शास्त्रों से शिक्षा: आमोस १:१-९:१५
एक जाति का निधन
“अपने परमेश्वर के सामने आने के लिए तैयार हो जा,” इस्राएल की जाति से “सेनाओं का परमेश्वर यहोवा” कहता है। (आमोस ४:१२, १३) कारण? समृद्धि से चकाचौंध होकर, इस्राएली उसकी व्यवस्था भूल गए थे और उसकी पवित्र भूमि को मूर्तिपूजा, अनैतिकता, रक्तपात, और हिंसा से दूषित करने के दोषी थे।
यहोवा के भविष्यद्वक्ता के हैसियत से, आमोस को न केवल यहूदा की अपनी जाति को, लेकिन विशेषकर इस्राएल के उत्तरी राज्य को एक चेतावनी का संदेश बतलाने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। वह इस्राएल को उसकी भोगासक्त जीवन-शैली की वजह से निंदा करता है और बैरी जातियों के हाथों उसका परिणामी निधन पूर्वबतलाता है। आमोस की किताब, जो सामान्य युग पूर्व ८२९ और सा.यु.पू. ८०४ के बीच किसी समय लिखी गयी, आनेवाले संकटों का पूर्वदर्शन करने की परमेश्वर की क्षमता में अंतर्दृष्टि देती है, और यह कुछ समयोचित चेतावनियाँ देती है।
परमेश्वर के शत्रुओं का ज्वलित विनाश
कोई परमेश्वर के दंडादेश से नहीं बच सकता। दमिश्क (अराम), अज्जा (पलिश्तीन), सोर, एदोम, अम्मोन, मोआब, और यहूदा की जातियों के लिए यह कितना सही साबित हुआ! यहोवा उनके अपराध के लिए उनके विरुद्ध अपना हाथ ‘न फेरेगा।’ फिर भी, उनकी पूर्वबतलायी गयी विपत्ति से उस दंडादेश को ही महत्त्व मिला जो इस्राएल के सम्मुख इस वजह से था, कि वे परमेश्वर के साथ उनका क़रार-संबंध बनाए रखने और उसके नियमों का समर्थन करने में असमर्थ हुए।—आमोस १:१-२:१६.
परमेश्वर की चेतावनी की ओर ध्यान दें। “पृथ्वी के सारे कुलों में से मैं ने केवल तुम्हीं को जाना है,” यहोवा इस्राएल से कहता है। (आमोस ३:२; न्यू.व.) परंतु, उनके पापपूर्ण आचरण से परमेश्वर के नाम और सर्वश्रेष्ठता के लिए अवमान दिखायी दिया। अनेक अपने ही भाइयों के खर्च पर, ‘जाड़े के भवन और धूपकाल के भवन’ सहित, निष्क्रिय ऐश में रहकर, अमीर होने के दृढ़-निश्चित थे। (आमोस ३:१५) धोखा-युक्त वज़नों से, उन्होंने स्वार्थ से ग़रीबों को ठगा। उनकी सच्ची उपासना त्यागने का मतलब यही था कि यहोवा का दंड अपेक्षित था। फिर भी, ‘यहोवा अपने सेवकों को बताए बिना कुछ भी नहीं करेगा।’ इस प्रकार, आमोस यहोवा के दंडादेश पूर्वबतलाकर उन्हें चिताता है: “अपने परमेश्वर के सामने आने के लिए तैयार हो जा।”—आमोस ३:१-४:१३.
यहोवा उद्धार है
परमेश्वर पश्चाताप करनेवालों को दया दिखाएगा। “मेरी खोज में रहो, तब जीवित रहोगे,” यह इस्राएल से यहोवा का अनुरोध है। (आमोस ५:४) “बुराई से बैर और भलाई से प्रीति रखो।” (आमोस ५:१५) परंतु, ऐसे शब्दों की अवहेलना की जाती है। धर्मत्यागी बेतेल और गिल्गाल, झूठी उपासना के केंद्र, जाना पसंद करते हैं ताकि वहाँ झूठे देवताओं को बलि चढ़ा सकें। (आमोस ५:२६; १ राजा १२:२८-३०) हाथी दांत के आलंकृत पलंगों पर, आत्मसंतुष्ट कुकर्मी बढ़िया क़िस्म की मदिरा गटकते हैं और चुनिंदा खाने की चीज़ों और तेलों से खुद को बिग़ाडते हैं। (आमोस ५:११; ६:४-६) “यहोवा का दिन” आ रहा है, और परमेश्वर ने इस्राएल का विनाश करने के लिए “अपनी ही” शपथ खायी है। (आमोस ५:१८; ६:८) यहोवा एक जाति को इस्राएल पर अत्याचार करने और उसे निर्वासन में ले जाने के लिए खड़ा करेगा।—आमोस ५:१-६:१४.
विरोधियों का नहीं, यहोवा का भय मानें। इस्राएल का विनाश टिड्डियों के एक झुंड से या सर्व-नाशकारी आग से लाया जा सकता था। आमोस ने इस्राएल के पक्ष पर परमेश्वर से निवेदन किया, और अपने दंडादेश के कारण “यहोवा को अफ़सोस” हुआ, तो यह इस तरह न किया गया। परंतु, एक निर्माणकर्ता के जैसे जो किसी दीवार के उदग्र तल की जाँच एक साहुल से करता है, यहोवा इस्राएल को ‘अब न छोड़ेगा।’ (आमोस ७:१-८, न्यू.व.) जाति को अवश्य उजाड़ देना था। भविष्यद्वक्ता के संदेश से क्रुद्ध होकर, अमस्याह, गोवत्स-पूजा का याजक, आमोस पर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाकर, उसे ‘यहूदा देश में भाग जाने और बेतेल में फिर कभी भविष्यद्वाणी ने करने’ का आदेश देता है। (आमोस ७:१२, १३) क्या आमोस सहमता है? नहीं! वह निडरता से अमस्याह की मृत्यु और उसके परिवार के लिए विपत्ति पूर्वबतलाता है। जैसे धान्य फ़सल के समय इकट्ठा किया जाता है, वैसे ही यहोवा का इस्राएल से जवाब तलब करने का समय आया है। कोई बचाव न होगा।—आमोस ७:१-८:१४.
यहोवा पर भरोसा रखनेवालों के लिए आशा है। “मैं पूरी रीति से याकूब के घराने को नाश न करूँगा,” यहोवा कहता है। याकूब के वंश के कुछेकों के लिए आशा है, पर पापियों के लिए नहीं। उनका विनाश निश्चित है। फिर भी, यहोवा इस्राएल के “बंधुओं को फेर ले” आएगा।—आमोस ९:१-१५.
आज के लिए शिक्षा: जो लोग अपने को परमेश्वर के बैरी बनाते हैं, उनको मृत्युदंड के योग्य आँका जाएगा। परंतु, जो कोई पश्चाताप करने की दैवी चेतावनी-संदेश की ओर ध्यान देंगे, वे यहोवा की दया प्राप्त करके ज़िंदा रहेंगे। अगर हम परमेश्वर का भय मानेंगे, तो हम विरोधियों को हमें उसकी इच्छानुसार करने से रोकने न देंगे।
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बाइबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
१:५—प्राचीन शहरों के ऊँचे दीवार और विशाल द्वार थे। उन द्वारों को बंद करने के लिए, भीतर से उन में लोहे या काँसे के अर्गल लगा दिए जाते थे। ‘दमिश्क के बेंड़ों को तोड़ने’ का मतलब था कि अरामी राजधानी अश्शूरियों के कब्ज़े में आ जाती। यह इस तरह होता मानो उसके शहर के द्वार बंद नहीं किए जा सकते थे क्योंकि उनके अर्गल तोड़ दिए गए थे।—२ राजा १६:८, ९.
४:१—सामरिया में रहनेवाली ऐशपरस्त औरतों का ज़िक्र “बाशान की गायों” के तौर से किया जाता था। बाशान देश के प्रचुर गोचर-भूमि से जानवरों की उत्तम नसल की पैदावार को सहयोग मिला। (व्यवस्थाविवरण ३२:१४; यहेजकेल ३९:१८) “बाशान की” ये स्वार्थी “गायों” ने प्रत्यक्ष रूप से अपने अपने “स्वामी,” या पति पर दबाव डाला कि ग़रीबों से पैसे छीनकर अपने ‘हाथीदांत के बने भवनों’ को भरें। (आमोस ३:१५) यद्यपि, ऐसे कार्य दैवी बदले में परिणामित हुए।
४:६—“दांत की सफाई,” यह अभिव्यक्ति, इस अनुरूप शब्दबंध से समझा जा सकता है, “रोटी की घटी।” इस प्रकार ऐसे लगता है कि यह अकाल के समय का ज़िक्र करता है, जब दांत इसलिए साफ थे कि खाने को कुछ न था। प्रत्यक्षतः, यहोवा ने देश में अकाल भेजने के द्वारा मूर्तिपूजक दस-जातीय राज्य के प्रति अपनी नापसंदगी व्यक्त की थी, उसी तरह जैसे उसने बहुत पहले चिताया था। (व्यवस्थाविवरण २८:४८) परंतु, दैवी दंडादेश के न यह और न ही दूसरी अभिव्यक्तियाँ क़रार-भंग करनेवाली इस जाति के मन तक पहुँचीं।—आमोस ४:६, ८-११.
५:२—जब आमोस ने अपनी भविष्यवाणी कही, लोगों के साथ-साथ इस्राएल की भूमि एक विदेशी शक्ति के अधीन न की गयी थी और न हर ली गयी थी। इस प्रकार, उनका एक कुँआरी के तौर से मूर्तिरूप किया गया। फिर भी, कुछ ही वर्षों में कुँआरी इस्राएल अश्शूरियों के कब्ज़े में आती और “दमिश्क के उस पार बंधुआई में” जाती। (आमोस ५:२७) इस्राएल के अविश्वसनीयता के कारण उसके विनाश के विषय आमोस इतना निश्चित है कि वह उसका वर्णन इस तरह करता है मानो यह पहले ही घटित हुआ हो।
७:१—‘राजा की कटनी की घास’ संभवतः उस महसूल या कर का ज़िक्र करता है जो राजा द्वारा अपने जानवरों और अश्वसेना को खाना देने के लिए वसूल किया जाता था। पहले राजा का महसूल भरना था, जिसके बाद ही लोग “घास,” या वनस्पति, अपने उपयोग के लिए प्राप्त कर सकते थे। पर उनका ऐसा करने से पहले, टिड्डियों ने आकर इस बादवाले रोपण को खा डाला।
८:२—धूपकालीन फल फ़सल के समय के लगभग अंत में तोड़े जाते थे। कृषिक वर्ष का अंत इस प्रकार प्रतीक करता था कि इस्राएल का अंत आया था। “मैं अब उसको और न छोडूँगा,” यहोवा ने घोषित किया। जाति पर उसके दंडादेश के निष्पादन का नियत समय आया था।
९:७—उनके विश्वसनीय पूर्वजों के कारण, यहोवा ने इस्राएलियों को चुनकर, उनके पुरखों को मिस्री गुलामी से मुक्त किया, और उनको कनान देश में लाया। पर उन्हें इस पर गर्व करने की कोई वजह न थी, इसलिए कि उनकी दुष्टता ने उन्हें कूशियों के जैसा पद दिया। (तुलना रोमियों २:२५ से करें) उसी तरह, जैसे मिस्र से मुक्ति सतत दैवी अनुमोदन की गारंटी न थी, वैसे ही यह वास्तविकता कि पलिश्ती और अरामी उनके पहले के इलाकों से भिन्न स्थानों में रह रहे थे, सतत दैवी अनुमोदन की कोई गारंटी न थी। विश्वसनीय कुलपिताओं का वंशज होना इस्राएलियों को बचानेवाला न था। परमेश्वर के साथ एक अनुमोदित स्थिति उसकी इच्छा के अनुपालन पर निर्भर होता है।—आमोस ९:८-१०; प्रेरितों के काम १०:३४, ३५.