पाठ 69
जिब्राईल मरियम के पास आया
इलीशिबा की रिश्तेदार मरियम उससे उम्र में बहुत छोटी थी और गलील के नासरत शहर में रहती थी। मरियम की मँगनी यूसुफ से हो चुकी थी जो एक बढ़ई था। जब इलीशिबा को गर्भवती हुए छ: महीने बीते थे तब जिब्राईल स्वर्गदूत मरियम के पास आया। उसने मरियम से कहा, ‘सलाम मरियम! यहोवा ने तुझे बहुत बड़ी आशीष दी है।’ मरियम उसकी बात का मतलब समझ नहीं पायी। तब जिब्राईल ने उससे कहा, ‘तू गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी। तू उसका नाम यीशु रखना। वह राजा बनेगा और उसका राज हमेशा कायम रहेगा।’
मगर मरियम ने कहा, “मुझे बच्चा कैसे हो सकता है, मैं तो कुँवारी हूँ?” जिब्राईल ने कहा, ‘यहोवा के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। पवित्र शक्ति तुझ पर आएगी और तेरा एक बेटा होगा। तेरी रिश्तेदार इलीशिबा भी गर्भवती हुई है।’ तब मरियम ने कहा, “मैं तो यहोवा की दासी हूँ। तूने जैसा कहा है, वैसा ही मेरे साथ हो।”
मरियम, इलीशिबा से मिलने पहाड़ियों पर बसे एक शहर गयी। जब मरियम ने इलीशिबा को नमस्कार किया तो इलीशिबा ने महसूस किया कि उसके पेट में बच्चा उछल पड़ा है। फिर इलीशिबा पवित्र शक्ति से भर गयी और उसने कहा, ‘मरियम, यहोवा ने तुझे आशीष दी है। यह मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है कि मेरे प्रभु की माँ मेरे घर आयी है।’ मरियम ने कहा, ‘मैं पूरे दिल से यहोवा की तारीफ करती हूँ।’ मरियम तीन महीने तक इलीशिबा के साथ रही और फिर अपने घर नासरत लौट गयी।
जब यूसुफ को पता चला कि मरियम गर्भवती है तो उसने मँगनी तोड़ देनी चाही। मगर एक स्वर्गदूत उसके सपने में आया और उसने उससे कहा, ‘तू मरियम से शादी करने से मत डर। उसने कुछ गलत नहीं किया है।’ तब यूसुफ ने मरियम को अपनी पत्नी बना लिया और उसे अपने घर ले आया।
“आकाश में, धरती पर . . . यहोवा जो भी चाहता है वह करता है।”—भजन 135:6