पाठकों से प्रश्न
◼ जब खम्भे पर यीशु की मृत्यु हुई, क्या तब व्यवस्था वाचा समाप्त हो गयी, और फिर नयी वाचा ने उसका स्थान कब लिया?
बहुतों ने ये प्रश्न तीन घटनाओं को मन में रखते हुए पूछा है: निसान १४, ३३ सा. यू. के दोपहर को खम्भे पर यीशु का मरना, स्वर्ग में उसके जीवन-रक्त की भेंट, और पिन्तेकुस्त ३३ सा. यु. को उसका पवित्र आत्मा उँडेलना। शास्त्रीय रूप से, पिन्तेकुस्त के समय व्यवस्था वाचा समाप्त हो गयी और नयी वाचा ने उसका स्थान ले लिया। चलो, हम देखते हैं कि यह ऐसा क्यों है।
यहोवा ने भविष्यवाणी की थी, कि समय आने पर वह इस व्यवस्था वाचा के स्थान पर “एक नयी वाचा” लायेगा, जो पूर्ण रूप से पाप की क्षमा होने देगा जो कि नियम के अधीन नहीं हो सकता था। (यिर्मयाह ३१:३१-३४) यह स्थानान्तरण कब होगा?
यह आवश्यक था कि, यह पुरानी वाचा, व्यवस्था वाचा, को उसके उद्देश्य को पूर्ण करने पर, मार्ग से निकाली जाए। (गलतियों ३:१९, २४, २५) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “[परमेश्वर] ने हमारे सब अपराधों को क्षमा किया और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर, और हमारे विरोध में था मिटा डाला; और उस को खम्भे पर कीलों से जड़कर साम्हने से हटा दिया है।” (कुलुस्सियों २:१३, १४ न्यू. व.) क्या इसका यह अर्थ होता है कि जिस क्षण यीशु की मृत्यु हुई, नयी वाचा ने व्यवस्था वाचा का स्थान ले लिया?
नहीं, क्योंकि नयी वाचा का उद्घाटन उस उचित बलिदान की लहु से और एक नये राष्ट्र, आत्मिक इस्राएल, के साथ होना था। (इब्रानियों ८:५, ६; ९:१५-२२) निसान १६ को यीशु का पुनरुत्थान हुआ और ४० दिन के बाद उसने स्वर्गारोहण किया। (प्रेरितों १:३-९) उसके स्वर्गारोहण के दस दिन बाद, पिन्तेकुस्त के दिन, यीशु ने उसके शिष्यों पर “वह पवित्र आत्मा जिस की प्रतिज्ञा की गयी थी” उँडेल दिया जो उसने उसके पिता से प्राप्त की थी, और आत्मिक इस्राएल अस्तित्व में आया। (प्रेरितों के काम २:३३) मध्यस्त, यीशु मसीह, के ज़रिए, परमेश्वर आत्मिक इस्राएल के साथ यह नयी वाचा बनाता है।
इन अन्तःसम्बन्धित बातों को ध्यान में रखते हुए, नयी वाचा ने व्यवस्था वाचा का स्थान कब लिया?
ऐसे कोई नहीं कह सकता कि यीशु की मृत्यु के साथ नियम समाप्त हो गयी। यीशु का आत्मिक जीवन के लिए पुनरुत्थान के बाद, जब वह पृथ्वी पर था, उन ४० दिनों के दौरान, तब भी उसके शिष्य नियम का पालन कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, नियम की एक महत्त्वपूर्ण बात, वर्ष में एक बार अति पवित्र स्थान में महा याजक का जाना था। यह स्वर्ग के लिए यीशु के पुनरुत्थान को चित्रित किया। वहाँ, परमेश्वर की उपस्थिति में, नयी वाचा के मध्यस्त के रूप में, वह उसके छुड़ौती बलिदान के मूल्य की भेंट कर सकता था। (इब्रानियों ९:२३, २४) यह, यिर्मयाह ३१:३१-३४ की पूर्ति के अनुरूप एक नयी वाचा के उद्घाटित होने की ओर मार्ग खोल दिया।
यह नयी वाचा तब लागू हुआ जब यहोवा ने उस छुड़ौती बलिदान की स्वीकृति पर कार्य किया। एक नया राष्ट्र, आत्मिक इस्राएल, को अस्तित्व में लाने के लिए, जिनमें राज्य के लिए की गयी वाचा में शामिल लोग थे, उस ने अपनी पवित्र आत्मा, यीशु के उन विश्वासी शिष्यों के ऊपर उँडेल दिया। (लूका २२:२९; प्रेरितों के काम २:१-४) इसने दिखाया कि परमेश्वर ने उस व्यवस्था वाचा को रद्द कर दिया था, लाक्षणिक रूप से उसे उस खम्भे पर कीलों से जकड़ देते हुए जिस पर यीशु की मृत्यु हुई थी। इसलिए व्यवस्था वाचा तब समाप्त हो गयी जब नयी वाचा का चालन, या उद्घाटन, उस नये राष्ट्र, आत्मिक इस्राएल, के जन्म पिन्तेकुस्त ३३ सा. यु. के समय हुआ।—इब्रानियों ७:१२; ८:१, २.
इस प्रश्न के यह प्रमुख उत्तर के अतिरिक्त, हम इस पर ध्यान दे सकते हैं कि व्यवस्था वाचा की समाप्ति और पिन्तेकुस्त ३३ सा. यु. को नयी वाचा की प्रत्यक्ष शुरुआत के समय, परमेश्वर ने पूर्ण रूप से जन्मतः इस्राएल से मुँह फेर नहीं लिया। उदाहरणार्थ, इब्राहिमी वाचा के अनुरुप, यहोवा ने ३६ सा. यु. में समाप्त हुए ७० वी “सप्ताह” के दौरान यहूदियों, धर्म-परिवर्तित व्यक्तियों, और सामरियों की ओर विशेष कृपा दिखायी। (उत्पत्ति १२:१-३; १५:१८; २२:१८; दानिय्येल ९:२७; प्रेरितो के काम १०:९-२८, ४४-४८) कुछ अभिषिक्त यहूदी मसीहियों को इस तथ्य के अनुरुप होने में समय लगा कि ३३ सा. यु. के बाद नियम का पालन करना ज़रूरी नहीं था; हम यह बात ४९ सा. यु. को शासी निकाय के सामने लाये गए प्रश्न से देख सकते हैं। (प्रेरितों के काम १५:१, २) नियम का सम्पूर्ण त्याग ७० सा. यु. में बेशक सिद्ध हुआ जब वह मन्दिर और उस नियम से सम्बन्धित वंशविषयक अभिलेख गायब हो गए, रोमियों द्वारा नाश हो गए।—मत्ती २३:३८.
[पेज 32 पर चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.