“धन्यवादी बने रहो”
“मसीह की शान्ति . . . तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।”—कुलुस्सियों ३:१५.
१. इस कृतघ्न दुनिया में मसीहियों को किस बात से सावधान रहना चाहिए?
यह परेशान २०वीं सदी इस हद तक पहुँची है जहाँ अनेक लोग धन्यवादी होना भूल गए हैं। वे क़दरदाँ शब्द “कृपया” और “धन्यवाद” हर गुज़रते साल के साथ साथ और भी कम सुनायी पड़ते हैं। कृतघ्नता “हवा” का हिस्सा बन चुकी है, वही स्वार्थी मनोवृत्ति जो इस दुनिया के लोगों पर छा गयी है। (इफिसियों २:१, २) हालाँकि मसीही “संसार का कोई भाग नहीं,” जब तक वर्तमान रीति-व्यवस्था विद्यमान रहेगी, तब तक उन्हें इस में रहना है। (यूहन्ना १७:११, १६) इसलिए, उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए ताकि यह कृतघ्न अभिवृत्ति उन पर प्रभाव न डाले, जिस से उनकी धन्यवादपूर्णता कम हो जाए।
२. (अ) कुछेक तरीक़े क्या हैं जिन से यहोवा के सेवक उसके प्रति धन्यवादपूर्णता व्यक्त कर सकते हैं? (ब) धन्यवाद की मौखिक अभिव्यक्तियों से ज़्यादा क्या आवश्यक है?
२ परमेश्वर की उत्तमता के लिए क़दर, संगी विश्वासियों से बातचीत में अक़्सर व्यक्त की जा सकती है। अधिकांश समर्पित गवाह संभवतः अपने स्वर्ग के पिता, यहोवा, को उसकी उत्तमता के लिए दिन में कई बार, निजी प्रार्थना में, धन्यवाद देते हैं। धन्यवादपूर्णता मण्डलीय प्रार्थनाओं में और मसीही सभाओं में राज्य के गानें गाते समय भी व्यक्त होती है। निश्चय ही, शब्दों में धन्यवादपूर्णता व्यक्त करना अपेक्षाकृत आसान है। परन्तु, प्रेरित पौलुस ने अपने कुलुस्सी भाइयों को न सिर्फ़ यह कहने कि वे धन्यवादी थे लेकिन अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इसे दिखाने या प्रदर्शित करने को भी प्रोत्साहित किया। उसने लिखा: “मसीह की शान्ति जिस के लिए तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।”—कुलुस्सियों ३:१५.
धन्यवादपूर्णता के लिए प्रचुर कारण
३. हम सब को परमेश्वर के प्रति धन्यवादपूर्ण क्यों होना चाहिए?
३ हर एक ज़िंदा व्यक्ति को धन्यवादपूर्णता के लिए प्रचुर कारण है। सर्वप्रमुख कारण स्वयं ज़िंदगी का आनन्द है, इसलिए कि अगर हम अपनी जान खो बैठेंगे, तो जो कुछ भी हमारे पास है या जिस किसी की हम योजना बनाते हैं, वह अचानक मूल्यहीन हो जाएगा। भजनकार दाऊद ने सभी मानवों को यह याद करने को प्रोत्साहित किया कि “जीवन का सोता [यहोवा परमेश्वर] तेरे पास है।” (भजन ३६:९) और प्रेरित पौलुस ने अरियुपगुस पर बोलते समय अथेने के लोगों को उसी अनन्त सत्य की याद दिलायी। (प्रेरितों के काम १७:२८) जी हाँ, सिर्फ़ ज़िंदा होना ही धन्यवादपूर्णता के लिए बहुत कारण है। और हमारी क़दर और भी गहरी होती है जब हम उन क्षमताओं की याद करते हैं जो परमेश्वर ने हमें दी है—आस्वादन की शक्ति, स्पर्शना शक्ति, सूँघन की शक्ति, दृष्टि शक्ति और श्रवणशक्ति—ताकि हम जीवन और हमारे इर्द-गिर्द सृष्टि की सुंदरताओं का आनन्द ले सकते हैं।
४. जीवन के आशीर्वादों की ओर कोई खास ध्यान दिए बग़ैर उन्हें स्वीकार करने की मनोवृत्ति से हमें क्या सुरक्षित रख सकता है?
४ फिर भी, अनेक लोग उत्तम बातों की ओर कोई खास ध्यान दिए बग़ैर उन्हें स्वीकार करते हैं। जिन आशीर्वादों की क़दर उन्होंने स्वस्थावस्था में न की, उन को कई लोग पूर्ण रूप से सिर्फ़ तभी समझते हैं जब वे दृष्टिशक्ति या श्रवणशक्ति जैसे किसी क्षमता से वंचित होते हैं। समर्पित मसीहियों को सदैव सावधान रहने की ज़रूरत है कि वे क़दर के एक समान अभाव में न बह जाएँ। उन्हें वही धन्यवादपूर्ण मनोवृत्ति बनाए रखने के लिए कड़ी महनत करनी चाहिए, जैसे उस भजनकार ने दिखायी जिसने कहा: “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएँ तू हमारे लिए करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! सो मैं चाहता हूँ कि खोलकर उनकी चर्चा करूँ, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती।”—भजन ४०:५.
५. यहोवा की ओर से इस्राएल के अतिरिक्त आशीर्वादों के बावजूद, उन्होंने कैसा शर्मनाक आचरण अपनाया?
५ १०६ठाँ भजन यहोवा के उन पराक्रमों का एक काव्यात्मक सारांश देता है, जो उसने अपनी प्रजा, इस्राएल के पक्ष में की थी। उनसे यहोवा का व्यवहार जीवन की उस उत्तमता और सामान्य आशीर्वादों के अतिरिक्त था जो वह सर्वसामान्य मनुष्यजाति को प्रदान करता है। परन्तु, इन फ़ायदों के बावजूद, भजनकार बताता है, इस्राएलियों ने अपने अनन्य आशीर्वादों के लिए सतत क़दर नहीं दिखायी। आयत १३ बताता है: “परन्तु वे झट उसके कामों को भूल गए; और उसकी युक्ति के लिए न ठहरे।” नहीं, यह समय के गुज़रने से न था कि उनकी धन्यवादपूर्णता धीरे धीरे कम हुई, जिसकी वजह से दशकों बाद वे उन बातों को अब और याद न कर सके जो परमेश्वर ने उनके लिए किए थे। उलटे, वे जल्दी भूल गए—यहोवा के लाल सागर पर उनके पक्ष में किए विशिष्ट चमत्कारों के कुछ हफ़्तों के अन्दर अन्दर। (निर्गमन १६:१-३) दुःखद रूप से, भावी घटनाओं ने साबित किया कि कृतघ्नता उनके जीवन में एक नियमित पद्धति बन गयी।
किस तरह धन्यवादपूर्णता दिखानी चाहिए
६. क्यों दशमांश-करारोपन की माँग कोई तक़लीफ़ न थी?
६ तफ़सील से, यहोवा ने तीन विशेष तरीक़े बताए जिन में इस्राएलियों को उसकी उत्तमता के लिए असली क़दर दिखानी थी। एक तरीक़ा था यहोवा को सारे उत्पाद और पशुधन का दशमांश देकर, दशमांश-करारोपन की शर्त पूरा करना। (लैव्यव्यवस्था २७:३०-३२) इस से कोई तक़लीफ़ न होती, इसलिए कि परमेश्वर सूर्य, ऊर्वर ज़मीन, बारिश, और विकास के चमत्कार के लिए ज़िम्मेवार था। तो, यहोवा के पवित्रस्थान पर याजकों को एक दशमांश देना स्वयं यहोवा के प्रति धन्यवादपूर्णता की एक व्यावहारिक अभिव्यक्ति थी।
७. (अ) दशमांश-करारोपन और यहोवा को भेंट चढ़ाने में क्या मुख्य फ़र्क़ था? (ब) इस ने इस्राएलियों को अपने बारे में क्या प्रकट करने दिया?
७ एक और शर्त थी परमेश्वर को भेंट देना, जिसमें रक़म वैयक्तिक इस्राएली की मनोवृत्ति से निर्धारित होती है। जबकि कोई निश्चित रक़म का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया था, भेंट पहली उपज में से होना था—अनाज, दाखरस और झुण्ड के ऊन की पहली उपज। (गिनती १५:१७-२१; व्यवस्थाविवरण १८:४) इसके अलावा, यहोवा ने अपेक्षा की कि उसके लोगों को ‘देने में विलम्ब नहीं करनी थी’ और “पहली उपज का पहला भाग” देना था। (निर्गमन २२:२९; २३:१९) इस से इस्राएलियों को एक वास्तविक रीति से यहोवा को अपनी कृतज्ञता दिखाने के मौक़े पेश हुए। वे अपनी धन्यवादपूर्णता की गहराई भेंट की रक़म से दिखा सकते थे। क्या वे अँगूरों का सिर्फ़ एक ही गुच्छा देते? या क्या उनका उदार मन उन्हें एक पूरी टोकरी भर देने को प्रेरित करता? इस प्रकार, हर एक व्यक्ति या परिवार ज़बरदस्ती के बिना धन्यवादपूर्णता प्रमाणित कर सकता था।
८. (अ) बिनाई प्रबंध से कौनसे दो लाभ प्राप्त हो सके? (ब) बिनाई व्यवस्था में शामिल लोगों द्वारा उदारता और धन्यवादपूर्णता किस तरह प्रमाणित की जा सकती थी?
८ धन्यवादपूर्णता दिखाने का एक और सुस्पष्ट तरीक़ा अनाज बिनने के लिए परमेश्वर के प्रबंध से संबंधित था। फ़सल के समय, ज़रूरतमंदों के लिए कुछ हिस्से बग़ैर काटे छोड़ रखने थे। इस से वे ग़रीबों के लिए न सिर्फ़ संवेदना और ध्यान सीख सकते थे, लेकिन इस से यह भी निश्चित हुआ कि वे उत्साह भंग करनेवाली मुट्ठीभर भीख पर गुज़ारा नहीं करते, जो कि उनकी तरफ़ से कोई कोशिश आवश्यक न करती थी। (लैव्यव्यवस्था १९:९, १०) कितना हिस्सा ज़रूरतमंदों के लिए छोड़ रखना था, सुस्पष्ट नहीं किया गया। लेकिन अगर इस्राएली किसानों ने अपनी खेतों के किनारों की चारों ओर भरपूर छोड़कर, और इस प्रकार ग़रीबों को कृपा दिखाकर, उदार मनोवृत्ति दिखायी, तो वे परमेश्वर को महिमा दिखा रहे होते। (नीतिवचन १४:३१) यह निर्धारित करना उन पर छोड़ दिया गया कि क्या वे एक संकीर्ण या एक चौड़ा हिस्सा बग़ैर काटे छोड़ रखते। लेकिन परमेश्वर ने यह आदेश देकर उदारता के विषय में कड़े निदेश दिए कि खेत में जो भी गट्ठा भूल से छोड़ दिया गया या पेड़ या दाखलता पर कोई भी फल छोड़ गया, तो वह बिनाई करनेवालों के लिए था। (व्यवस्थाविवरण २४:१९-२२) पारी से, इस प्रबंध के लिए बिनाई करनेवाले खुद यहोवा को अपनी धन्यवादपूर्णता उसके उपासना-स्थान में उनकी बिनाई की दशमांश भेंट करके प्रमाणित कर सकते थे।
मन की उदारता
९. जो लोग एक स्वार्थी मनोवृत्ति प्रदर्शित कर रहे थे, वे दरअसल अपने आप को किस तरह हानि पहुँचा रहे थे?
९ अगर इस्राएलियों ने उदार भेंट दिए, तो यहोवा का आशीर्वाद उनके घरों पर रहता। (यहेजकेल ४४:३०; मलाकी ३:१० से तुलना करें।) परन्तु, प्रचुर फ़सल के बावजूद भी, वे भेंट देने से अक़्सर रह गए। फिर परमेश्वर ने राजाओं या भविष्यद्वक्ताओं के ज़रिए उनकी धन्यवादपूर्णता को फिर से जगाने के लिए तक़ाज़ों का इस्तेमाल किया। दरअसल, स्वार्थी इस्राएली ही वंचित हो रहे थे, इसलिए कि यहोवा उन लोगों को आशीर्वाद न दे सका जिन्होंने उसकी उपासना के संबंध में या ग़रीबों के लिए भेंट देने से इन्कार किया।
१०. (अ) धन्यवादपूर्णता के विषय राजा हिजकिय्याह के तक़ाज़ों के आनन्दी परिणाम क्या थे? (ब) क्या अवस्था टीकी रही?
१० एक अवसर पर, राजा हिजकिय्याह के तक़ाज़ों के परिणामस्वरूप यरूशलेम में १४-दिन का एक आनन्दमय उत्सव हुआ। प्रजा आध्यात्मिक रूप से तरोताज़ा किए गए। पहले, उन्होंने मूर्तिपूजा के सभी सहायक अंगों को नष्ट किया और फिर “[दशमांश] ढेर ढेर करके रखने लगे। . . . जब हिजकिय्याह और हाकिमों ने आकर उन ढेरों को देखा, तब यहोवा को और उसकी प्रजा इस्राएल को धन्य धन्य कहा।” (२ इतिहास ३०:१, २१-२३; ३१:१, ६-८) यद्यपि, दुःखद रूप से, ऐसे मियादी नवजागरणों के बाद, प्रजा फिर से कृतघ्नता की अवस्था में पतित हो गए। आख़िरकार, परमेश्वर की सहनशक्ति ख़त्म हो गयी, और उसने अपनी प्रजा को बाबेलोन में क़ैद लिए जाने दिया। उनका शहर और ख़ूबसूरत मन्दिर नष्ट हो गए। (२ इतिहास ३६:१७-२१) बाद में, पुनरुद्धार के पश्चात्, स्थिति एक बार फिर इतनी गंभीर हो गयी कि यहोवा ने यहूदियों की कंजूसी को उस से चोरी करने, उसे लूटने के बराबर समझा!—मलाकी ३:८.
११. इस्राएल के इतिहास से सीखा कौनसा सिद्धान्त इस समय जी रहे मसीहियों को लाभदायक हो सकता है?
११ इस्राएलियों के अनियत इतिहास से कौनसा सिद्धान्त मालूम किया जा सकता है? यह: जब तक कि उनके मन में धन्यवादपूर्णता दृढ़ रही, तब तक उन्होंने यहोवा को “ढेर ढेर” देने के द्वारा यह बात प्रमाणित की। पर जब धन्यवादपूर्णता भुला दी गयी या घट गयी, तब आनन्दमय भौतिक भेंट देना लगभग बन्द ही हो गया। क्या ऐसी बुरी अभिवृत्ति आज के समर्पित मसीहियों द्वारा प्रदर्शित हो सकती है? जी हाँ, चूँकि मानवी अपूर्णता आज भी हम में है। हम कितने खुश हैं कि परमेश्वर ने इस्राएल के साथ अपना व्यवहार लिपिबद्ध करवाया ताकि हम, जो इस रीति-व्यवस्था के अन्त में जी रहे हैं, उन से सीख सकते और फ़ायदा उठा सकते हैं!—रोमियों १५:४; १ कुरिन्थियों १०:११.
१२. (अ) आज यहोवा के लोग इस्राएलियों की जैसी स्थिति में किस तरह हैं? (ब) हमें कौनसे प्रश्न पूछने की आवश्यकता है?
१२ इस्राएलियों के जैसे, आज यहोवा के लोगों को धन्यवादपूर्णता के लिए कई कारण हैं। हम भी अपने संगी मनुष्यों द्वारा अनुभव किए आशीर्वादों से ज़्यादा आशीर्वाद के पानेवाले हैं। वास्तव में, हम यहोवा के उद्देश्यों के बारे में इस्राएल की जाति से ज़्यादा जानते हैं। हम ने सीखा है कि परमेश्वर ने किस तरह अपने बेटे का बलिदान दिया, और हम उन आशीर्वादों से अवगत हैं जो दैवी अनुमोदन प्राप्त लोगों को इस से मिलेगा। और आज हमें एक आध्यात्मिक परादीस में होने का विशेषाधिकार है, इसलिए कि १९१९ से, यहोवा ने अपने लोगों के लिए एक भव्य आध्यात्मिक सम्पत्ति बनायी है। जी हाँ, यहोवा के गवाहों को धन्यवादपूर्णता के लिए कई अधिक कारण हैं। तो हमें यह पूछने की ज़रूरत है: परमेश्वर के प्रति हमारी धन्यवादपूर्णता कितनी गहरी है? और इस २०वीं सदी में हम अपने आप को किस तरह धन्यवादपूर्ण दिखा सकते हैं?
आधुनिक प्रतिरूप
१३, १४. हालाँकि मसीही मूसा के नियम के अधीन नहीं, क्या उनके लिए दशमांश-करारोपन नियम से कोई प्रतिरूप निकाला जा सकता है?
१३ मसीही मूसा के नियम के अधीन नहीं जिस में परमेश्वर के प्रति धन्यवादपूर्णता प्रमाणित करने की रूप-रेखा दी गयी थी। (गलतियों ३:२४, २५) “उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं” हमारा यहोवा को दिया स्तुतिरूपी “बलिदान” है। (इब्रानियों १३:१५) तो फिर, यही प्रमुख तरीक़ा है जिस से समर्पित मसीही परमेश्वर को धन्यवादपूर्णता दिखा सकते हैं। लेकिन दशमांश-करारोपन, भेंट और बिनाई के नियमों से दिलचस्प प्रतिरूप निकाले जा सकते हैं।
१४ दशमांश-करारोपन का मतलब था दसवें हिस्से की सुस्पष्ट रक़म देना—और इस विषय कोई विकल्प न था। उसी तरह, आज यहोवा के सभी सेवकों पर ऐसे सुस्पष्ट आदेश लगाए गए हैं, जिस के विषय भी कोई विकल्प नहीं। हमें नियमित रूप से एकत्र होना है, और हमें सरेआम यहोवा के राज्य का सुसमाचार प्रचार करना और दूसरों को मसीह के चेले बनने की मदद करना है।—इब्रानियों १०:२४, २५; मत्ती २४:१४; २८:१९, २०.
१५. आधुनिक समय में उदार मनों के कौनसे संकेतक प्राचीन इस्राएल में भेंट और बिनाई व्यवस्था से प्रकट संकेतकों के बराबर हैं?
१५ भेंट और बिनाई के प्रबंधों को भी याद करें। सुस्पष्ट रक़म नहीं माँगी गयी थीं। उसी तरह, धर्मशास्त्रों में यहोवा के हर एक गवाह को पवित्र सेवा में कितना समय बिताना है, इस विषय कोई सुनिश्चित परिमाण बताया नहीं गया है। परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने और दूसरों को प्रचार करने के लिए कितना समय लगाया जाता है, वह उदारशील, निःस्वार्थ दिलों की प्रेरणा पर छोड़ दिया जाता है। उसी तरह, राज्य हितों की उन्नति के लिए भौतिक भेंट का परिमाण भी प्रत्येक व्यक्ति के मन को हुक्म देने के लिए छोड़ा जाता है। धन्यवादपूर्णता की गहराई यह निश्चित करेगी कि क्या परमेश्वर का कोई सेवक “ढेर ढेर” ले आएगा या काम चलाने के लिए सिर्फ़ पर्याप्त मात्रा ले आएगा। (२ इतिहास ३१:६) परन्तु, जैसे इस्राएल के विषय में हुआ, धन्यवादपूर्णता का जितना ज़्यादा प्रमाण होता है, परमेश्वर से उतने ही बहुल आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
धन्यवादपूर्णता दिखाने के तरीक़े
१६-१८. समर्पित मसीही किन सुस्पष्ट तरीक़ों में अपने आप को धन्यवादपूर्ण दिखा सकते हैं?
१६ यहोवा को धन्यवादपूर्णता प्रमाणित करने का एक सबसे सीधा तरीक़ा पूरे-समय की सेवकाई में व्यस्त रहना है। आप के मन में यह उत्कंठा होने के लिए क्या आपकी धन्यवादपूर्णता इतनी ज़्यादा है? यह भली-भाँति देखा गया है कि सफल पायनियर को सेवा करने की पहले इच्छा होनी चाहिए और फिर उचित परिस्थिति। जब धन्यवादपूर्णता उत्साही है, तब परमेश्वर की सेवा और भी करने की एक प्रेरक इच्छा एक क़दरदाँ मन में उमड़ आती है। क्या आप इस तरह महसूस करते हैं? अगर आप की वर्तमान परिस्थितियाँ आपका पूरे-समय की सेवकाई में हिस्सा लेना असंभव कर देती हैं, तो इस वजह से पायनियर मनोवृत्ति को बुझने की ज़रूरत नहीं। आप पायनियरों को हार्दिक समर्थन और प्रोत्साहन दे सकते हैं।
१७ अगर आप इस समय पायनियर कर नहीं सकते, क्या आप समय समय पर सहायक पायनियर बन सकते हैं? हर साल ऐसी खास अवधियाँ हैं जब मसीही मण्डली प्रचार कार्य में सामान्य-से-ज़्यादा प्रयत्न प्रोत्साहित करती है। उदाहरणार्थ, गरमी के महीने अनेकों के लिए उत्तम हैं, और अक्तूबर में पत्रिका के अंशदान के संबंध में अतिरिक्त कार्य होता है। पवित्र सेवा के लिए बढ़े हुए समय के संबंध में, यही सिद्धान्त सच है, कि धन्यवादपूर्णता उदार देन उत्पन्न करता है।
१८ धन्यवादपूर्णता दिखाने का एक और सुस्पष्ट तरीक़ा दुनिया भर में घटित हो रहे ईश्वरशासित निर्माण कार्यक्रम की सहायता करने के ज़रिए है। अनेक देशों में, नए राज्य सभागृह बाँधी जा रही हैं, और भीड़-भाड़ की वजह से विद्यमान सभाएँ बढ़ायी जा रही हैं। नए असेंब्ली सभागृह बाँधे जा रहे हैं, और बेथेल घरों तथा फ़ैक्ट्रियों को उपगृह जोड़े जा रहे हैं। यहोवा को धन्यवादपूर्णता प्रमाणित करने का कैसा व्यावहारिक तरीक़ा—हमारा इन निर्माण योजनाओं को पूरा करने के लिए परिश्रम या आर्थिक संसाधन भेंट देना!
ज़रूरतमंद विधवा का उत्कृष्ट उदाहरण
१९. मन्दिर में की ज़रूरतमंद विधवा के बारे में कौनसी बात आपको सबसे अधिक प्रभावित करती है?
१९ उदारशील भौतिक देन के ज़रिए धन्यवादपूर्णता दिखाने का एक सुप्रसिद्ध बाइबलीय उदाहरण उस विधवा का है जिसका वर्णन यीशु ने किया। (लूका २१:१-४) उसने यह ज़रूर जाना होगा कि मन्दिर और वहाँ सेवा कर रहे लोगों के भौतिक कल्याण में, उसके इतने छोटे मूल्य के दो सिक्कों से कोई ज़्यादा फ़र्क न होनेवाला था। लेकिन उसने मन्दिर और वहाँ सेवा कर रहे याजकों को देखकर मन ही मन यह नहीं सोचा: “वे मुझ से बेहतर रहते हैं और उनके पास मेरे साधारण से घर एक बेहतर घर है।’ यह सही है कि मन्दिर बहुत ज़्यादा ठाठदार और ख़ूबसूरत था। यह “सुन्दर पत्थरों और भेंट की वस्तुओं से सँवारा गया” था। (लूका २१:५) लेकिन वे बातें उस विधवा को भेंट चढ़ाने से नहीं रोकीं। वह यहोवा के सामने, और न मन्दिर में सेवा करनेवालों को, खुद को धन्यवादपूर्ण दिखाना चाहती थी।
२०. हम वही प्रशंसनीय मनोवृत्ति किस तरह प्रमाणित कर सकते हैं, जैसे उस ग़रीब विधवा ने दिखायी?
२० आज यहोवा के लोग इस उदाहरण से सीखते हैं। उस ज़रूरतमंद विधवा के जैसे, वे जानते हैं कि उनकी भेंट, चाहे छोटी हो या बड़ी, परमेश्वर को दी जाती हैं। और वे यह जानकर आश्वस्त होते हैं कि यहोवा का पार्थिव संगठन इस तरह ढाँचा गया है कि कभी कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से लाभ उठा नहीं सकता। सोसाइटी की सहूलियतें इस तरह बनायी और चलायी जाती हैं कि परिश्रमी कार्यकर्ता बाइबल और बाइबल सहायक साहित्य के उत्तम उत्पादन और राज्य हितों को पूरा करने में उच्चतम फल प्राप्त कर सकें। यह कुछ टेलीविशन धर्मप्रचारकों से संबंधित हाल में रिपोर्ट किए गए दान के पैसों का शर्मनाक दुरुपयोग के प्रभावशाली वैषम्य में है।
धन्यवादपूर्णता के विषय तक़ाज़े लाभदायक
२१, २२. अपने आप को धन्यवादपूर्ण दिखाने के लिए क़दरदाँ दिलों में कृपालु तक़ाज़ों का कैसा प्रभाव उत्पन्न होना चाहिए?
२१ इस्राएलियों को यहोवा के प्रति उनके कर्त्तव्य के बारे में सतत तक़ाज़ों की ज़रूरत थी, खास तौर से धन्यवादी मनोवृत्ति की आवश्यकता। आम तौर पर, इन मामलों के बारे में जब उन्हें ध्यान दिलाया गया, तब उनके दिलों में धन्यवादपूर्णता पुनः उत्तेजित हुई, और इसके परिणामस्वरूप अपनी कृतज्ञ क़दर व्यक्त करने के लिए उनके शब्द ही काफ़ी न थे। वे यहोवा को अपनी उपासना के भवन में इस्तेमाल किए जाने के लिए उपज के “ढेर ढेर” देने के लिए तैयार थे।
२२ तो ऐसा हो कि आधुनिक “परमेश्वर के इस्राएल” और उनके साथियों की “बड़ी भीड़” के सदस्य हमेशा उसी तरह महसूस करें। (गलतियों ६:१६; प्रकाशितवाक्य ७:९) उनके कृतज्ञ मन उन्हें यहोवा को “ढेर ढेर” स्तुति देने के लिए प्रेरित हों। फिर वे सचमुच कह सकते हैं: “हम खुद को अपने उदार और प्रेममय परमेश्वर, यहोवा, के सामने धन्यवादपूर्ण दिखा रहे हैं।”
क्या आप याद करते हैं?
◻ मसीहियों को सतत अपनी धन्यवादपूर्णता की हद जाँचने की ज़रूरत क्यों है?
◻ यहोवा के लोगों को हमेशा धन्यवादपूर्णता के लिए अतिरिक्त कारण क्यों रहे हैं?
◻ इस्राएली लोग यहोवा के प्रति अपनी धन्यवादपूर्णता किन सुस्पष्ट तरीक़ों से दिखा सकते थे?
◻ इस्राएलियों के जैसे, धन्यवादपूर्णता व्यक्त करने के लिए हम कौन कौनसे विशेष कार्य कर सकते हैं?
◻ मन्दिर में ज़रूरतमंद विधवा से हम क्या सीख सकते हैं?
[पेज 18 पर तसवीरें]
इस्राएलियों ने दशमांश और पहली उपज देकर और ग़रीबों को अपने खेत बिनने का प्रबंध करके धन्यवादपूर्णता दिखायी
[पेज 19 पर तसवीरें]
भजनकार ने यहोवा को उसके बढ़िया कार्यों और उसके लोगों के प्रति सद्विचार के लिए धन्यवाद दिया
[पेज 21 पर तसवीरें]
आज यहोवा के गवाह क्षेत्र सेवा और ईश्वरशासित निर्माण योजनाओं में हिस्सा लेकर, और साथ साथ भौतिक भेंट देकर धन्यवादपूर्णता दिखाते हैं