धर्मत्यागियों से ख़बरदार रहें!
यहूदा की पत्री से विशिष्टताएँ
यहोवा के सेवकों को “बुराई से घृणा” करनी और “भलाई से लगे” रहना चाहिए। (रोमियों १२:९) बाइबल लेखक यहूदा ने सामान्य युग के लगभग वर्ष ६५ में पलिश्तीन से भेजी अपनी चिट्ठी में दूसरों को ऐसा करने की मदद की।
यहूदा ने अपने आप को “यीशु मसीह का दास और याकूब का भाई” कहा। यह याकूब प्रत्यक्षतः यीशु मसीह का जाना-माना सौतेला भाई था। (मरकुस ६:३; प्रेरितों १५:१३-२१; गलतियों १:१९) इस प्रकार स्वयं यहूदा यीशु का सौतेला भाई था। बहरहाल, उसने इस शारीरिक संबंध का ज़िक्र करना अनुचित समझा होगा, चूँकि मसीह उस वक़्त स्वर्ग में एक महिमान्वित आत्मिक व्यक्ति थे। यहूदा की पत्री ऐसी सलाह देने में बहुत ही स्पष्ट थी, जो हमें “भलाई से लगे” रहने में और धर्मत्यागियों से ख़बरदार रहने में मदद कर सकती है।
“विश्वास के लिए पूरा यत्न करो”
हालाँकि यहूदा उस उद्धार के विषय में लिखना चाह रहा था, जिस में मसीही सहभागी हैं, उसने अपने पाठकों को “विश्वास के लिए पूरा यत्न” करने का प्रोत्साहन देना ज़रूरी समझा। (आयत १-४) क्यों? इसलिए कि भक्तिहीन लोग मण्डली में चुपके से घुस आए थे और वे ‘परमेश्वर के अनुग्रह को लुचपन करने का आड़ बना रहे थे।’ (न्यू.व.) उन्होंने ग़लत रीति से समझा कि वे परमेश्वर के नियम तोड़कर भी उनके लोगों में रह सकते हैं। हम कभी ऐसी बुरी तर्कणा के सामने न झुकें, पर हमेशा धार्मिकता से लगे रहें, और इस बात के लिए शुक्रगुज़ार रहें कि यीशु के खून के ज़रिए परमेश्वर ने दयालुता से हम से हमारे पापों का कलंक धो डाला है।—१ कुरिन्थियों ६:९-११; १ यूहन्ना १:७.
चेतावनियाँ हमारे सामने प्रस्तुत की गयी हैं
कुछेक रवैयों, आचरण और लोगों के विषय सावधान रहना ज़रूरी है। (आयत ५-१६) चूँकि मिस्र से बचाए गए कुछेक इस्राएलियों में विश्वास की कमी थी, उनका नाश किया गया। जिन स्वर्गदूतों ने अपने उचित पद त्याग दिए, उन्हें “उस भीषण दिन के न्याय के लिए गहरे [आध्यात्मिक] अन्धकार में जो सदाकाल के लिए है, बन्धनों में रखा है।” घोर अनैतिकता से सदोम और अमोरा पर ‘आग का अनन्त दण्ड’ आया। इसलिए हम हमेशा परमेश्वर को प्रसन्न करें और कभी “जीवन का रास्ता” न छोड़ें।—भजन १६:१० (आयत ११, न्यू.व.)
प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल से भिन्न, जो इब्लीस के ख़िलाफ़ बुरा भला कहकर दोष भी नहीं लगाता, भक्तिहीन मनुष्यों ने “ऊँचे पदवालों को” बुरा भला कहा। ये प्रत्यक्षतः वे लोग थे जिन्हें अभिषिक्त प्राचीनों के रूप में परमेश्वर और मसीह ने एक क़िस्म की महिमा प्रदान की थी। हम परमेश्वर-प्रदत्त अधिकार के प्रति अनादर न दिखाएँ!
भक्तिहीन मनुष्यों ने कैन, बिलाम और कोरह की बुरी मिसालों का अनुकरण किया। वे एक ऐसा आध्यात्मिक ख़तरा थे, जो समुद्र में छिपी हुई चट्टानों के तुल्य थे और निर्जल बादलों और निर्जीव, उखाड़े हुए पेड़ों की तरह थे, जिसमें कोई लाभदायक फल उत्पन्न नहीं होता है। वे धर्मत्यागी असंतुष्ट थे, कुड़कुड़ानेवाले, और ‘लाभ के लिए व्यक्तियों की मुँह देखी बड़ाई’ भी किया करते थे।
प्रतिरोध करते रहें
यहूदा ने फिर बुरे प्रभावों का प्रतिरोध करने के विषय में सलाह दी। (आयत १७-२५) “आख़री समय में” ठट्ठा करनेवाले होते, और आज सच्चे मसीहियों को उन्हें और उनके तानों को सहन करना चाहिए। ऐसे बुरे प्रभावों का प्रतिरोध करने के लिए, हमें अपने “अति पवित्र विश्वास” में उन्नति करनी चाहिए, पवित्र आत्मा में प्रार्थना करनी चाहिए और यीशु की दया व्यक्त होने की राह देखते समय परमेश्वर के प्रेम में बने रहना चाहिए।
प्रत्यक्ष रूपे से, झूठे शिक्षकों की भूमिका में, भक्तिहीन मनुष्यों ने कुछेकों के मन में आशंकाएँ पैदा की। (२ पतरस २:१-३ से तुलना करें।) और शंका करनेवालों को किस बात की ज़रूरत थी? अजी, उस “आग,” अनन्त नाश में से झपटकर निकाल दिए जाने के लिए आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत थी। (मत्ती १८:८, ९) लेकिन धार्मिक लोगों को उस भवितव्यता से डरना नहीं चाहिए, इसलिए कि ‘ठोकर खाकर’ पाप में पड़ने से और धर्मत्यागियों के लिए तैयार नाश से यहोवा उनकी रक्षा करेंगे।
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छिपी हुई चट्टान: ‘अपनी प्रेम सभाओं में उनके साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान’ सरीखे लोगों के बारे में यहूदा ने संगी मसीहियों को चेतावनी दी। (यहूदा १२) विश्वासियों के लिए प्रेम का स्वाँग भरकर, ऐसे धर्मत्यागी समुद्र के नीचे की दाँतेदार चट्टानों की तरह थे, जो जहाज़ों को तहस-नहस कर सकती थीं या तैराकों को चीरकर मार सकती थीं। प्रेम सभाएँ ऐसी दावतें रही होंगी जिन में भौतिक रूप से समृद्ध मसीही ग़रीब संगी विश्वासियों को आमंत्रित करते थे। चर्च फ़ादर [प्रारंभिक शताब्दियों के धार्मिक लेखक] ख़िसॉस्टम (सामान्य युग ३४७?–४०७) ने कहा: “वे सभी एक सार्वजनिक जेवनार में इकट्ठा होते थे: अमीर लोग खाद्य सामग्री लाते थे, और ग़रीब और जिनके पास कुछ भी न था, ऐसों को आमंत्रित किया जाता था, और वे सभी इकट्ठा साझे में खाते-पीते थे।” उन प्रारंभिक प्रेम सभाएँ चाहे जैसी भी थीं, यहूदा की चेतावनी से विश्वासियों को धर्मत्यागी ‘छिपी हुई चट्टानों’ से बचे रहने की मदद मिली, जो कि आध्यात्मिक मौत का कारण बन सकती हैं। हालाँकि मसीहियों को प्रेम सभाएँ आयोजित करने की कोई आज्ञा नहीं दी गयी, और वे आज आयोजित नहीं किए जाते हैं, ज़रूरत के समय में यहोवा के लोग अवश्य एक दूसरे की भौतिक रूप से सेवा करते हैं और उन में सुखद साहचर्य है।