्वर्गदूतों की संख्या कितनी है? जब भविष्यवक्ता दानिय्येल को स्वर्ग का दर्शन दिया गया, तो उसने 10 करोड़ से भी ज़्यादा आत्मिक प्राणी देखे, मगर इस बात के संकेत नहीं मिलते कि उसने परमेश्वर के बनाए हुए सभी स्वर्गदूतों को देखा था। (दानिय्येल 7:10) तो फिर, स्वर्गदूतों की संख्या शायद करोड़ों-करोड़ हो। इसीलिए, परमेश्वर को सेनाओं का यहोवा कहा गया है। इस उपाधि से पता लगता है कि वह शक्तिशाली स्वर्गदूतों की एक विशाल, व्यवस्थित सेना का सेनाध्यक्ष है और इस हैसियत से उसके हाथ में बेहिसाब शक्ति है। उसने इन सभी आत्मिक प्राणियों की निगरानी की बागडोर, ‘सारी सृष्टि में पहिलौठे’ अपने प्रिय बेटे के हाथों में सौंपी है। (कुलुस्सियों 1:15) परमेश्वर के सभी दूतों, सारापों और करूबों पर प्रधान स्वर्गदूत होने के नाते यीशु, यहोवा की तमाम सृष्टि में सबसे ज़्यादा शक्तिशाली है।
11, 12. (क) हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर का वचन प्रबल है? (ख) यीशु ने कैसे बताया कि यहोवा के पास ज़बरदस्त शक्ति है?
11 यहोवा के पास अपनी शक्ति इस्तेमाल करने का एक और ज़रिया है। इब्रानियों 4:12 कहता है: “परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल . . . है।” परमेश्वर का वचन ईश्वर-प्रेरणा से लिखा संदेश है, जो आज बाइबल में पाया जाता है। क्या आपने कभी देखा है कि बाइबल में कैसा अद्भुत बल या शक्ति है? यह हमारी हिम्मत बढ़ाती है, हमारा विश्वास पक्का करती है और इसकी मदद से हम अपनी ज़िंदगी में बड़े-बड़े बदलाव कर पाते हैं। प्रेरित पौलुस ने अपने मसीही भाई-बहनों को उन लोगों से दूर रहने की चेतावनी दी, जो घोर अनैतिक जीवन बिता रहे थे। उसके बाद उसने यह भी कहा: “तुम में से कितने ऐसे ही थे।” (1 कुरिन्थियों 6:9-11) जी हाँ, “परमेश्वर का वचन” उनकी ज़िंदगी में प्रबल हुआ था और इससे उन्हें अपनी ज़िंदगी बदलने में मदद मिली।
12 यहोवा की शक्ति इतनी ज़बरदस्त है और इसे ज़ाहिर करने के ज़रिए इतने कारगर हैं कि कोई भी चीज़ यहोवा की शक्ति के सामने खड़ी नहीं रह सकती। यीशु ने कहा: “परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।” (मत्ती 19:26) यहोवा किन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है?
उद्देश्य से इस्तेमाल की गयी शक्ति
13, 14. (क) हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा शक्ति का कोई निराकार स्रोत नहीं है? (ख) यहोवा किन तरीकों से अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है?
13 यहोवा की आत्मा, दुनिया की किसी भी शक्ति से कहीं ज़्यादा बलशाली है; और यहोवा खुद शक्ति का कोई निराकार स्रोत नहीं है, जिससे दूसरों को बस ऊर्जा मिलती है। वह एक ऐसा परमेश्वर है जिसकी अपनी शख्सियत है, और जिसका अपनी शक्ति पर पूरी तरह से काबू है। मगर, क्या बात उसे अपनी शक्ति इस्तेमाल करने के लिए उकसाती है?
14 जैसा हम आगे देखेंगे, परमेश्वर अपनी शक्ति को सृष्टि करने, विनाश करने, रक्षा करने, बहाल करने के लिए—थोड़े शब्दों में कहें, तो जो काम उसके सिद्ध उद्देश्य के मुताबिक सही है उसे पूरा करने के लिए इस्तेमाल करता है। (यशायाह 46:10) कुछ मामलों में, यहोवा अपनी शख्सियत और अपने स्तरों के ज़रूरी पहलुओं को ज़ाहिर करने के लिए अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है। सबसे बढ़कर, वह अपनी मरज़ी पूरी करवाने के लिए यानी मसीहाई राज्य के ज़रिए अपनी हुकूमत को बुलंद करने और अपने नाम को पवित्र ठहराने के लिए अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है। और कोई भी चीज़, कभी इस उद्देश्य के आड़े नहीं आ सकती।
15. यहोवा अपने सेवकों की खातिर किस उद्देश्य से अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है, और एलिय्याह के मामले में यह शक्ति कैसे दिखायी गयी?
15 यहोवा, अलग-अलग इंसानों की मदद करने के लिए भी अपनी शक्ति इस्तेमाल करता है। गौर कीजिए कि 2 इतिहास 16:9 क्या कहता है: “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।” शुरूआत में बताया गया एलिय्याह का अनुभव, इसकी एक मिसाल है। यहोवा ने उसे ऐसे विस्मयकारी तरीके से अपनी शक्ति क्यों दिखायी? क्योंकि दुष्ट रानी ईज़ेबेल ने एलिय्याह को मौत के घाट उतारने की कसम खायी थी। और एलिय्याह अब अपनी जान बचाकर भाग रहा था। ऐसे में वह बहुत ही अकेला, डरा हुआ और निराश महसूस कर रहा था, मानो उसने जो भी मेहनत की थी वह सब बेकार चली गयी। इस दुःखी आदमी को दिलासा देने के लिए, यहोवा ने ईश्वरीय शक्ति के नज़ारे दिखाकर उसे याद दिलाया कि यहोवा कितना ताकतवर है। आँधी, भुईंडोल और आग ने दिखाया कि इस विश्व की सबसे शक्तिशाली, सबसे ताकतवर हस्ती एलिय्याह के साथ है। और जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर उसके साथ है, तो एलिय्याह को ईज़ेबेल से खौफ खाने की क्या ज़रूरत?—1 राजा 19:1-12.b
16. यहोवा की महाशक्ति के बारे में सोचकर हम क्यों दिलासा पा सकते हैं?
16 हालाँकि यहोवा अब चमत्कार नहीं करता, मगर जैसा वह एलिय्याह के दिनों में था वैसा ही आज भी है। (1 कुरिन्थियों 13:8) वह आज भी चाहता है कि अपनी शक्ति उन लोगों की खातिर इस्तेमाल करे जो उससे प्रेम करते हैं। माना कि वह सर्वोच्च आत्मिक लोक में रहता है, मगर वह हमसे दूर नहीं है। उसकी शक्ति असीम है, इसलिए दूरी उसके लिए कोई बाधा नहीं है। इसके बजाय, “जितने यहोवा को पुकारते हैं, . . . उन सभों के वह निकट रहता है।” (भजन 145:18) एक बार जब भविष्यवक्ता दानिय्येल ने मदद के लिए यहोवा को पुकारा, तो उसकी प्रार्थना खत्म होने से पहले ही, एक स्वर्गदूत उसकी मदद के लिए सामने आ खड़ा हुआ! (दानिय्येल 9:20-23) यहोवा जिनसे प्रेम करता है, उनकी मदद करने और उनकी हिम्मत बँधाने से कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती।—भजन 118:6.
परमेश्वर की शक्ति, उसके करीब आने में बाधा?
17. किस अर्थ में यहोवा की शक्ति हमारे अंदर भय पैदा करती है, मगर यह किस किस्म का डर पैदा नहीं करती?
17 परमेश्वर की ऐसी शक्ति की वजह से क्या हमें उससे डरना चाहिए? इसका जवाब हाँ भी है और ना भी। हाँ इसलिए कि इस गुण से हमें उसका भय मानने की कई वजह मिलती हैं। यह एक गहरा विस्मय और आदर है जिसके बारे में हमने चंद शब्दों में पिछले अध्याय में चर्चा की थी। बाइबल कहती है, ऐसा भय “बुद्धि का मूल” या शुरूआत है। (भजन 111:10) हम, ना में इसलिए जवाब देते हैं कि परमेश्वर की शक्ति की वजह से हमें खौफ नहीं खाना चाहिए, ना ही उसके पास आने से डरना चाहिए।
18. (क) बहुत-से लोग ताकतवर इंसानों पर क्यों भरोसा नहीं करते? (ख) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा अपनी शक्ति की वजह से भ्रष्ट नहीं हो सकता?
18 इतिहास ने बार-बार इस बात का सबूत दिया है कि असिद्ध इंसान अकसर ताकत का गलत इस्तेमाल करते हैं। ऐसा लगता है कि ताकत पाते ही लोग भ्रष्ट होने लगते हैं और उनके पास जितनी ज़्यादा ताकत होती है उतना ही ज़्यादा वे भ्रष्ट होते जाते हैं। (सभोपदेशक 4:1; 8:9) इस वजह से, जिनके पास ताकत होती है बहुत-से लोग उन पर भरोसा नहीं करते और उनसे दूर ही रहते हैं। यहोवा सबसे ज़्यादा ताकतवर है यानी उसके पास समस्त अधिकार है। तो क्या इसका मतलब यह है कि वह भी किसी तरह भ्रष्ट है? बिलकुल नहीं! जैसा हमने देखा है, वह पवित्र है और उसमें ज़रा भी खोट नहीं। यहोवा इस भ्रष्ट संसार के असिद्ध इंसानों से एकदम अलग है। उसने कभी-भी अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं किया और ना ही कभी करेगा।
19, 20. (क) यहोवा अपनी शक्ति ज़ाहिर करता है, तो यह किन गुणों के साथ मेल खाती है, और यह जानकर हमें हौसला क्यों मिलता है? (ख) यहोवा के आत्म-संयम को आप एक उदाहरण देकर कैसे समझा सकते हैं, और यह गुण आपको क्यों अच्छा लगता है?
19 याद रखिए कि यहोवा में सिर्फ शक्ति का गुण नहीं है। हमें अभी उसके न्याय, उसकी बुद्धि और उसके प्रेम के बारे में अध्ययन करना है। मगर हमें यह नहीं मान लेना चाहिए कि यहोवा के गुण बड़े ही सख्त और मशीनी अंदाज़ में ज़ाहिर होते हैं, मानो वह एक वक्त पर एक ही गुण ज़ाहिर करता है। इसके उलटे, हम आगे के अध्यायों में देख पाएँगे कि यहोवा हर वक्त अपनी शक्ति ऐसे ज़ाहिर करता है कि यह उसकी बुद्धि, उसके न्याय और प्रेम के साथ मेल खाए। परमेश्वर के एक और गुण पर ध्यान दीजिए, जो इस संसार के शासकों में विरले ही देखने को मिलता है, वह है आत्म-संयम।
20 कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसे आदमी से मिलते हैं जो बहुत ही लंबा-चौड़ा और ताकतवर है, इतना कि आप उसे देखकर घबरा जाते हैं। लेकिन, कुछ वक्त के बाद आप जान पाते हैं कि उसका व्यवहार बहुत कोमल है। वह हमेशा मौके ढूँढ़ता है ताकि अपनी ताकत से खासकर कमज़ोर और बेसहारा लोगों की मदद करे और उनकी रक्षा कर सके। वह अपनी ताकत का कभी गलत इस्तेमाल नहीं करता। आप देखते हैं कि उसे बेवजह बदनाम किया गया है, फिर भी वह अपना आपा नहीं खोता बल्कि शांत रहता है और दूसरों के साथ प्यार से पेश आता है। आप सोचने लगते हैं कि अगर आप उसकी जगह होते, तो क्या आप भी ऐसी ही कोमलता और ऐसा ही संयम दिखा पाते, खासकर अगर आपके पास भी उसके जैसी ताकत होती! जब आप उस आदमी को और करीब से जानने लगते हैं, तो क्या वह आपको अच्छा नहीं लगने लगता? लेकिन जब सर्वशक्तिमान यहोवा की बात आती है, तो हमारे पास उसके करीब आने की इससे भी बढ़कर वजह हैं। इस अध्याय का शीर्षक जहाँ से लिया गया है उस पूरे वाक्य पर गौर कीजिए: “यहोवा विलम्ब से क्रोध करनेवाला और बड़ा शक्तिमान है।” (तिरछे टाइप हमारे; नहूम 1:3) यहोवा लोगों के खिलाफ जल्दबाज़ी में अपनी शक्ति इस्तेमाल नहीं करता, यहाँ तक कि दुष्टों के खिलाफ भी नहीं। वह कोमल स्वभाव का है और करुणा दिखाता है। भड़काए जाने पर भी, वह “विलम्ब से क्रोध” करनेवाला साबित हुआ है।—भजन 78:37-41.
21. यहोवा क्यों अपनी मरज़ी दूसरों पर थोपने से दूर रहता है, और इससे हम उसके बारे में क्या सीखते हैं?
21 अब यहोवा के आत्म-संयम के एक और पहलू पर गौर कीजिए। अगर आपके पास बेहिसाब शक्ति होती, तो क्या आपको नहीं लगता कि आप कभी-कभी लोगों से वही करवाना चाहते जो आपकी मरज़ी है? यहोवा के पास इतनी शक्ति होने के बावजूद वह ज़बरदस्ती लोगों से अपनी सेवा नहीं करवाता। हालाँकि उसकी सेवा करना ही अनंत जीवन हासिल करने का एकमात्र रास्ता है, फिर भी वह यह सेवा करवाने के लिए किसी के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करता। इसके बजाय, वह हर इंसान का लिहाज़ करता है और उसे चुनने की आज़ादी देता है। वह गलत चुनाव करने के अंजाम के बारे में हमें आगाह करता है और अच्छे चुनाव करने के फायदे बताता है। मगर वह हमें खुद चुनाव करने देता है। (व्यवस्थाविवरण 30:19, 20) यहोवा को ऐसी सेवा हरगिज़ मंज़ूर नहीं जो दबाव में आकर या उसकी अपार शक्ति से खौफ खाकर की जाए। वह उन लोगों को ढूँढ़ता है जो प्रेम की खातिर और खुशी-खुशी उसकी सेवा करते हैं।—2 कुरिन्थियों 9:7.
22, 23. (क) किस तरह पता लगता है कि यहोवा दूसरों को शक्ति देने से खुशी पाता है? (ख) अगले अध्याय में हम किस बात पर ध्यान देंगे?
22 आइए अब एक आखिरी वजह देखें कि क्यों हमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर से खौफ नहीं खाना चाहिए। ताकतवर इंसान, दूसरों को अधिकार देने से अकसर घबराते हैं। मगर, यहोवा अपने वफादार उपासकों को शक्ति देने से खुशी पाता है। उसने दूसरों को, जैसे कि अपने बेटे को काफी अधिकार दिया है। (मत्ती 28:18) यहोवा एक और तरीके से अपने सेवकों को शक्ति देता है। बाइबल समझाती है: “हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और विभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; . . . सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है।”—1 इतिहास 29:11, 12.
23 जी हाँ, आपको बल देने में यहोवा को खुशी होगी। यहाँ तक कि जो उसकी सेवा करना चाहते हैं, वह उन्हें “असीम सामर्थ” देता है। (2 कुरिन्थियों 4:7) ऐसा बलवंत परमेश्वर जो इतनी करुणा से और उसूलों के मुताबिक अपनी शक्ति इस्तेमाल करता हो, क्या आपका मन नहीं करता कि उसके करीब आएँ? अगले अध्याय में, हम इस पर खास ध्यान देंगे कि यहोवा अपनी शक्ति, सृष्टि के कामों के लिए कैसे इस्तेमाल करता है।
a जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “सर्वशक्तिमान” किया गया है, उसका शाब्दिक अर्थ है “सब पर राज करनेवाला; जिसके पास समस्त शक्ति हो।”
b बाइबल बताती है कि “यहोवा उस आन्धी में . . . उस भूंईडोल में . . . उस आग में न था।” (तिरछे टाइप हमारे।) कई उपासक प्रकृति की शक्तियों को देवी-देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं, मगर यहोवा के सेवक यह नहीं मानते कि वह इन प्राकृतिक शक्तियों में वास करता है। वह इतना महान है कि अपने हाथों से बनायी किसी भी चीज़ में वह नहीं समा सकता।—1 राजा 8:27.