यीशु का जीवन और सेवकाई
मनुष्य को क्या अशुद्ध करता है?
यीशु के खिलाफ विरोध और सख्त होता है। न केवल उसके कई चेले उसे छोड़ चले जाते है, परन्तु यहूदा के यहूदी उसे मार डालने के लिये ढूँढ रहें हैं, जैसे उन लोगों ने ३१ सा.यु. के फसह के समय पर भी किया जब वह यरूशलेम में था।
अब ३२ सा.यु. का फसह है। इसी प्रकार, परमेश्वर की आवश्यकता के अनुसार फसह में उपस्थित रहने के लिए यीशु येरूशलेम तक जातें है। तथापि, उनका जीवन खतरे में होने के कारण वह यह सावधानी से करते हैं। इसके पश्चात वह गॅलील को लाट जातें है।
यीशु कदाचित कफरनहूम में है, जब येरूशलेम से फरीसी और शास्त्री उसके पास आते है। धार्मिक नियम उल्लंघन करने का दोष उस पर लगाने के लिए आधार खोज रहे हैं। “तेरे चेले पूर्वजों के रीति को क्यों टालते हैं?” उन्होंने पूछा, “उदाहरण के लिए वे बिना हाथ धोये रोटी खाते है।” यह कुछ परमेश्वर की आवश्यकता नहीं थी, परन्तु, फरीसी इस पारंपारिक शास्त्र विधि को जिसमें हाथ को कोहनी तक धोना सम्मिलित था, नहीं करना एक गंभीर अपराध मानते थे।
उन पर लगाए गए दोष का उत्तर देने के बजाय यीशु उनके दुष्ट और स्वेच्छा से परमेश्वर के नियम को तोड़ने की ओर सूचित करता है। “तुम भी अपनी रीतियों के कारण क्यों परमेश्वर की आज्ञा टालते हो?” वह जानना चाहता है। “उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने कहा था, ‘कि अपने पिता और माता का आदर करना;’ और, ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।’ पर तुम कहते हो, ‘कि यदि कोई अपने पिता या माता से कहे, “कि जो कुछ तुझे मुझसे लाभ पहुँच सकता था, वह परमेश्वर को भेंट चढ़ायी जा चुकी तो वह अपने पिता का बिल्कुल आदर न करे।’”
सच्चमुच, फरीसी यही सिखाते थे की पैसा, जायदाद या जो कुछ भेट में परमेश्वर को समर्पित किया गया है वह मंदिर का है, और वह कोई और उद्देश्य से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। परंतु, असलियत में, वह समर्पित भेंट उस व्यक्ति द्वारा रखा जाता है जो उसे समर्पित करता है। इस प्रकार एक बेटा, केवल इतना कहकर कि वह पैसा और जायदाद कुर्बान है—अर्थात परमेश्वर या मंदिर को समर्पित एक भेंट—अपने वृद्ध माता पिता को मदद करने की जिम्मेदारी से दूर भागता जाता है, जो निराशजनक संकट की अवस्था में हो सकते हैं।
फरीसी जो दुष्ट तरीके से परमेश्वर के नियम को मोड़ते थे उचित रीति से क्रोधित होकर यीशु उनसे कहता है, “तुमने अपनी रीतियों के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया। हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की, कि यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं पर उनका हृदय मुझ से दूर रहता है, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।”
कदाचित भीड़ पिछड़ गयी ताकि फरीसीओं को यीशु को प्रश्न करने का मौका मिले। अब, जब फरीसीयों के पास उनपर यीशु के निंदा का कोई उत्तर न रहा, तब वह भीड़ को अपने पास बुलाता है। “सुनो और समझो।” यीशु ने कहा, “जो मुँह से अंदर जाता है वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, परंतु जो मुँह से बाहर निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।”
बाद में, जब वे कोई घर में प्रवेश करते हैं उसके चेले उससे पूछते हैं: “क्या तू जानता है कि फरीसीयों ने वचन सुनकर ठोकर खायी?”
यीशु ने उत्तर दिया, “हर पौधा जो मेरे स्वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा, उनको जाने दो; वे अन्धे मार्गदर्शक हैं और अन्धा यदि अन्धे को मार्ग दिखाए, तो दोनो गड्ढे में गिर पड़ेंगे।”
मनुष्य को क्या अशुद्ध करता है, इस विषय में चेलों की ओर से जब पतरस स्पष्टीकरण चाहता है, तब यीशु विस्मित लगा। तब यीशु ने कहा, “क्या तुम भी अब तक नासमझ हो? क्या नहीं समझते, कि जो कुछ मुँह में जाता, वह पेट में पड़ता है? और शरीर से बाहर नकल जात है? पर जो कुछ मुँह से निकलता है, वह हृदय से निकलता है और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। उदाहरण के लिए दुष्ट विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही, और निंदा हृदय ही से निकलती है। यही है जो मनुष्य को अशुद्ध करती है, परंतु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।”
यीशु यहाँ पर सामान्य स्वास्थ-विद्या को निरूत्साहित नहीं कर रहा है। वह यह सिद्ध नहीं कर रहा कि एक व्यक्ति को खाना खाते या पकाते समय हाथ धोना नहीं चाहिए। किन्तु, यीशु उन धर्मगुरूओं के कपट को निंदित करता है जो कुटिलता से परमेश्वर के धार्मिक नियमों को फँसाना चाहते हैं, जो धर्मग्रंथ के विपरीत रीति-रिवाजों पर हठ धरे हुए हैं। जी हाँ, यह दुष्ट कार्य ही है जो मनुष्य को अशुद्ध करता है, और यीशु दिखाता है कि यह बातें मनुष्य के हृदय से उत्पन्न होते हैं। यूहन्ना ७:१; व्यवस्थाविवरण १६:१६; मत्ती १५:१-२०; मरकुस ७:१-२३; निर्गमन २०:१२; २१:१७; यशायाह २९:१३.
◆ अब यीशु किस विरोध का सामना करता है?
◆ फरीसीयों क्या दोष लगाते हैं, परंतु यीशु के अनुसार, फरीसीयों कैसे परमेश्वर का नियम को जानबूझकर उल्लंघन करते हैं?
◆ एक मनुष्य को अशुद्ध करनेवाली चीज़ के बारे में यीशु क्या प्रगट करता है?