वफ़ादारी से यहोवा के साथ काम करना
“हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्य कर्मों का प्रचार करता आया हूँ।”—भजन ७१:१७.
१. हम क्यों कह सकते हैं कि काम यहोवा की एक देन है?
काम मनुष्य को दी परमेश्वर की एक देन है। यहोवा ने, हमारे मौलिक माता-पिता, आदम और हव्वा से कहा: “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ।” वह एक चुनौती भरा फिर भी उनके सामर्थ्य में पूरा हो सकनेवाला नियत कार्य था। आवश्यक शारीरिक और मानसिक प्रयास से ज़िन्दा रहने का उनका आनन्द बढ़ जाता, उन जानवरों के अनुभव से बहुत परे, जो उनके साथ उनके पार्थिव घर में रहते थे।—उत्पत्ति १:२८.
२, ३. (अ) आज अनेकों के लिए काम क्या बन गया है, और क्यों? (ब) एक ख़ास काम करने के लिए कौनसे मौक़े के बारे में हमें विचार करना चाहिए?
२ हमारे अपरिपूर्ण अवस्था में भी, जिस “परिश्रम” का परिणाम “सुख” है, वह “परमेश्वर का दान” है, जैसा कि बुद्धिमान पुरुष सुलैमान ने लिखा। (सभोपदेशक ३:१३) मनुष्य को अब भी अपने मन और शरीर की योग्यताओं को काम में लाने की ज़रूरत है। बेरोज़गार होना निराशजनक है। फिर भी, हर काम हितकर या लाभप्रद नहीं होता। अनेकों के लिए, काम नीरस बात है, जो कि मुश्किल से निर्वाह करने की ज़रूरत से उत्पन्न होती है।
३ बहरहाल, एक सचमुच ही लाभप्रद काम है जिस में भाग लेने के लिए हम सब को आमंत्रित किया गया है। लेकिन इस में भाग लेनेवालों को कई विरोधियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह महत्त्वपूर्ण क्यों है कि हम इस में भाग लेने के लिए योग्य बनें? हम ऐसा किस तरह कर सकते हैं? इन सवालों का जवाब देने से पहले, आइए हम पहले इस पर ग़ौर करें:
हम किस के लिए काम कर रहे हैं?
४. किस प्रकार के काम से यीशु को हर्ष और संतोष मिला?
४ यीशु मसीह ने कहा: “मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजनेवाले की इच्छा के अनुसार चलूँ और उसका काम पूरा करूँ।” (यूहन्ना ४:३४) यहोवा के लिए वफ़ादारी से काम करने से यीशु को बहुत हर्ष और संतोष मिला। इस से उसे जीवन में एक मक़सद मिला, और उसके साढ़े-तीन साल की सेवकाई के अन्त में, वह सत्यवादिता से अपने स्वर्ग के पिता से कह सका: “जो काम तू ने मूझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैं ने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है।” (यूहन्ना १७:४) जिस तरह वास्तविक भोजन संपोषक है, उसी तरह एक आध्यात्मिक आयाम का काम भी संपोषक है। एक और अवसर पर यीशु ने इस बात पर ज़ोर दिया, जब उसने समझाया: “नाशमान भोजन के लिए परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिए जो अनन्त जीवन तक ठहरता है।” (यूहन्ना ६:२७) इसके विषम, ऐसा काम जो आध्यात्मिक रूप से निष्फल है, कुण्ठा और मौत की ओर ले जाता है।
५. किसने यीशु के अच्छे काम का विरोध किया, और क्यों?
५ “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूँ।” यीशु ने यह उक्ति उन यहूदियों से संबोधित की जो उसकी आलोचना इसलिए कर रहे थे कि उसने सब्त के दिन एक ऐसे आदमी को स्वस्थ किया था जो अड़तीस साल से बीमार रहा था। (यूहन्ना ५:५-१७) हालाँकि यीशु यहोवा का काम कर रहा था, धार्मिक विरोधियों ने इस वास्तविकता को मानना अस्वीकार किया और उसे रोकने के लिए उन्होंने हर काशिश की। क्यों? इसलिए कि वे अपने पिता, शैतान इब्लीस से थे, वही जिसने हमेशा ही यहोवा के काम का विरोध किया है। (यूहन्ना ८:४४) चूँकि शैतान ‘सब प्रकार का धोखा’ इस्तेमाल करके ‘आप ही ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण’ कर सकता है, हमें उसके कामों की असलियत पहचानने के लिए आध्यात्मिक विवेक और सुस्पष्ट सोच-विचार की ज़रूरत है। नहीं तो, हम पाएँगे कि हम यहोवा के विरोध में काम कर रहे हैं।—२ कुरिन्थियों ११:१४; २ थिस्सलुनीकियों २:९, १०.
विरोधी काम करते हैं
६. धर्मत्यागी “छल से काम करनेवाले” क्यों हैं? दृष्टान्त दें।
६ आज के धर्मत्यागियों के जैसे, कुछेक लोग बेवफ़ाई से मसीही मण्डली के साथ नए सिरे से संघटित होनेवाले सदस्यों के विश्वास को दुर्बल करने के लिए शैतान के कर्ताओं के तौर से काम कर रहे हैं। (२ कुरिन्थियों ११:१३) सच्चे उपदेशों के लिए एक आधार के तौर से सिर्फ़ बाइबल का उपयोग करने के बजाय, वे न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स पर सन्देह प्रकट करने की कोशिश में लगे रहते हैं, मानो यहोवा के गवाह समर्थन के लिए इस पर पूर्णतया निर्भर हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। शतक के अधिकांश हिस्से के लिए, गवाहों ने मुख्यतः किंग जेम्स वर्शन, रोमन कैथोलिक डूए वर्शन, या उनकी भाषा में जो भी अनुवाद उपलब्ध थे, उन्हें यहोवा और उनके उद्देश्यों के बारे में सीखने के लिए इस्तेमाल किया। और उन्होंने इन्हीं पुराने अनुवादों को ऐसी सच्चाइयों को घोषित करने के लिए इस्तेमाल किया है, जैसे मृतकों की अवस्था, परमेश्वर और उनके पुत्र के बीच का सम्बन्ध, और क्यों एक छोटा झुण्ड ही स्वर्ग जाता है। जानकार व्यक्ति इस बारे में भी अवगत हैं कि यहोवा के गवाह अपने विश्व-व्यापी शिष्य बनाने के काम में अब भी बाइबल के अनेक अनुवाद इस्तेमाल करते रहते हैं। बहरहाल, १९६१ से, उन्होंने अतिरिक्त रूप से न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन के अद्यतन, यथार्थ अनुवाद और सुपाठ्यता समेत, इसके उपयोग का आनन्द प्राप्त किया है।
७. (अ) उस में विश्वास करने का दावा करनेवाले अनेकों को यीशु अस्वीकार क्यों करता है? (ब) १ यूहन्ना ४:१ में दी सलाह की ओर ध्यान देना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
७ यीशु ने कहा कि वह उस पर विश्वास करनेवाले अनेकों लोगों को अस्वीकार करेगा। उसने माना कि वे उसके नाम से शायद भविष्यवाणी करेंगे, दुष्टात्माओं को निकालेंगे और “बहुत अचम्भे के काम” करेंगे। फिर भी, वह इन कामों की पहचान “कुकर्म” के तौर से करता है। (मत्ती ७:२१-२३) क्यों? इसलिए कि वे उसके स्वर्ग के पिता की इच्छा पर नहीं चल रहे हैं और जहाँ तक यहोवा परमेश्वर का सवाल है, वे बेकार हैं। आज असाधारण, प्रतीयमानतः चमत्कारी काम भी, परम-धोखेबाज़ शैतान से ही उत्पन्न हो सकते हैं। यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के ६० से ज़्यादा साल बाद अपनी पहली आम पत्री में लिखते हुए, प्रेरित यूहन्ना ने सलाह दी कि मसीहियों को “हर एक आत्मा” पर विश्वास नहीं करना चाहिए, “बरन आत्माओं को परख” लेना चाहिए, “कि क्या वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं।” हमें भी उसी तरह करने की ज़रूरत है।—१ यूहन्ना ४:१.
अलाभकर काम
८. हमें शरीर के कामों के बारे में कैसे महसूस करना चाहिए?
८ अगर हम अध्यात्मिक रूप से प्रत्युत्पादक कामों में न भी लगे हों, फिर भी हमारा परिश्रम बेकार होगा अगर ये काम पापी मानवी स्वभाव की वासनाओं की पूर्ति के लिए होंगे। प्रेरित पतरस ने कहा कि हम ने “अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने और लुचपन की अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में” काफ़ी “समय गँवाया है।” (१ पतरस ४:३, ४) अवश्य, इसका यह मतलब नहीं कि सभी ने, जो अब समर्पित मसीही हैं, ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लिया। लेकिन इसका यह मतलब ज़रूर है कि जिन लोगों ने ऐसा किया है उन्हें, जैसे-जैसे उनकी आध्यात्मिक सूक्ष्मदृष्टि बढ़ती गयी, वैसे-वैसे तेज़ी से बदलना चाहिए था। दुनिया उनके धर्म परिवर्तन के बारे में बुरा-भला कहेगी; वह तो अपेक्षित है। फिर भी, अगर उन्हें यहोवा की सेवा में वफ़ादार सेवक बनना है, तो उन्हें बदलना ही चाहिए।—१ कुरिन्थियों ६:९-११.
९. हम उस गवाह के अनुभव से क्या सीखते हैं, जिसने एक ऑपेरा गायिका बनने के लिए प्रशिक्षण लेना शुरु किया था?
९ यहोवा ने हमें हमारे आनन्द के लिए अनेक उपहार दिए हैं, जिन में से संगीत एक है। किन्तु, चूँकि “सारा संसार उस दुष्ट,” शैतान इब्लीस “के वश में पड़ा है,” क्या यह संगीत की दुनिया को भी सम्मिलित नहीं करता? (१ यूहन्ना ५:१९) जी हाँ, संगीत एक धूर्त फन्दा हो सकता है, जैसे कि सिल्वाना ने पाया। उसे फ्रांस में एक ऑपेरा (गीति-नाटक) गायिका के तौर से प्रशिक्षण पाने का मौक़ा हासिल था। वह बताती है, “मुझे अभी भी यहोवा की सेवा करने की एक तीव्र इच्छा थी। मैं सहायक पायनियर कार्य का आनन्द ले रही थी और मेरी ज़िन्दगी में इन दो बातों में सामंजस्य स्थापित करने की अपेक्षा रखती थी। लेकिन मुझे अपने पेशे में लगे रहने के लिए जिस पहली समस्या का सामना करना पड़ा, वह अनैतिकता थी। पहले-पहले, मेरे सहयोगी मुझे भोली-भाली समझते थे, जब मैं उनकी अनैतिक बातचीत और मिसाल से सहमत नहीं होती थी। बाद में, उस भ्रष्ट वातावरण ने मुझे असंवेदी बनाना शुरु किया, मुझे ऐसी बातों के बारे में सहनशील बनाकर, जिनसे यहोवा घृणा करते हैं। मेरी एक शिक्षिका मुझ से आग्रह करती रही कि मैं अपने गायन को अपना धर्म बना लूँ, और मुझे रंगमंच पर आक्रमणात्मक होने सिखाया गया और यह सोचने कि मैं बाक़ी सभी लोगों से बेहतर हूँ। इन सभी बातों से मैं बहुत ही बेचैन हुई। आख़िरकार, मुझे एक ख़ास ध्वनि-परीक्षण के लिए तैयारी करनी थी। मैं ने यहोवा से प्रार्थना की कि वह मुझे स्पष्ट रूप से दिखाएँ कि मुझे कौनसी राह चुननी चाहिए। हालाँकि मैं ने अच्छा गाया और को आत्मविश्वासपूर्ण महसूस किया, फिर भी चुने हुओं में मेरा नाम नहीं था। बाद में, मुझे पता चला क्यों—नतीजे प्रतियोगिता से बहुत पहले पूर्वनिर्धारित किए गए थे। लेकिन मुझे अपनी प्रार्थना का स्पष्ट जवाब मिल गया था और मैं ने ऑपेरा मंच छोड़ने और घर में ही गायन सिखाने का निश्चय किया।” बाद में इस बहन ने एक मसीही मण्डली के एक प्राचीन से शादी कर ली, जहाँ वे दोनों अब राज्य हितों को बढ़ाने के लिए वफ़ादारी से सेवा करते हैं।
१०. यूहन्ना ३:१९-२१ में यीशु के शब्दों से आप किस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं?
१० यीशु ने कहा: “जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।” दूसरी ओर, “जो सच्चाई पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वे परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।” (यूहन्ना ३:१९-२१) यहोवा की इच्छा और उद्देश्य के अनुरूप काम करना क्या ही आशीर्वाद है! लेकिन ऐसा सफ़लतापूर्वक करने के लिए, हमें हमेशा ही परमेश्वर के वचन के आध्यात्मिक प्रकाश में अपने कामों का सूक्ष्म परीक्षण होने देना चाहिए। हम इतने बूढ़े नहीं, और ना ही इतनी देर हो चुकी है कि हम अपने जीवन-क्रम को न बदल सकें और यहोवा की लाभप्रद सेवा में आरंभ होने का निमंत्रण न स्वीकार सकें।
आज “अच्छे काम” करना
११. “अच्छे काम” के तौर से अनेक लोग किस में जुट जाते हैं, और क्यों ऐसा करने से कुण्ठा उत्पन्न हो सकती है?
११ लाभप्रद काम ने आज हमारे समय की अत्यावश्यकता को प्रतिबिम्बित करना चाहिए। कई निष्कपट लोग सहमत होते हैं और वे ऐसे काम करने में जुट जाते हैं जिनका वर्णन अक्सर “अच्छे काम,” इस तरह किया जाता है। ये सामान्य मनुष्यजाति के लाभ के लिए किए जाते हैं, या फिर किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए। फिर भी, इस प्रकार का काम कितना कुण्ठित कर देनेवाला हो सकता है! ब्रिटेन में, CAFOD (कैथोलिक फ़ंड फॉर ओवरसीज़ डिवेलपमेंट या, विदेशी विकास के लिए कैथोलिक निधि) ने अकाल राहत कार्य के लिए उसके अभियान पर रिपोर्ट करते हुए कहा: “चार साल पहले . . . राहत सहायता के लिए करोड़ों पौंड एकत्र किए गए थे। हज़ारों व्यक्तियों का जान बचाया गया। अब वही व्यक्तियों का जान एक बार फिर ख़तरे में हैं . . . पर क्यों? ग़लती कहाँ हो गयी थी?” अपने विवरण में आगे बताते हुए, CAFOD जर्नल में समझाया गया है कि दीर्घकालीन समस्याओं से नहीं निपटा गया और “जो साधन मानवी विकास के लिए इतने अति गंभीर रूप से ज़रूरी था, उसे संघर्ष [गृह युद्ध] को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया है।” बेशक, आपने समान कार्य में जुटे हुए ख़ैराती संस्थानों द्वारा समान भावनाएँ दुहराए गए सुने होंगे।
१२. आज दुनिया के सम्मुख समस्याओं का एकमात्र उपाय क्या है?
१२ अकाल एक अत्यावश्यक समस्या है। फिर भी, कौन लोग हैं जो आज की अकाल और युद्ध जैसी महाविपदाओं की शिनाख़्त कर रहे हैं, कि ये यीशु की भविष्यवाणी को पूरा कर, इस मौजूदा रीति-व्यवस्था के अन्त की ओर संकेत कर रही हैं? (मत्ती २४:३, ७) किसने उस सबूत को प्रकाशित किया है, जो इन घटनाओं को बाइबल की प्रकाशितवाक्य किताब के अध्याय ६ में सजीव रूप से चित्रित की गयी चार घुड़सवारों की सवारी से जोड़ता है? नियमित रूप से, यहोवा के गवाहों ने ऐसा वफ़ादारी के साथ इस पत्रिका के पन्नों पर किया है। क्यों? यह दिखाने के लिए कि किसी भी स्थायी इलाज को रूप देना मनुष्य के विस्तार से बाहर है। इसका यह मतलब नहीं कि मसीही इस दुनिया की समस्याओं की ओर उदासीन हैं। बिल्कुल नहीं। वे संवेदनशील हैं और किसी दुःख-तक़लीफ़ को कम करने के लिए अपनी बस में जो है, वह करते हैं। फिर भी, वे यथार्थ रूप से इस वास्तविकता को मानते हैं कि ईश्वरीय दख़ल के बिना, इस दुनिया की समस्याओं का समाधान कभी न होगा। ग़रीबों के जैसे, ये समस्याएँ भी उस समय तक रहेंगी जब तक शैतान को इस दुनिया के शासक के तौर से बने रहने दिया जाता है।—मरकुस १४:७; यूहन्ना १२:३१.
सबसे अधिक मूल्य का काम
१३. आज सबसे अत्यावश्यक काम क्या है, और इसे कौन पूरा कर रहे हैं?
१३ इस सुसमाचार को प्रचार करना आज सबसे अत्यावश्यक ज़रूरत की बात है, कि यहोवा परमेश्वर का राज्य जल्द ही सभी सांसारिक सरकारों का स्थान लेगा और उस राहत को ले आएगा जिसके लिए परमेश्वर का भय माननेवाले लोग तरसते हैं। (दानिय्येल २:४४; मत्ती २४:१४) यीशु मसीह ने स्वर्गीय राज्य के प्रचार कार्य को अपनी ज़िन्दगी का मुख्य उद्देश्य बनाया, हालाँकि उसका प्रचार कार्य पलिश्तीन के देश तक ही सीमित था। आज, इस प्रचार कार्य का विस्तार विश्व-व्यापी है, ठीक उसी तरह, जैसे यीशु ने कहा था होगा। (यूहन्ना १४:१२; प्रेरितों १:८) परमेश्वर के काम में एक छोटा हिस्सा भी लेना एक अतुलनीय ख़ास अनुग्रह है। दोनों, आदमी और औरतें, बूढ़े और जवान, जिन्होंने किसी समय सपने में भी नहीं सोचा था कि वे सुसमाचार के प्रचारक होंगे, वे आज इस शिष्य बनाने के कार्य में सबसे आगे हैं, जो यहोवा के गवाहों द्वारा पूरा किया जा रहा है। नूह और उसके परिवार के जैसे, वे भी इस रीति-व्यवस्था के अन्त की एक प्रस्तावना के रूप में, वफ़ादारी से परमेश्वर द्वारा सौंपे गए, और इसलिए उन के ही सामर्थ्य में, उन्हीं का काम कर रहे हैं।—फिलिप्पियों ४:१३; इब्रानियों ११:७.
१४. किस तरह प्रचार कार्य एक ही समय में, दोनों, प्राणरक्षक और सुरक्षा है?
१४ इन अन्तिम दिनों में यहोवा के गवाहों द्वारा किया जानेवाला प्रचार कार्य प्राणरक्षक है, उन लोगों के लिए जो सुनते हैं और सुनी हुई बातों पर अमल करते हैं। (रोमियों १०:११-१५) यह प्रचार करनेवालों के लिए भी एक सुरक्षा है। ऐसे लोगों की मदद करने के लिए सच्चे दिल से दिलचस्पी लेने के द्वारा, जिनकी समस्याएँ हमारी समस्याओं से ज़्यादा बड़ी हैं, यह कम सम्भव है कि हम अपनी समस्याओं के बारे में अत्याधिक मात्रा में चिन्तित रहेंगे। हम समझते हैं कि गिरते हुए स्तरों की यह दुनिया चाहेगी कि हम उसके तौर-तरीक़ों के अनुरूप बनें। इसलिए हमारे प्रचार कार्य के दौरान अपने मन को परमेश्वर के विचारों से भरना हमारे विश्वास को बहुत अधिक मात्रा में शक्तिशाली बनाता है; यह हमारे ही हित में है। जैसे एक गवाह ने कहा: “अगर मैं जिन लोगों से मिलता हूँ, उन्हें बदलने की कोशिश न करता, तो वे मुझे बदल सकते हैं!”—२ पतरस २:७-९ से तुलना करें।
मण्डली के साथ काम करना
१५. कौनसी ज़िम्मेदारियाँ आज उप-चरवाहों के ज़िम्मे पड़ता है, और १ तीमुथियुस ३:१ का विचार करते हुए, मण्डली के पुरुष सदस्यों को कैसे महसूस करना चाहिए?
१५ जब नए रूप से दिलचस्पी रखनेवाले लोग मण्डली में आ जाते हैं, वे महान् चरवाहे, यहोवा परमेश्वर, और उनके उत्तम चरवाहे, यीशु मसीह की देख-रेख के अधीन आ जाते हैं। (भजन २३:१; यूहन्ना १०:११) यहाँ पृथ्वी पर इन स्वर्गीय चरवाहों का प्रतिनिधित्व झुण्ड के वफ़ादार उप-चरवाहों द्वारा होता है, जो कि मण्डली में से नियुक्त आदमी हैं। (१ पतरस ५:२, ३) इन अन्तिम दिनों में ऐसे पद पर रहना एक अमुल्य विशेषाधिकार है। चरवाहों का काम बहुत भारी ज़िम्मेदारी का है, जिस में न सिर्फ़ मण्डली को सिखाने और शिष्य बनाने के कार्य में अगुवाई लेना शामिल है, परन्तु झुण्ड को आध्यात्मिक परभक्षियों से और जिस संसार में हम रहते हैं, उसके तूफ़ान-समान वातावरण के धक्कों और आघातों से रक्षा करना भी शामिल है। बढ़ती हुई मसीही कलीसिया के सदस्यों की आध्यात्मिक ख़ैरियत की देख-रेख करने में मदद करने के काम से ज़्यादा लाभप्रद कोई और काम ही नहीं, जिसकी इच्छा मण्डली के पुरुष सदस्य कर सकते हैं।—१ तीमुथियुस ३:१; यशायाह ३२:१, २ से तुलना करें।
१६. किन रीतियों में मसीही चरवाहे एक दूसरे के पूरक होते हैं?
१६ बहरहाल, हमें कभी भूलना नहीं चाहिए कि ऐसे चरवाहे इंसान हैं और जिनके, झुण्ड के बाक़ी लोगों की तरह, अलग-अलग व्यक्तित्व और कमज़ोरियाँ हैं। जबकि कोई व्यक्ति रखवाली कार्य के एक पहलू में उत्तम होगा, किसी दूसरे की योग्यताएँ एक अलग ही दृष्टिकोण से मण्डली के लाभ के लिए होंगी। मसीही प्राचीनों के रूप में उनके द्वारा किए गए काम मण्डली को शक्तिशाली बनाने के लिए एक दूसरे के पूरक होते हैं। (१ कुरिन्थियों १२:४, ५) उनके बीच कभी भी प्रतिद्वंद्विता की मनोवृत्ति आनी नहीं चाहिए। मिलकर वे राज्य के हितों की रक्षा करने और बढ़ाने के लिए कार्य करते हैं, और यहोवा से प्रार्थना करने में “पवित्र हाथों को उठाकर,” उनके सभी विचार-विमर्शों और निर्णयों में उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के लिए बिनती करते हैं।—१ तीमुथियुस २:८.
१७. (अ) हम पर कौनसा दायित्व है? (ब) अगर हमें पर्याप्त रूप से हमारे दायित्व को पूरा करना है, तो हमें कौनसी बातों से दूर रहना चाहिए?
१७ जैसे-जैसे शैतान के साम्राज्य का अन्त निकट आता है, वैसे-वैसे अब प्रचार का कार्य अतिरिक्त अत्यावश्यकता ग्रहण कर रहा है। चूँकि हमारे पास यहोवा परमेश्वर के वचन की सच्चाई है, उनके गवाह होने के नाते, हर अवसर पर सुसमाचार फैलाने का दायित्व हम पर है। जो काम अब हाथ में है, वह हमें अन्त तक व्यस्त रखने के लिए बहुत ही काफ़ी है। हमें अपने आप को कभी भी सुखवादी, अनैतिक विलासी कामों के कारण बहकने या भौतिकवाद के कारण दबने नहीं देना चाहिए। हमें मीमांसात्मक सोच-विचार और शब्दों के बारे में बहस में उलझना नहीं चाहिए, इसलिए कि यह बेफ़ायदे का और समय-नाशक साबित हो सकता है। (२ तीमुथियुस २:१४; तीतुस १:१०; ३:९) जब शिष्यों ने यीशु से पूछा, “हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्राएल को राज्य फेर देगा?” यीशु ने उनकी सोच को उस महत्त्वपूर्ण कार्य की ओर पुनःनिर्दिष्ट किया, जो उन्हें सौंपा गया था, यह कहकर: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगी, तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।” वह नियत कार्य आज तक जारी है।—प्रेरितों १:६-८.
१८. यहोवा के साथ काम करना इतना लाभप्रद क्यों है?
१८ आज यहोवा के साथ काम करने, और उनके विश्वव्याप्त कलीसिया के साथ प्रचार करने से हमारी ज़िन्दगी में खुशी, संतोष और एक असली मक़सद आ जाता है। यह यहोवा के प्रत्येक प्रेमी के लिए उनके प्रति भक्ति और वफ़ादारी प्रकट करने का एक मौक़ा है। इसके सभी पहलुओं समेत, यह काम फिर कभी दुहराया नहीं जाएगा। आगे चूँकि अनन्त जीवन की प्रत्याशा सुस्पष्ट है, ऐसा हो कि हम वफ़ादारी से “ईश्वरीय भय और श्रद्धा सहित,” उनकी स्तुति और खुद हमारे उद्धार के लिए, “परमेश्वर की पवित्र सेवा” करते रहें।—इब्रानियों १२:२८; न्यू.व.
आपका जवाब क्या है?
◻ यीशु ने कौनसे काम से हर्ष और संतोष पाया?
◻ कौन यहोवा के काम का विरोध करते हैं, और क्यों?
◻ कैसे संसार के “अच्छे कामों” और परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार के प्रचार की तुलना की जा सकती है?
[पेज 24 पर तसवीरें]
यीशु ने अपने शिष्यों को जाकर प्रचार करने का कार्य सौंपा